Margashirsha Amavasya 2024: मार्गशीर्ष अमावस्या का हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में मार्गशीर्ष अमावस्या आती है। इसे अगहन अमावस्या (Margashirsha Amavasya 2024) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की शांति के लिए पितृ तर्पण, स्नान और दान करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
कब है इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या?
इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या दिसम्बर 1, रविवार को मनाया जाएगा। वैसे तो मार्गशीर्ष अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर को दिन में 11 बज कर 59 मिनट पर ही हो जा रहा है। इसकी समाप्ति अगले दिन 1 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर हो रही है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसम्बर को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या प्रारम्भ – 11:59, नवम्बर 30
मार्गशीर्ष अमावस्या समाप्त – 13:20, दिसम्बर 01
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
हर अमावस्या की तरह मार्गशीर्ष अमावस्या पर भी पितृ पूजा की जाती है। हालांकि, इस दिन की गई धार्मिक गतिविधियां अत्यधिक शुभ मानी जाती हैं। तिल तर्पण और पिंड दान से पूर्वजों को अगले जीवन में मुक्ति और शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है। साथ ही मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं और भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत पूजा विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन की गई पितृ पूजा उपवास करने वाले व्यक्ति और उसके पूर्वजों दोनों को उदार फल प्रदान करती है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को निम्नलिखित व्रत पूजा विधि का पालन करना चाहिए:
- सुबह किसी पवित्र नदी, सरोवर या तालाब में स्नान करें। बहते पानी में तिल डालें, गायत्री मंत्र का जाप करें या भगवान नारायण का नाम जपें, फिर सूर्य देव को अर्घ दें।
- पारिवारिक परंपरा के अनुसार भगवान शिव या भगवान विष्णु की पूजा करें।
- किसी पवित्र नदी के तट पर पितरों को उनके शांतिपूर्ण पुनर्जन्म या मोक्ष प्राप्ति के लिए तर्पण करें।
- मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करते समय पानी नहीं पीना चाहिए।
- बाद में किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन, कपड़े, चप्पल, अनाज आदि चीजें दान करें।
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