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Manipur Violence Explained: आखिर मणिपुर में लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू क्यों हैं ?

Manipur Violence Explained: Why are people bent on killing each other in Manipur?
ये पूरी हिंसा लगभग 3 मई को कोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुई। राज्य सरकार को मैतेई समाज (Meitei Comminuty) को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का निर्देश दिया गया था। मैतेई समुदाय ये मांग काफी लम्बे समय से कर रहा है , राज्य के आदिवासी समूह जिनमे ख़ास तौर पर Naaga और कुकी (Kuki) जनजाति समेत 34 जातियों के लोग आते हैं। वो लोग इसके विरोध में उतर आये। राज्य में मैतेई समुदाय बहुसंख्यक (Majority) में है। जो राज्य की आबादी का करीब 65 फीसदी है। इस विरोध की सबसे बड़ी वजह राज्य की आबादी और राजनीति दोनों में मैतेई का प्रभुत्व को बताया गया।
आपको बता दें कि मैतेई समुदाय को OBC और SC category में Sub Categorise भी किया गया है। इस तरह आने वाले लोगों को केटेगरी के हिसाब से रिजर्वेशन भी मिलता है लेकिन कोर्ट के फैसले के विरोध में All Tribal Students’ Union Manipur ने 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया इस दौरान चुराचांदपुर (Churachandpur) जिले के टोरबंग (Torbung) में हिंसा भड़क गई और उसकी आग बाकी जिलों में भी फ़ैल गई। फिर अगले दिन यानी 4 मई को भीड़ ने बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे (Vunzjagin Valte) पर हमला कर दिया।
भीड़ ने उनकी गाडी को घेरा और उनके ड्राइवर और उनपर हमला कर वो आरोपी मौके से भाग गए। फिलहाल उनका इलाज दिल्ली में चल रहा है। वुंगजागिन वाल्टे कुकी समुदाय से हैं। 5 मई की रात मणिपुर हिंसा में मरने वालों की संख्या 54 हो गई। 5 मई की रात चुराचांदपुर जिले में गोलीबारी की एक घटना में 3 लोगों की मौत हो गई। ये गोलीबारी तब हुई जब इलाके से मैतेई समुदाय के लोगों को निकाला जा रहा था। 5 मई को Imphal में एक Tax Assistant की हत्या कर दी गई। गोलीबारी की ये घटना तब हुई जब सेना ने दावा किया कि चुराचांदपुर के हालात पर नियंत्रण पा लिया गया है। राज्य में सेना को उतारे जाने के बाद हालात पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया।
उसके बाद 30 मई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे Kuki और मैतेई समुदाय के लोगों से मुलाक़ात की। भरोसा दिलाया की अब हिंसा की जांच होगी और अब शान्ति रहेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अमित शाह 1 जून को मणिपुर से वापिस लौटे इसके अगले ही दिन उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। उग्रवादियों के हमले के बाद तांगजेंग (Tangjeng) गाँव के लोग अपने घर छोड़ कर जाने लगे, कुछ घरों में आंग भी लगाई गई लेकिन इन घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ , ये तो हुआ पूरा विवाद…
हिंसा शुरू हुए 3 महीने होने वाले हैं लेकिन हालात अभी भी खराब हैं। लेकिन हम यही उम्मीद रखते हैं कि मणिपुर जल्द शांत हो जाएगा। इस मसले पर पीएम मोदी भी प्रेस में बोले हैं तो उम्मीद है जल्द इस मुद्दे का समाधान निकलेगा।
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