Mayawati expels Ashok Siddharth

बसपा में मचा बवाल! मायावती ने अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को क्यों किया निष्कासित?

बसपा का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिर रहा है, लेकिन पार्टी प्रमुख मायावती अनुशासन को लेकर सख्त बनी हुई हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा को भारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद मायावती ने कड़ा फैसला लिया। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को बसपा से बाहर कर दिया। खास बात ये है कि अशोक सिद्धार्थ, मायावती के भतीजे आकाश आनंद के ससुर हैं, लेकिन इसके बावजूद मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कोई समझौता नहीं किया और उन्हें निष्कासित करने में देर नहीं लगाई।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी में गुटबाजी और अनुशासनहीनता के आरोप में दो बड़े नेताओं, डॉ. अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद नितिन सिंह, को पार्टी से बाहर कर दिया है। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं को पहले भी चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी रखीं। इस फैसले से बसपा के कई नेता हैरान हैं और इसे लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। अब सवाल उठ रहा है कि मायावती ने अचानक यह सख्त कदम क्यों उठाया और इसके पीछे की असली वजह क्या है?

अशोक सिद्धार्थ और मायावती के बीच की नाराजगी की वजह

अशोक सिद्धार्थ और मायावती के बीच की नाराजगी की वजह

बसपा प्रमुख मायावती काफी समय से अशोक सिद्धार्थ से नाराज चल रही थीं। अशोक सिद्धार्थ का जन्म 5 फरवरी 1965 को हुआ और वे उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज के रहने वाले हैं। वे बसपा के पुराने और भरोसेमंद नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनके पिता भी बसपा संस्थापक कांशीराम के करीबी सहयोगी रहे थे।

अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी में अलग-अलग अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं। वे एमएलसी से लेकर राज्यसभा सांसद तक रह चुके हैं। बसपा ने उन्हें कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में संगठन की जिम्मेदारी दी थी। इसके अलावा, वे यूपी के कई मंडलों का काम भी देख रहे थे।

हालांकि, मायावती उनके कामकाज से खुश नहीं थीं। तीन महीने पहले उन्होंने अशोक सिद्धार्थ को चेतावनी भी दी थी, लेकिन उन्होंने अपने तरीके नहीं बदले। पार्टी में गुटबाजी के आरोप लगने के बाद अब उन्हें बसपा से बाहर कर दिया गया है।

अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी में नहीं आईं मायावती 

अशोक सिद्धार्थ के बेटे की चार दिन पहले आगरा में शादी हुई। इस शादी में बसपा के कुछ खास नेताओं को ही बुलाया गया था। अशोक सिद्धार्थ ने उन राज्यों से अपने करीबी नेताओं को आमंत्रित किया, जहां-जहां वे पार्टी प्रभारी रहे हैं। यूपी से भी उन्होंने अपने चुनिंदा खास लोगों को बुलाया।

शादी समारोह में अशोक सिद्धार्थ के दामाद आकाश आनंद भी शामिल हुए। इस दौरान, कुछ मेहमानों की आकाश आनंद से मुलाकात भी हुई। हालांकि, मायावती इस शादी में नहीं आईं, जिससे यह साफ हो गया कि वे अशोक सिद्धार्थ से नाराज़ हैं।

बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी में कुछ खास नेताओं को अलग-अलग राज्यों से बुलाया था। लेकिन यह बात मायावती को पसंद नहीं आई। उन्हें बताया गया कि अशोक सिद्धार्थ ने सिर्फ अपने करीबी नेताओं को ही शादी में न्योता दिया था, जिससे उन्होंने अपना राजनीतिक प्रभाव दिखाने की कोशिश की।

शादी के अगले दिन मायावती ने दक्षिण भारत से आए बसपा नेताओं से मुलाकात की, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक रामजी गौतम भी मौजूद थे। इसके बाद, दूसरे ही दिन मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को बसपा से बाहर कर दिया।

