केरल के मन्नान राजा रमन राजमन्नान को मिला गणतंत्र दिवस परेड का निमंत्रण, जानिए उनकी अनोखी कहानी

देशभर में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की धूमधाम से तैयारी चल रही है और इस साल की परेड में एक बेहद खास मेहमान शामिल होंगे। वह हैं, केरल के मन्नान आदिवासी समुदाय के राजा रमन राजमन्नान। केरल के इस आदिवासी राजा को गणतंत्र दिवस परेड के लिए दिल्ली बुलाया गया है, जहां वे अपनी पत्नी के साथ इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनेंगे। रमन राजमन्नान केरल के एकमात्र आदिवासी राजा हैं, और उनके समुदाय में यह सम्मान बहुत बड़ी बात है।

कौन हैं रमन राजमन्नान?

रमन राजमन्नान का जीवन किसी राजा जैसा नहीं है, क्योंकि उनके पास न तो कोई भव्य महल है, न ही कोई बड़ा राज्य। फिर भी उन्हें अपने लोगों के बीच राजा का दर्जा प्राप्त है। रमन राजमन्नान केरल के इडुक्की जिले के एक छोटे से गांव कोझिमाल में रहते हैं। इस गांव में मन्नान आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, और रमन राजमन्नान उनके राजा हैं। उनका शासन 48 बस्तियों तक फैला हुआ है, जो इडुक्की, एर्नाकुलम और त्रिशूर जिलों में स्थित हैं। रमन राजमन्नान के राजा बनने से पहले, उनके समुदाय के लोग पारंपरिक जीवन जीते थे। लेकिन जब उनके पूर्वज राजा आर्यन राजमन्नान का निधन हुआ, तो रमन ने 12 साल पहले राजा का पद संभाला था। वे आज भी एक राजा की तरह, मगर पूरी तरह से प्रतीकात्मक तरीके से अपने समुदाय के नेता हैं।

साधारण जीवन जीते हुए, राजा बने रमन राजमन्नान

रमन राजमन्नान का जीवन किसी बड़े शाही परिवार जैसा नहीं है। वे भी एक साधारण किसान हैं और अपने लोगों के साथ खेती-बाड़ी करते हैं। मन्नान समुदाय के ज्यादातर लोग किसान और मजदूर होते हैं, जो अपने घर-परिवार के लिए काम करते हैं। कई लोग तो मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं पर निर्भर रहते हैं। हालांकि, रमन राजमन्नान के पास कोई विशेष अधिकार नहीं हैं, फिर भी उनका समाज में बहुत सम्मान है। उनके लोग उनके फैसलों का आदर करते हैं और उनकी बातों को मानते हैं। रमन राजमन्नान का काम केवल राजा होने तक सीमित नहीं है। वे अपने समुदाय के हर पारंपरिक आयोजन और त्योहार में शामिल होते हैं, जहां वे खास कपड़े पहनते हैं, जैसे पगड़ी और पारंपरिक वस्त्र। इस दौरान, उनके साथ दो मंत्री और सैनिक भी होते हैं, जो उनका साथ देते हैं। इन तीनों की मौजूदगी मन्नान समुदाय के लिए बहुत मायने रखती है, क्योंकि यह आदिवासी परंपरा का हिस्सा है।

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होना एक गर्व की बात है

रमन राजमन्नान के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की खबर उनके समुदाय में खुशी का कारण बनी हुई है। ओआर केलू, जो कि केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हैं, ने रमन राजमन्नान को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया था। यह उनके लिए सम्मान की बात है, क्योंकि यह पहली बार है जब एक आदिवासी राजा को इस तरह का सम्मान मिल रहा है। गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनने से रमन राजमन्नान के समुदाय का नाम देशभर में फैल जाएगा। यह उनके समाज की पहचान को और मजबूत करेगा। इसके अलावा, यह आदिवासी समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण बन सकता है, क्योंकि यह साबित करेगा कि उनके संघर्ष और परंपराओं को भी देश में पहचाना जाता है।

साधारण लोग, फिर भी सम्मानित समुदाय

रमन राजमन्नान और उनके समुदाय के लोग आज भी साधारण जीवन जीते हैं, लेकिन उनका सम्मान बहुत अधिक है। वे अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हुए जीवन जीते हैं और अपनी परंपराओं का आदर करते हैं। गणतंत्र दिवस परेड में रमन राजमन्नान का हिस्सा बनना यह दिखाता है कि भारतीय समाज में हर समुदाय का महत्व है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो। इस सम्मान के बाद, रमन राजमन्नान और उनके समुदाय को और अधिक मान्यता मिल सकती है। यह आयोजन उनके समुदाय की संघर्षों और कड़ी मेहनत का प्रतीक बन सकता है। वे साबित कर सकते हैं कि साधारण लोग भी बड़े सम्मान के पात्र होते हैं, अगर उनके पास अपनी पहचान और परंपराओं का सम्मान करने की ताकत हो।

क्या कहती है रमन राजमन्नान की कहानी?

रमन राजमन्नान की कहानी यह बताती है कि एक राजा होने के लिए जरूरी नहीं कि आपको किसी बड़े महल में रहना पड़े या विशाल राज्य का मालिक होना चाहिए। अगर आपके पास अपने लोगों का प्यार और सम्मान हो, तो आप किसी भी राजा से कम नहीं होते। रमन राजमन्नान ने यह साबित किया कि कोई भी व्यक्ति अपने समुदाय की सेवा कर सकता है और उसे एक नई दिशा दे सकता है। उनका गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होना सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि उनके पूरे समुदाय के लिए गर्व की बात है। यह एक संदेश है कि भारत के हर कोने से, हर जाति, हर समुदाय से, कोई न कोई विशेष पहचान है। और रमन राजमन्नान जैसे लोग उसे चमकाने का काम करते हैं।

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