MLA Phone Tapping Case: जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने राजस्थान फर्स्ट के साथ बातचीत में कबूल किया कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही उनका गहलोत पर से विश्वास खत्म हो गया था। इसलिए वह अपने बचाव में जुट गए और गहलोत के साथ टेलीफोन पर जो बातें होती थीं उसे वह रिकॉर्ड कर लेते थे। लोकेश शर्मा का दावा है की यही वह चीज हैं जो आज उनके बचाव में काम आ रही है, क्योंकि गहलोत ने उनसे पूरी तरह किनारा कर लिया है। यदि गहलोत उनके सिर से हाथ नहीं हटाते तो वे भी उनके राजदार बने रहते। पेश है उनसे हुई बातचीत…..
सवाल- इतने समय लंबे समय तक अशोक गहलोत के साथ रहने के बाद अब आप उनके खिलाफ बोल रहे हैं।
जवाब- मैं सिर्फ सच्चाई व्यक्त कर रहा हूं, इसे खिलाफत नहीं कहा जा सकता। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर मैंने कहा था, कि क्या कारण रहे कि हम वापस नहीं आ पाए, यह सवाल उठाना जरूरी था। गहलोत हठधर्मिता की वजह से सही फैसला नहीं ले पाए, अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें टिकट दिलाया, वो लोग चुनाव हार गए।
सवाल- फोन टैपिंग को लेकर पहले आपने जांच एजेंसियों को बयान दिए की ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया से प्राप्त हुए, अब आप कुछ और बता रहे हैं।
जवाब- पहले जो कुछ मैंने कहा वह मुख्यमंत्री के निर्देश पर कहा और अब जो मैं व्यक्त कर रहा हूं वह पूरी तरह से सच्चाई है। 16 जुलाई 2020 की घटना है, मुझे फोन करके होटल फेयर माउंट बुलाया गया। जहां मुख्यमंत्री के समर्थक विधायकों को रखा गया था। मुख्यमंत्री सुबह शाम वहां जाते थे कि विधायक कम तो नहीं हो गए। वहां से सीएम मुख्यमंत्री निवास चले गए। उनके पीएस रामनिवास का फोन आया कि सीएम बुला रहे हैं, अर्जेंट काम है। सीएमआर में उनके पिंक हाउस चेंबर में उनसे मिला, वहां उन्होंने मुझे पेन ड्राइव और एक प्रिंटेड पेपर दिया। मुझे कहा कि इसमें जो भी है उसे इमीडिएट मीडिया को सर्कुलेट कर दो।
सवाल- उन्होंने बताया नहीं कि उसमें क्या है।
जवाब- बिल्कुल नहीं बताया, वह पूछना मेरा काम भी नहीं है। वह जो भी निर्देश मुझे देते हैं उनका पालन करना मेरी ड्यूटी है। मैंने घर आकर पेन ड्राइव से फाइल लैपटॉप पर ली और, फिर अपने मोबाइल पर और तुरंत उन मीडिया ग्रुप में व्हाट्सएप कर दी, जो ग्रुप मैंने बनाया था।
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सवाल- तो आप यह कह रहे हैं कि आपने उसे अनजाने में सर्कुलेट कर दिया।
जवाब- नहीं अनजाने में नहीं, मुझे जो सर्कुलेट करने को कहा गया था वह मैंने कर दिया। मुख्यमंत्री के निर्देश थे, कि करना है।
सवाल- आप पहले लगातार बोलते रहे कि मुझे सोशल मीडिया से ऑडियो क्लिप मिली थी, अब आप बात क्यों बदल रहे हैं।
