26 December Margashirsha Purnima: कल 26 दिसंबर को इस साल का आखिरी पूर्णिमा यानी मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जा रही है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का हिंदू शास्त्र में खास महत्व बताया गया है। पंचांग के अनुसार यह पूर्णिमा हर माह की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन आती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। जो व्यक्ति इस दिन पवित्र मन से व्रत और पूजा करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। उसे व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा, अगहन पूर्णिमा और बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस दिन कुछ कार्यो की मनाही भी होती है। जिसके करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आ सकती है। तो आइए जानते है मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किन कार्यो को नहीं करना चाहिए :—
अन्न का ना करें सेवन
अगर आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रख रहे है तो इस दिन किसी भी तरह का अन्न ग्रहण ना करे। इस दिन केवल फलाहार करें। कोशिश करें घर के दूसरे सदस्यों के लिए सात्विक भोजन यानि बिना लहसुन प्याज का खाना ही बनाए। वहीं इस देर तक ना सोए। सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का स्मरण करें। माना जाता है कि भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते है और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
तुलसी के पौधे से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान
विष्णु भगवान को तुलसी बेहद प्रिय है। इसलिए कोशिश करे कि पूर्णिमा के दिन तुलसी के पत्ते को ना तोड़े। इस दिन तुलसी तोड़ना काफी अशुभ माना जाता है। इसके अलावा सुबह स्नानादि और स्वच्छ होकर तुलसी के पौधें में तांबे के लोटे से जल चढ़ाए। वहीं इस दिन किसी भी व्यक्ति के लिए अपशब्दों का प्रयोग, लड़ाई या फिर किसी भी प्रकार से अपमान ना करें। ऐसा करने से आपके बनते काम बिगड़ सकते है। वहीं इस दिन बाल और नाखून काटने की भी मनाही होती है।
जानें क्या है शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानि 27 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं इस बार उदया तिथि में पूर्णिमा 26 दिसंबर को होने के वजह से पूर्णिमा का व्रत 26 दिसंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन पूजा के समय पीले वस्त्र धारण करें और रात में चंद्रोदय के समय कच्चे दूध में चावल व चीनी मिलाकर चंद्रमा को इस मिश्रण से अर्घ्य दे और अर्घ्य देते समय “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:” या ” ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. ” मंत्र का जाप करें।
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