Mesha Sankranti 2024: लखनऊ । मेष संक्रांति पारंपरिक हिन्दू सौर कैलेंडर में नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन सूर्य मेष राशि (Mesha Sankranti 2024) में प्रवेश करता है इसलिए इसे मेष संक्रांति कहा जाता है। यह प्रकृति की उदारता के लिए देवताओं को धन्यवाद देने, रबी की फसल की कटाई करने और आने वाले वर्ष में समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करने का समय है। मेष संक्रांति भारत के भीतर विविध संस्कृतियों में वसंत और नवीकरण के सार का प्रतीक है।
मेष संक्रांति डेट और टाइमिंग (Mesha Sankranti Date and Timing)
इस वर्ष मेष संक्रांति (Mesha Sankranti 2024) शुक्रवार, 13 अप्रैल को पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र में होगी। नीचे एक तालिका है जिसमें पुण्य और महा पुण्य काल मुहूर्त के साथ-साथ मेष संक्रांति उत्सव की शुरुआत और समापन का सटीक समय बताया गया है।
सूर्योदय 13 अप्रैल, 2024 06:22 सुबह
सूर्यास्त 13 अप्रैल, 2024 06:55 शाम
पुण्य काल मुहूर्त 13 अप्रैल- सुबह 07:20 बजे से शाम 04:10 बजे तक
महा पुण्य काल मुहूर्त 13 अप्रैल- सुबह 09:33 बजे से दोपहर 1:58 बजे तक
मेष संक्रांति क्षण 13 अप्रैल, 2024 11:45 पूर्वाह्न
मेष संक्रांति के दिन मनाये जानें वाले त्यौहार (Festivals celebrated on Mesha Sankranti)
मेष संक्रांति (Mesha Sankranti 2024) को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नानमोन से त्यौहार मनाये जाते हैं। असम में, इसे रोंगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है; केरल में, विशु के रूप में; तमिलनाडु में, पुथंडु के रूप में; और पंजाब में, वैसाखी के रूप में। ओडिशा में इसे पण संक्रांति के नाम से जाना जाता है तो वहीँ पश्चिम बंगाल में इसे नव वर्ष या पोहेला बोइशाख के रूप में मनाया जाता है। हर त्यहार की अपनी अद्वितीय परंपरा है।
मेष संक्रांति का महत्व (Significance of Mesha Sankranti)
मेष संक्रांति (Mesha Sankranti 2024) पूरे भारत में गहरा सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व रखती है, जो सूर्य के मेष राशि में संक्रमण और सौर नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है। नवीकरण का प्रतीक यह शुभ अवसर, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक छवि को दर्शाते हुए, विविध अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत करता है, जो प्रकृति के पुनर्जनन के चक्र और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग विभिन्न उत्सव मनाते हैं। नया काम या उद्यम शुरू करने, निवेश करने और जीवन के नए चरणों में प्रवेश करने के लिए यह दिन अत्यधिक शुभ माना जाता है। मेष संक्रांति भारतीय समाज में कृषि के महत्व पर भी जोर देती है, क्योंकि किसान फसल के लिए देवताओं को धन्यवाद देते हैं और आने वाले वर्ष में भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जो भारतीय जीवन के आध्यात्मिक, सामाजिक और कृषि पहलुओं को एक साथ लाता है।
मेष संक्रांति कैसे मनाते हैं लोग (How People Celebrate Mesha Sankranti)
इस शुभ दिन पर लोग अपने अधिष्ठाता भगवान को याद कर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और गोदावरी में डुबकी लगाना लाभकारी माना जाता है।
आम के फल के गूदे से तैयार किया जाने वाला एक पारंपरिक पेय ‘पना’ इस दिन लोगों द्वारा सेवन किया जाता है। मेष संक्रांति (Mesha Sankranti 2024) का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ‘सात्विक’ या शुद्ध स्वच्छ शाकाहारी भोजन करना और किसी भी बुरी आदतों से बचना है। मेष संक्रांति नई शुरुआत का प्रतीक है और यह लोगों के एक साथ आने, खुशियाँ साझा करने और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का समय होता है।
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