Manmohan Singh Death: आज यानी, 26 दिसंबर 2024 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और आज उनका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ने के बाद दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इस दुखद खबर को सोशल मीडिया पर शेयर किया। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और वह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। उनकी नीतियों और फैसलों ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था का चेहरा ही बदल डाला।
पंजाब के छोटे से गांव से ब्रिटेन तक का सफर
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक छोटे से गांव में हुआ था। जब विभाजन हुआ, तो उनका परिवार भारत आ गया। मनमोहन सिंह की शुरुआत बहुत ही साधारण थी, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई पर जोर दिया। 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) पहुंचे, जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में ऑनर्स किया। फिर उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (D.Phil.) की डिग्री हासिल की।
उनकी कड़ी मेहनत और ज्ञान ने उन्हें सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया भर में एक जाना पहचाना नाम बना दिया। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाया।
1991 के संकट से भारत को निकाला
1991 में जब भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी, तब डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री थे। भारतीय सरकार को बाहरी सहायता की जरूरत थी, और देश की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब थी। ऐसे में डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए।
उन्होंने आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया को शुरू किया। इन बदलावों से भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में अपनी ताकत दिखाने लगी। मनमोहन सिंह के द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों के बाद भारत की जीडीपी में जबरदस्त वृद्धि हुई और भारतीय बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ा। इन सुधारों ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।
कई अहम पदों पर रहे मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह का करियर सिर्फ प्रधानमंत्री तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने भारत सरकार में कई अहम पदों पर काम किया। 1971 में वह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने, और इसके बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा वह रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे।
1991 से 1996 तक उन्होंने भारत के वित्त मंत्री के तौर पर कार्य किया। उनकी नीतियों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था ने स्थिरता पाई और विदेशों में भारत का नाम और भी ऊंचा हुआ।
राज्य सभा से प्रधानमंत्री तक का सफर
मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर 1991 में राज्य सभा से शुरू हुआ। उन्होंने असम से पहली बार राज्य सभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने। बाद में वह 1998 से 2004 तक राज्य सभा में विपक्ष के नेता भी रहे।
2004 में, कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया। डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 2009 में उन्हें फिर से दूसरा कार्यकाल मिला। प्रधानमंत्री के रूप में उनके नेतृत्व में भारत ने कई अहम कदम उठाए, खासकर आर्थिक और विदेश नीति में।
दुनिया ने किया सम्मानित
मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण (1987) मिला। इसके अलावा, उन्हें 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार और एशिया मनी और यूरो मनी द्वारा ‘साल के वित्त मंत्री’ का अवार्ड भी मिला।
उनके योगदान के कारण उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसी दुनिया की प्रमुख विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां मिलीं। उनकी नीतियों और फैसलों को न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी सराहा गया।
मनमोहन सिंह का जीवन सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं था। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरा और स्थायी था। उनके द्वारा किए गए सुधारों की वजह से आज भारत दुनिया की प्रमुख आर्थिक ताकतों में शामिल है। उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा, खासकर उन सुधारों के लिए जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक नई दिशा दी। उनके निधन से भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था ने एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व खो दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और उनके योगदान एक प्रेरणा बने रहेंगे।