उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में बुधवार को रिकॉर्ड 65.25 फीसदी मतदान हुआ। यह आंकड़ा पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी अधिक है। यहां तक कि 2022 में यहां 60 फीसदी ही वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार उपचुनाव में 65 फीसदी से ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई है। अब 8 फरवरी को वोटों की गिनती होगी, जब पता चलेगा कि इस सीट पर किसकी किस्मत चमकेगी।
मिल्कीपुर उपचुनाव: मतदान का रिकॉर्ड
मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार को सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान 65.25 फीसदी मतदान हुआ, जो कि 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी ज्यादा था। हालांकि, मतदान समाप्त होने के बाद यह आंकड़ा थोड़ा और बढ़ सकता था, क्योंकि कुछ मतदान केंद्रों पर शाम को भी मतदाता कतारों में खड़े थे। चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार मिल्कीपुर में वोटिंग का प्रतिशत ज्यादा रहा है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों में उत्साह देखा गया। यह एक संकेत है कि यहां के मतदाता अपनी राजनीतिक आवाज उठाने के लिए ज्यादा जागरूक हुए हैं।
उम्मीदवारों की किस्मत EVM में
मिल्कीपुर उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से सबसे प्रमुख उम्मीदवार थे समाजवादी पार्टी (SP) के अजीत प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चंद्रभानु पासवान। इसके अलावा, बसपा और कांग्रेस ने भी इस उपचुनाव में अपनी भूमिका निभाई, हालांकि बसपा ने उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। वहीं, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया है। मिल्कीपुर में यह चुनाव सपा और भाजपा के लिए खासा अहम है। भाजपा इस उपचुनाव को फैजाबाद लोकसभा सीट पर अपनी हार का बदला लेने के अवसर के रूप में देख रही है, जबकि सपा इस सीट को बचाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। 2022 में मिल्कीपुर सीट से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, और अब पार्टी इसे फिर से जीतने की कोशिश कर रही है।
अखिलेश यादव ने लगाए गंभीर आरोप
मिल्कीपुर उपचुनाव में मतदान प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव अधिकारियों पर फर्जी मतदान करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पीठासीन अधिकारी सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में मतदान करवा रहे हैं। अखिलेश यादव ने इस मामले में सोशल मीडिया पर एक कथित स्टिंग ऑपरेशन का ऑडियो क्लिप भी पोस्ट किया और चुनाव आयोग से इस पर कार्रवाई की मांग की। यादव ने आरोप लगाया कि ये अधिकारी फर्जी मतदान करवा रहे हैं और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष तरीके से हो रहा है और कोई भी धांधली नहीं हुई है।
मिल्कीपुर उपचुनाव की अहमियत
मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र अयोध्या जिले का हिस्सा है, जो धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। इस सीट पर भाजपा और सपा दोनों के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा इस सीट को फिर से जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है, जबकि सपा इसे बचाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। सपा और भाजपा के बीच यह मुकाबला इस सीट के लिए सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा बन चुका है। दोनों ही दल इसे अपनी ताकत और प्रभाव दिखाने का मौका मान रहे हैं।
रिजल्ट 8 फरवरी को
मिल्कीपुर उपचुनाव के रिजल्ट 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आखिरकार इस चुनाव में किस पार्टी की किस्मत चमकेगी—क्या सपा अपनी सीट बचा पाएगी या फिर भाजपा इस सीट को जीतकर अपनी हार का बदला ले पाएगी? मतदान के बाद अब सबकी नजरें EVM पर हैं, क्योंकि यही तय करेगा कि इस सीट पर अगले पांच साल के लिए किस पार्टी का कब्जा होगा। इस उपचुनाव के रिजल्ट का असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ सकता है, और अगले लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी यह एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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