‘मैच फिक्सिंग’: सियासत और आतंकवाद का सस्पेंसफुल ड्रामा!
अभिनेता विनीत कुमार सिंह, जो अपनी बहुरंगी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उनकी ओटीटी सीरीज ‘रंगबाज: डर की राजनीति’ और फिल्म ‘सिया’ में उनकी एक्टिंग ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया है। अब वह अपनी नई फिल्म ‘मैच फिक्सिंग’ के साथ बड़े पर्दे पर लौटने के लिए तैयार हैं। इस फिल्म का फैंस में काफी उत्साह है, और इसकी रिलीज डेट भी घोषित कर दी गई है। फिल्म 15 नवंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है।
‘मैच फिक्सिंग’ कंवर खताना की किताब “द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर” पर आधारित है। यह फिल्म उन जटिल राजनीतिक हालातों को दर्शाएगी, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की खुफिया गतिविधियों और आतंकवादी हमलों से जुड़ी हैं। कहानी को अनुज एस मेहता ने लिखा है, और इसे एक थ्रिलर के रूप में पेश किया जाएगा, जिसमें मैच फिक्सिंग और राजनीति का ताना-बाना बुना जाएगा।
पहले ट्रेलर देख लें…..
हाल ही में निर्माताओं ने फिल्म का एक मोशन पोस्टर जारी किया है, जो फिल्म की भावनात्मक और थ्रिलिंग कहानी को पेश करता है। इस पोस्टर में साफ तौर पर दिख रहा है कि यह फिल्म दो देशों के बीच के संबंधों की जटिलताओं को उजागर करेगी। थ्रिलर फिल्में हमेशा दर्शकों का ध्यान खींचती हैं, और ‘मैच फिक्सिंग’ भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने का वादा कर रही है।
फिल्म में विनीत कुमार सिंह के अलावा अनुजा साठे और मनोज जोशी भी मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। विनीत कुमार सिंह की एक्टिंग में गहराई और विविधता को देखते हुए दर्शक उनके नए अवतार का इंतजार कर रहे हैं। फिल्म का निर्माण आर्टरेना क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड के तहत पल्लवी गुर्जर द्वारा किया गया है, जो इस फिल्म को दर्शकों के लिए एक नया अनुभव बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
क्या है किताब “द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर” की कहानी?
“द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर” एक किताब है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की राजनीतिक और आतंकवादी गतिविधियों का विश्लेषण करती है। इस किताब में यह दिखाया गया है कि आतंकवाद केवल एक आपराधिक गतिविधि नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई राजनीतिक खेल और धार्मिक कट्टरता भी शामिल हैं।
कहानी में मुख्य पात्र हैं: आर्यन मेहता, एक युवा पत्रकार, जो आतंकवाद और राजनीति के रिश्तों की खोज में है; सना खान, एक सामाजिक कार्यकर्ता, जो आतंकवाद से प्रभावित लोगों की मदद करने की कोशिश कर रही है; और कर्नल राघव, एक पूर्व भारतीय सेना अधिकारी, जो अपने अनुभवों से आर्यन को मार्गदर्शन करता है।
कहानी की शुरुआत आर्यन की एक रिपोर्टिंग से होती है, जिसमें वह एक आतंकी हमले के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करता है। आर्यन और सना की मुलाकात होती है, जहां सना उसे बताती है कि आतंकवाद ने कितनों की जिंदगी को प्रभावित किया है। दोनों मिलकर इस मुद्दे पर काम करने का निर्णय लेते हैं।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वे कर्नल राघव से मिलते हैं, जो उन्हें अपने अनुभवों और जानकारियों के माध्यम से मदद करता है। उनकी यात्रा में कई बाधाएं आती हैं, और वे एक बड़ी साज़िश का पर्दाफाश करने की कोशिश करते हैं। कहानी का क्लाइमेक्स तब आता है जब आर्यन, सना और कर्नल मिलकर समझते हैं कि कुछ राजनीतिक ताकतें आतंकवाद का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही हैं।
सच्ची घटनाओं से प्रेरित है ‘मैच फिक्सिंग’
विनीत कुमार सिंह की नई फिल्म ‘मैच फिक्सिंग’ केवल एक थ्रिलर नहीं, बल्कि यह सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म में मालेगांव बम विस्फोट, भारतीय सेना के कर्नल और साध्वी प्रज्ञा जैसे असली पात्रों और घटनाओं की झलक देखने को मिलेगी, जो इसे और भी दिलचस्प बनाते हैं।
29 सितंबर 2008 को मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल से बांधकर रखे गए बम में हुए धमाके ने देश को हिला कर रख दिया। इस घटना में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 अन्य घायल हुए थे। ‘मैच फिक्सिंग’ में इस घटना को कहानी का एक अहम हिस्सा बनाया गया है, जो दर्शकों को यह समझाने की कोशिश करेगी कि आतंकवादी गतिविधियाँ सिर्फ एक साधारण घटना नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे गहरे राजनीतिक खेल भी होते हैं।
मालेगांव विस्फोट मामले में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया। इनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, जो वर्तमान में भाजपा सांसद हैं, और लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित शामिल हैं। इन सभी को भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, भारतीय शस्त्र अधिनियम, और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ा था। फिल्म इनसभी पहलू को भी दिखाने का प्रयास करेगी। बता दें 15 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली इस फिल्म का सभी को इंतजार है।