पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे (manmohan singh death)। मनमोहन सिंह आजादी से पहले साल 1932 में अविभाजित भारत के जिला झेलम के ‘गाह’ गांव में जन्मे थे। मनमोहन सिंह को उनके दोस्त ‘मोहना’ कहकर बुलाते थे। मौजूदा समय में यह गांव पाकिस्तान के इस्लामाबाद से 100 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में जिला चकवाल में स्थित है।
‘मोहना’ का इंतजार करते रह गए दोस्त
डॉ. मनमोहन सिंह (manmohan singh pass away) जब पहली बार साल 2004 में भारत के प्रधानमंत्री बने तो उनके गावं में मौजूद उनके बचपन के साथी शाह वली और राजा मोहम्मद अली को उनके साथ गुजारे पल याद आने लगे। कैसे वो लोग अपने दोस्त ‘मोहना’ (mohana) के साथ गांव के पेड़ के नीचे गिल्ली-डंडा, कंचे और कबड्डी खेलते थे। उन्हें लगता था कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका दोस्त ‘मोहना’ उनसे मिलने अपने गांव ‘गाह’ जरूर आएगा। लेकिन दो बार देश का प्रधानमंत्री रहने के बावजूद किसी ना किसी कारण से उनका ‘मोहना’ अपने गांव नहीं जा पाया।
एक बार तो मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान आने की दावत भी कबूल कर ली थी, लेकिन किसी वजह से वह अपने गांव नहीं जा सके। तब भी उनके दोस्तों को अपने साथी ‘मोहना’ के आने की उम्मीद थी क्योंकि, मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण सिंह का परिवार भी बटवारें से पहले पंजाब के झेलम जिला के गांव ढक्कू में रहता था।
पाकिस्तान आए पर नहीं जा सके अपने गांव
साल 2019 की बात है, मनमोहन सिंह ( former pm manmohan singh) के प्रधानमंत्री कार्यकाल का ये आखिरी साल था। इस साल वह पाकिस्तान आए भी, लेकिन वह ‘एक आम आदमी’ के रूप में यात्रियों के पहले जत्थे में करतारपुर तक गए। जहां उन्होंने सिखों के पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब का दर्शन किया। इस बार भी ‘मोहना’ की पाकिस्तान में अपने जन्म स्थान तक जाने की इच्छा पूरी नहीं हो सकी।
‘ट्रिब्यून पाकिस्तान’ में छपे एक लेख के मुताबिक, मनमोहन सिंह के दोस्त गुलाम मोहम्मद खान ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत के दौरान बताया था कि ‘मोहना’ उनके क्लास के मॉनिटर थे। स्कूल में पढ़ने वाले सभी दोस्त एक साथ खेलते थे। मनमोहन सिंह के बारे में बताते हुए मोहम्मद खान ने बताया कि वह एक शरीफ और होनहार छात्र थे। एक बार उनके उस्ताद ( टीचर) ने उन्हें सलाह दी थी कि अगर पढ़ाई-लिखाई में कुछ समझ में ना आए तो वे ‘मोहना’ की मदद ले सकते हैं।
बीबीसी के मुताबिक जब मनमोहन सिंह चौथी कक्षा में थे उसी दौरान वह अपने घरवालों के साथ अपने गांव चकवाल चले गए। इसके बाद 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर चले गए। इसके बाद वे अपने दोस्त ‘मोहना’ से फिर कभी नहीं मिल पाए।
‘मोहना’ की दावत पर भारत आए थे दोस्त राजा मोहम्मद अली
साल 2008 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ( manmohan singh) के पहले कार्यकाल का आखिरी साल था। इसी साल मनमोहन सिंह ने अपने बचपन के दोस्त राजा मोहम्मद अली को दावत पर भारत बुलाया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान राजा मोहम्मद अली ने अपने दोस्त ‘मोहना’ को शॉल, चकवाली जूती, गांव की मिट्टी और पानी उपहार में दिया था। वहीं, इसके बदले मनमोहन सिंह ने उन्हें पगड़ी, टाइटन की कलाई घड़ी और शॉल तोहफे में दिए थे। इसके दो साल बाद 2010 में राजा मोहम्मद अली की मौत हो गई।
गांव ‘गाह’ के विकास के लिए पाक सरकार को लिखा था खत
बीबीसी के मुताबिक, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पद संभालने के कुछ ही समय बाद मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान सरकार को एक खत लिखा था। अपने खत में उन्होंने उस समय के पाकिस्तान के शासक जनरल परवेज मुशर्रफ से कहा था कि उनके ‘गाह’ गांव की तरक्की के लिए कोशिश की जाए।
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