Mauni Amavasya in Mahakumbh: महाकुंभ में कल मौनी अमावस्या के दिन होगा तीसरा अमृत स्नान, तैयारियां पूरी

Mauni Amavasya in Mahakumbh: महाकुंभ में कल मौनी अमावस्या के दिन होगा तीसरा अमृत स्नान, तैयारियां पूरी

Mauni Amavasya in Mahakumbh: बुद्धवार 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में तीसरे अमृत स्नान का आयोजन होगा। 13 जनवरी को शुरू हुए महाकुंभ में अब तक दो अमृत स्नान (Mauni Amavasya in Mahakumbh) आयोजित हो चुके हैं। इसके बाद तीन और अमृत स्नान- 3 फरवरी (बसंत पंचमी), 12 (माघी पूर्णिमा), और 26 (महा शिवरात्रि)- को आयोजित होंगे।

अमृत स्नान के लिए तैयारियां पूरी

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya in Mahakumbh) के दिन तीसरे अमृत स्नान (Third Amrit Snan) को लेकर सरकार ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि श्रद्धालु उसी सेक्टर या जोन से वापस लौटें जहां वे पहुंचे हैं और किसी भी परिस्थिति में श्रद्धालुओं को संगम नोज या अन्य जोन में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार ने कहा कि सभी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सर्कल अधिकारी, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और सेक्टर मजिस्ट्रेट को व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में व्यवस्था की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है।

मौनी अमावस्या होता है महाकुंभ का सबसे प्रमुख दिन

महाकुंभ (Mahakumbh) का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) होता है। इस दिन प्रयागराज में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। स्नान के लिए 12 किलोमीटर लंबा घाट बनाया गया है। श्रद्धालुओं को अपने प्रवेश बिंदु के सबसे नज़दीकी घाट पर स्नान करने और अन्य क्षेत्रों में जाए बिना वहां से लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। घाटों पर भीड़भाड़ को रोकने के लिए निकासी दल तैनात किए जाएंगे, जिसमें श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

12 वर्षों के बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम और त्रिवेणी संगम पर एक प्रमुख हिंदू तीर्थ माना जाता है। महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ था और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा।

महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या का महत्व

इस साल, मौनी अमावस्या प्रयागराज में महाकुंभ मेले के साथ ही पड़ रही है, जिससे इसका महत्व (Significance of Mauni Amavasya in Mahakumbh) और भी बढ़ गया है। भक्तों का मानना ​​है कि इस दिन त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम) में पवित्र स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष मिलता है। पूर्वजों को प्रार्थना करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि उनसे प्राप्त आशीर्वाद सुख और समृद्धि लाता है।

मौनी अमावस्या पर क्या करें?

पवित्र स्नान: भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने और पिछले पापों के लिए क्षमा मांगने के लिए गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
मौन व्रत: कई लोग पूरे दिन मौन व्रत रखते हैं, इस समय का उपयोग आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक विकास के लिए करते हैं।
उपवास: इस दिन उपवास रखना एक आम बात है। कुछ लोग भोजन और पानी से परहेज़ करते हैं, जबकि अन्य कुट्टू, तले हुए आलू और समा की खीर जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।

पितृ पूजा: पूर्वजों को तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। सरसों के तेल से दीया जलाकर उसे पीपल के पेड़ के नीचे रखना पूर्वजों की याद में मनाई जाने वाली एक और परंपरा है।
दान: मौनी अमावस्या पर दान के कार्यों का विशेष महत्व होता है। भक्त जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं या मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों में दान करते हैं।
आध्यात्मिक चिंतन और अनुष्ठानों का दिन: मौनी अमावस्या आध्यात्मिक चिंतन, पूर्वजों को श्रद्धांजलि और दान-पुण्य का दिन है। अपने गहरे महत्व के साथ, यह अनुष्ठान धार्मिक कैलेंडर में एक विशेष स्थान रखता है, जो देश भर में पवित्र नदियों और मंदिरों में लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

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