Anti Rape Bill

Anti Rape Bill: ममता सरकार ने विधानसभा में पेश किया एंटी-रेप बिल, अपराधी को 10 दिन के अंदर मिलेगी फांसी!

Anti Rape Bill: हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले ने पश्चिम बंगाल में बड़ा बवाल मचा दिया है। 9 अगस्त को हुई इस जघन्य घटना के बाद से राज्य में सड़कों पर लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं। कोलकाता के लाल बाजार में जूनियर डॉक्टर धरना दे रहे हैं और ‘निर्भया’ को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं, साथ ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं।

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल लाने की घोषणा की है। आज विधानसभा में ममता सरकार ने बिल को पेश भी  कर दिया है।  इस बिल का नाम ‘अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024’ रखा गया है। इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर काबू पाना है।

ये भी पढ़ें: Sayan Lahiri: कौन हैं सायन लाहिड़ी? जिसने हिला दी ममता बनर्जी की सत्ता की कुर्सी

बिल में क्या-क्या खास है?

रेप और हत्या के मामलों में फांसी – इस नए एंटी-रेप बिल में बलात्कार के दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा का प्रावधान है। यह कदम अपराधियों को कठोर सजा देने के लिए उठाया गया है ताकि उन्हें अपनी दंडनीयता का एहसास हो सके।इसके साथ ही ऐसे मामलों में 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इस बिल में अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान रखा गया है।

एसिड अटैक पर आजीवन कारावास- एसिड अटैक को भी गंभीर अपराध माना गया है और इसके लिए भी इस बिल में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। यह कदम एसिड अटैक पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

स्पेशल फोर्स: अपराजिता टास्क फोर्स – हर जिले में एक ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया जाएगा जो रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ के मामलों में त्वरित कार्रवाई करेगी। इस विशेष बल का उद्देश्य इन गंभीर अपराधों पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करना होगा

पीड़िता की पहचान उजागर करने पर कड़ी कार्रवाई- अगर किसी ने पीड़िता की पहचान उजागर की, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह प्रावधान पीड़िता की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए है।

पश्चिम बंगाल के लिए विशेष सत्र बुलाया गया

पश्चिम बंगाल विधानसभा में इस बिल को पेश करने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था। यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों के लिए ऐसा विधेयक पेश किया है। आंध्र प्रदेश ने 2019 में ‘दिशा बिल’ और महाराष्ट्र ने 2020 में ‘शक्ति बिल’ लाने की कोशिश की थी, लेकिन उन बिलों को मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

वहीं इस बिल को लेकर बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा- TMC जल्दबाजी में ये बिल लेकर आई है, फिर भी  हम चाहते हैं कि इस बिल को जल्द से जल्द लागू किया जाए। हमें इसका पूरा समर्थन है। ममता सरकार ने बिल को पेश करने से पहले प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं, मैं इस पर सवाल उठाना नहीं चाहता। हम इस पर वोटिंग नहीं चाहते। हम इस पर मुख्यमंत्री के संबोधन को सुनेंगे लेकिन हम इस बिल को लागू करने की गांरटी चाहते हैं। इसके साथ हमम नतीजें चाहते हैं।

सीबीआई की जांच जारी

कोलकाता रेप केस की जांच वर्तमान में सीबीआई के हाथ में है। सीबीआई मामले की गहराई से जांच कर रही है और हाल ही में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।  यह बिल पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए उम्मीद की किरण साबित हो सकता है कि उनके राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।