भारत में बजट से जुड़े कई रोचक किस्से रहे हैं, जिन्हें लोग हमेशा याद रखते हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक बजट था, जिसे मनमोहन सिंह ने पेश किया था। यह बजट देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ और भारत की आर्थिक दिशा ही बदल गई। कहा जाता है कि अगर यह बजट नहीं आता, तो आज देश की हालत पाकिस्तान जैसी भी हो सकती थी।
साल 1991 में देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। सरकारी खजाने में इतने कम पैसे बचे थे कि देश को ज्यादा समय तक चलाना मुश्किल हो गया था। हालात इतने गंभीर थे कि बड़ा कदम उठाए बिना कोई रास्ता नहीं था।
तब प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। उन्होंने ऐसा बजट पेश किया, जिसने देश की अर्थव्यवस्था की दिशा ही बदल दी। इस बजट ने भारत की आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव किया और धीरे-धीरे देश की स्थिति मजबूत होने लगी। कुछ ही सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली और दुनिया भर में इसकी पहचान बनने लगी।
आज भले ही डॉ. मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जब भी देश का बजट पेश होगा, तब-तब उन्हें एक प्रेरणा के रूप में याद किया जाएगा।
मनमोहन सिंह में लिए था ये बड़ा फैसला?
मनमोहन सिंह ने देश में लाइसेंस राज खत्म करके आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की। उन्होंने यह बजट उस समय पेश किया जब देश की अर्थव्यवस्था गिरावट की ओर बढ़ रही थी। इस बजट में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। सबसे बड़ा बदलाव यह था कि सीमा शुल्क को 220% से घटाकर 150% कर दिया गया। ऐसे सुधारों ने विदेशी निवेशकों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से बढ़ने लगा।
विदेशी कंपनियों को भारत में आने की मिली अनुमति
इस बजट में विदेशी कंपनियों को भारत में आने की अनुमति दी गई और कई पुराने नियमों में बदलाव किए गए। बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए भी बड़े फैसले लिए गए, जिससे भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों की संख्या बढ़ने लगी। इसका फायदा सरकार को भी हुआ, क्योंकि राजस्व बढ़ने लगा और देश धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ा। उस समय के वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के इस बजट को ‘युगांतकारी बजट’ कहा जाता है।
निर्मला सीतारमण के नाम दर्ज होगा ये रिकॉर्ड
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार लगातार आठवीं बार देश का बजट पेश करेंगी। वह भारत की पहली महिला वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने इतनी बार बजट पेश किया है। उनके नाम एक और रिकॉर्ड भी है—साल 2020 में उन्होंने 2 घंटे 42 मिनट का सबसे लंबा बजट भाषण दिया था।