आकाश आनंद है बसपा का भविष्य

आकाश आनंद है बसपा का भविष्य

बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से हुई है। इस रिश्ते के कारण अशोक सिद्धार्थ, मायावती के समधी और आकाश आनंद के ससुर बन गए हैं। मायावती ने पहले ही आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया हुआ है, लेकिन अशोक सिद्धार्थ इस रिश्ते को बसपा के नेताओं के सामने ज़्यादा महत्व देकर दिखाने में लगे थे।

कहा जा रहा है कि वे लगातार यह साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि बसपा का भविष्य आकाश आनंद हैं। इस रवैये को लेकर कई बार मायावती से शिकायत भी की गई थी। बताया जा रहा है कि मायावती इस बात से बेहद नाराज थीं।

बसपा प्रमुख मायावती ने कई बार अशोक सिद्धार्थ को चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। आखिरकार, पार्टी ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसी के साथ, पूर्व सांसद नितिन सिंह को भी पार्टी से निकाल दिया गया है, क्योंकि वह अशोक सिद्धार्थ के करीबी माने जाते हैं।

बसपा ने बताया कि दोनों नेताओं को पहले से चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद वे गुटबाजी और दूसरी अनुशासनहीन गतिविधियों में शामिल रहे। पार्टी के नियमों का उल्लंघन करने के कारण ही यह फैसला लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी के भीतर अपना अलग गुट बना लिया था, जिसकी वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया।

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिश

सूत्रों के मुताबिक, अशोक सिद्धार्थ 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्होंने इसके लिए बसपा प्रमुख मायावती से इजाजत नहीं ली थी। बताया जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात भी की थी, जिसमें प्रियंका गांधी के करीबी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल थे। जब मायावती को इस बारे में पता चला, तो वह अशोक सिद्धार्थ से नाराज हो गईं, क्योंकि बसपा ने पहले ही फैसला कर लिया था कि वह चुनाव अकेले लड़ेगी।

बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत में अहम भूमिका निभा रहे थे। कहा जाता है कि कांग्रेस की एक लॉबी, जो बसपा से हाथ मिलाने की कोशिश कर रही थी, उसके पीछे वही सूत्रधार थे।

अंटू मिश्रा से दूर रहने की सख्त हिदायत

अंटू मिश्रा से दूर रहने की सख्त हिदायत

इसके अलावा, मायावती ने उन्हें पूर्व मंत्री अंटू मिश्रा से दूर रहने की भी सख्त हिदायत दी थी। लोकसभा चुनाव के दौरान जब मायावती ने आकाश आनंद को किनारे कर दिया था, तो इसकी बड़ी वजह भी अशोक सिद्धार्थ ही माने गए।

मायावती अपनी पार्टी में किसी भी फैसले पर पूरी पकड़ रखती हैं और उनकी मर्जी के बिना कुछ भी होना नामुमकिन है। ऐसे में अशोक सिद्धार्थ का अपनी राजनीतिक राह बनाने की कोशिश करना उनके लिए भारी पड़ गया।

2016 से 2022 तक राज्यसभा सांसद भी रहे सिद्धार्थ

अशोक सिद्धार्थ ने मायावती के कहने पर सरकारी नौकरी छोड़कर बसपा की सदस्यता ले ली थी। नौकरी में रहते हुए वे वामसेफ से भी जुड़े रहे और जिला से लेकर विधानसभा और मंडल अध्यक्ष जैसी जिम्मेदारियां निभाईं। बसपा में आने के बाद वे एमएलसी बने और फिर 2016 से 2022 तक राज्यसभा सांसद भी रहे।

पार्टी में उनकी अहमियत तब और बढ़ गई जब मार्च 2023 में उनकी बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ की शादी मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई। इसके बाद अशोक सिद्धार्थ का रुतबा बसपा में काफी बढ़ गया और उन्होंने इसे सियासी रूप से भुनाने की कोशिश की। हालांकि, अब यही चीज उनके लिए भारी पड़ गई।

 

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