जवाब- मुझे निर्देश दिए गए थे कि आपको यह नहीं बताना है, कि कहां से मिले। जांच एजेंसी या मीडिया पूछे तो यही कहानी बताना है कि सोशल मीडिया से मिले। मैंने तो उन आदेशों की पालना की। उस घटनाक्रम के बाद राजस्थान में सरकार बच गई। गजेंद्र सिंह शेखावत ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। तब मैं मुख्यमंत्री के प्रोटेक्शन में था, उन्होंने कहा था की चिंता मत करो, हमें सुप्रीम कोर्ट तक भी जाना पड़ा, तो जाएंगे। यह भरोसा जब प्रदेश का मुख्यमंत्री मुझे दे, तो कौन व्यक्ति होगा जो सोचेगा कि मुझे चिंता करने की आवश्यकता है।
सवाल- तो अब जब गहलोत के पास सत्ता नहीं है तो आप बदल गए।
जबाव- अब एक साल से उन्होंने उस केस पर बात करना ही बंद कर दी। जब-जब में क्राइम ब्रांच में पूछताछ के लिए गया, हर बार मैंने उनसे बात की, कि मुझे वहां जाना है, तो उन्होंने मुझे यही कहा कि आप वही बात कहना जो अब तक कहते आए हैं और मीडिया में कहा है। मैंने वही किया। तीन साल तक मैंने जांच एजेंसी के टॉर्चर को बर्दाश्त किया। मुझे आठ-दस घंटे बैठ कर रखा गया। पिछले 6 महीने इसी जद्दोजहद में था, कि मेरा आगे क्या होगा, मैं करूंगा क्या। जब तक मुख्यमंत्री का साथ था, मैं आश्वस्त था, लेकिन उन्होंने इस केस पर बात करना ही बंद कर दिया। मुझे अकेला छोड़ दिया। कांग्रेस पार्टी में किसी भी व्यक्ति ने मुझे मोरल सपोर्ट भी नहीं किया, क्योंकि सबकी नजरों में यही था कि खुद मुख्यमंत्री साथ हैं तो बाकी लोगों को बोलने की आवश्यकता ही नहीं है।
इन सारी चीजों से जब मैं परेशान हो गया, मुझे लगा कि मुझे अकेला छोड़ दिया गया महाभारत के अभिमन्यु की तरह, लेकिन मैं अभिमन्यू बनाकर अपनी जान नहीं गवां सकता। मुझे भी राजनीति में बहुत लंबा समय हो गया है। जैसा कि इनका पिछला इतिहास रहा है, कि अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी को या जिससे भी खतरा होता है, उसे कैसे निपटाते हैं। यदि मेरे पास सारे प्रूफ नहीं होते तो कौन मेरी बातों पर भरोसा करता।
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सवाल- किस तरह के सबूत हैं आपके पास।
जवाब- ऑडियो क्लिप सर्कुलेट करने वाले डिवाइस डिस्ट्राय करने के लिए उन्होंने मुझे निर्देश दिए थे। एक-एक चीज मुझसे पूछी, मुझसे कहा कि वह लैपटॉप दूसरे राज्य में भेज दो या मेरे पास लेकर आ जाओ, मैं नया लैपटॉप दे दूंगा। वह डिवाइस जिससे आडियो क्लिप सर्कुलेट किया था, वह डिस्ट्रॉय कर दिया कि नहीं। जब मैंने कहा कि कर दिया तो दोबारा पूछा 200% कर दिया ना। फिर भी जो व्यक्ति गलत करता है उसे डर रहता है कि कहीं बेनकाब ना हो जाए। इस डर से उन्होंने मेरे कार्यालय में एसओजी की रेड करवाई। जब कुछ नहीं मिला तो, उन्होंने उस दिन के बाद से मुझसे किनारा कर लिया।
सवाल- अशोक गहलोत के साथ आपकी बातचीत की जो क्लिप अपने मीडिया को दी, क्या वो आपने रिकॉर्ड की थी।
जवाब- हां, वह मेरे पास उपलब्ध थी, क्योंकि मुझे भी तो अपने बचाव के लिए कुछ ना कुछ चाहिए था।
सवाल- तो उस समय सीएम से आप जब बात करते थे, तो वह फोन आप रिकॉर्ड करते थे।
