Masik Kalashtami 2024

Masik Kalashtami 2024: माघ माह में कालाष्टमी के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Masik Kalashtami 2024: हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी (Masik Kalashtami  2024 ) मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव भगवान शिव का ही दूसरा स्वरूप है। हिंदू शास्त्रों में बाबा भैरव के तीन रूप बटुक भैरव, रुरु भैरव और काल भैरव बताए गए है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन काल भैरव की साधना करने से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिल जाता है। तो आइए जानते है क​ब है माघ मास में कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा और क्या है इसका शुभ मुहूर्त:—

कालाष्टमी व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

Masik Kalashtami 2024

पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष की तिथि 2 फरवरी के दिन शाम को 04 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा जो अगले दिन यानी 03 फरवरी की शाम 05 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में कालाष्टमी का व्रत 2 फरवरी, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वहीं कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। वहीं निशिता काल पूजा मुहूर्त देर रात 12 बजकर 8 मिनट से लेकर रात में 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। आप इन शुभ मुहूर्त में काल भैरव की पूजा और आराधना कर सकते है।

कालाष्टमी व्रत लाभ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति द्वारा कालाष्टमी व्रत करने से ग्रह दोष और अकाल मृत्यु का खतरा दूर हो जाता है। कालाष्टमी के दिन ॐ कालभैरवाय नम: का जप और काल भैरवाष्टक का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से बाबा भैरव प्रसन्न होते है और शनि व राहु के जातक के जीवन में पड़ने वाले अशुभ प्रभाव भी कम जाते है। काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति हर तरह की सिद्धि प्राप्त कर सकता है।

कालाष्टमी की पूजा विधि

Masik Kalashtami 2024

कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प ले। इसके बाद भगवान शिव या बाबा भैरव के मंदिर जाकर विधिवत रूप से भगवान की पूजा करे। शुभ मुहूर्त में काल भैरव की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना करे और फिर पूरे घर में गंगाजल छिड़के। इसके बाद काल भैरव को फूल चढ़ाए और भगवान के समक्ष धूप दीप जलाएं। धूप दीप से पूजा कर नारियल, इमरती, पान, मदिरा का भोग लगाए। इसके बाद भैरव चालीसा और मंत्रों का पाठ करे और पूजा के अंत में आरती करे और भगवान को प्रसाद का भोग लगाए। बता दें ​कि बाबा भैरव को तांत्रिकों का देवता भी माना जाता है कि इसलिए उनकी पूजा रात के समय भी की जाती है।

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