केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 पेश किया, जिसमें बिहार के किसानों के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना का ऐलान किया गया। बिहार, जो मखाना उत्पादन में सबसे आगे है, अब इस फैसले के जरिए मखाना के कारोबार को और मजबूती देने जा रहा है। तो सवाल ये है कि मखाना बोर्ड सरकार के लिए क्यों इतना जरूरी है? और बिहार के किसानों के लिए इस फैसले का क्या असर होगा? आइए, जानते हैं।
मखाना उत्पादन बिहार की अर्थव्यवस्था में क्यों है अहम?
बिहार के मिथिलांचल इलाके में मखाना की खेती सबसे ज्यादा होती है और यही क्षेत्र मखाना उत्पादन का हॉटस्पॉट है। बिहार अकेले भारत का 80% मखाना उत्पादन करता है। मखाना का वार्षिक उत्पादन करीब 1.5 लाख टन के आसपास है और इस उत्पादन से राज्य की अर्थव्यवस्था को भारी फायदा होता है।
किसान मखाना की खेती से हर साल अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एक किसान को मखाना से प्रति एकड़ करीब 50,000 से लेकर 1 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। इसके अलावा, मखाना के निर्यात से राज्य को लाखों रुपये का फायदा हो रहा है। मखाना की खपत भारत में तो बढ़ रही है, लेकिन जापान, चीन और अन्य देशों में इसकी डिमांड और भी ज्यादा है।
मखाना बोर्ड क्यों बन रहा है अहम?
बिहार में मखाना का उत्पादन तो है ही, लेकिन प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में काफी सुधार की जरूरत है। मखाना बोर्ड का गठन इसी कमी को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। इस बोर्ड के जरिए मखाना की खेती, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को एक बेहतर दिशा देने की योजना है। यह बोर्ड किसानों को नई ट्रेनिंग देगा, जिससे वो मखाना की खेती के बारे में ज्यादा जान सकेंगे। इसके अलावा, किसानों को सही मूल्य पर मखाना बेचने की भी मदद मिलेगी। मखाना बोर्ड की स्थापना से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी मिलेगी और उनके उत्पाद को बेहतर तरीके से प्रोसेस किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार मखाना के उत्पादकों को सरकारी योजनाओं का भी फायदा दिलवाएगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और जीवन स्तर में सुधार आएगा।
सरकार को मखाना प्रोजेक्ट से क्या मिलेगा फायदा?
मखाना प्रोजेक्ट से बिहार की सरकार को कई आर्थिक फायदे हो सकते हैं। सबसे पहला फायदा तो ये है कि मखाना के निर्यात से राज्य को विदेशी मुद्रा की आय बढ़ेगी। मखाना की अंतरराष्ट्रीय बाजार में डिमांड बहुत बढ़ रही है, खासकर जापान और चीन जैसे देशों में। इसके अलावा, मखाना का उत्पादन और प्रोसेसिंग दोनों में ही रोजगार के नए मौके बनेंगे। यह ग्रामीण इलाकों में विकास को बढ़ावा देगा। मखाना से जुड़ी छोटी-छोटी यूनिट्स खुलने से इलाके में काम करने के लिए मजदूरों की जरूरत बढ़ेगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा।
MSP की उम्मीद
अब अगर सरकार मखाना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है, तो किसानों को एक स्थिर आय मिल सकती है। इससे किसानों को बाजार में मखाना की घटती-बढ़ती कीमतों से बचने का रास्ता मिलेगा और उन्हें उनके उत्पाद का एक तय दाम मिलेगा।
मखाना को हेल्थ फूड के रूप में प्रमोट करना
मखाना का बढ़ता हुआ हेल्थ फूड के रूप में प्रचलन सरकार को इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक और मौका दे रहा है। मखाना को एक सेहतमंद स्नैक के तौर पर प्रमोट किया जा सकता है, जिससे इसकी खपत और बढ़ेगी।
मखाना बोर्ड से क्या होंगे सामाजिक और राजनीतिक फायदे?
अब बात करें राजनीतिक पहलू की। बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और सरकार चाहती है कि राज्य के किसानों के बीच अपनी साख को मजबूत किया जाए। मखाना बोर्ड का गठन किसानों के लिए एक बड़ी योजना हो सकती है, जिससे सरकार की छवि सुधर सकती है। किसानों के लिए नई योजनाएं और सुविधाएं लाकर सरकार इस क्षेत्र में अपना असर छोड़ सकती है। साथ ही, बिहार और पूर्वी भारत में आर्थिक सुधार से सरकार की साख को भी एक नया आयाम मिलेगा।
पर्यावरणीय लाभ
मखाना की खेती पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। मखाना तालाबों में उगता है, जिससे जल संरक्षण और जैव विविधता बनी रहती है। इसके अलावा, मखाना की खेती में कम उर्वरकों और कीटनाशकों की जरूरत होती है, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है। यह प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिहाज से भी एक अच्छी दिशा है।
मखाना बोर्ड का बिहार के लिए क्या मतलब है?
मखाना बोर्ड का गठन बिहार के किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इससे ना केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी एक नया बल मिलेगा। मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने से न सिर्फ बिहार, बल्कि देश के लिए भी एक बड़ा अवसर पैदा होगा। मखाना का बढ़ता हुआ व्यापार, निर्यात और इसे एक हेल्थ फूड के रूप में प्रमोट करने से सरकार को भी फायदा होगा। अगर मखाना बोर्ड अपनी योजना को सही से लागू करता है, तो बिहार का मखाना उद्योग नए ऊंचाईयों तक पहुंच सकता है, और इससे राज्य के किसानों को लंबी अवधि में बड़े फायदे हो सकते हैं।
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