जवाब- नहीं सभी कॉल रिकॉर्ड नहीं करता था। डिवाइस में कुछ इनबिल्ट एप्लीकेशन ऐसी होती है। जहां-जहां मुझे लगता था, कि भविष्य में आवश्यकता पड़ सकती है, उन चीजों का मैं भी ध्यान रखता था। वही तो वजह बनी, कि मैं आज अपने आप को पूरी तरह बेकसूर बताने की स्थिति में हूं, अन्यथा तो बिल्कुल साफ तौर पर मना कर दिया जाता कि हमने किसी को कुछ दिया ही नहीं, तब मैं कहां जाता, क्या करता। बिना गलती के भी सजा भगतनी पड़ती।
सवाल- मतलब आपको उस समय ही लगने लगा था, कि आगे कुछ भी हो सकता है। इसलिए आप उनके साथ जब कन्वर्सेशन होता था उसे रिकॉर्ड करने लगे।
जवाब- जैसा कि उनका इतिहास रहा है, कि अपना काम निकल जाने के बाद उन्हें, उस व्यक्ति से कोई मतलब नहीं होता, जिसने उनके लिए अपने पूरे जीवन को दांव पर लगा दिया। तो अपने बचाव के लिए कुछ तो हमें भी रखना होता है और वही मैंने किया।
सवाल- एक और क्लिप आपने दी थी, किसी मीटिंग की वह भी रिकॉर्ड की थी।
जवाब- उस समय रीट में पेपर लीक का मामला था। इस मामले पर मीटिंग चल रही थी, जिसमें फैसला हुआ की बोर्ड अध्यक्ष डीपी जरौली को बर्खास्त किया जाए। उन्होंने जरौली का बचाव किया कि वह तो अपना आदमी है, ऐसे कैसे कर सकते हैं। मुझे मुख्यमंत्री ने मीटिंग से फोन किया था, इस दौरान जो मीटिंग चल रही थी उसकी आवाज आ रही थी।
सवाल- आपने कहा कि सीएमआर में इसकी प्लानिंग होती थी, कि विरोधियों को कैसे घेरा जाए।
जवाब- वह अपने बेटे की हार का बदला लेना चाहते थे, इसलिए संजीवनी मामले में रोज कवायद होती थी, उससे जुड़े लोगों को बुलाया जाता था, वीडियो बनाए जाते थे और सर्कुलेट किए जाते थे। इसी तरह सचिन पायलट और उनके लोगों के फोन सर्विलांस पर लिए गए थे। उनकी एक-एक एक्टिविटी को ट्रैक किया जाता था। सचिन पायलट को वे फूटी आंख भी नहीं देखना चाहते हैं। सीएमआर में इसी तरह के षड्यंत्र रचे जाते थे और कोई काम नहीं होता था।
सवाल- टाइमिंग को लेकर बड़ी चर्चा रही, कि पहले जब गहलोत सत्ता से बाहर हुए, तब आपने खुलासा किया और अब खुलासा तब किया जब जालौर में वोटिंग होने वाली थी।
जवाब- मैं विधानसभा चुनाव से पहले बोलता, तो हार का ठीकरा मुझ पर फोड़ देते। मैं अशोक गहलोत को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। मैं तो अपनी बात कहना चाहता हूं। उन्होंने मुझे आश्वासन दे रखा था, तो मैं 3 साल चुप रहा, तो क्या आगे नहीं रह सकता था। जब मेरे सिर पर से हाथ हटा लिया, तो मुझे अपने बचाव के लिए जो करना था किया।
सवाल- आपके ऑफिस में अभी भी अशोक गहलोत के साथ आपके कई फोटो लगे हैं।
जवाब- मैंने पहले भी कहा कि मैं उनके खिलाफ नहीं बोल रहा हूं, केवल सच्चाई बोल रहा हूं। दूसरा, वे मेरे आदरणीय थे हैं और रहेंगे। उन्होंने जो कुछ भी किया है मेरे साथ, उससे मुझे परेशानी है। मुझे इस तरह से अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, मैं 15 वर्ष उनके साथ था। 2013 में जब इनके साथ दो लोग भी नहीं खड़े थे, तब हमने सोशल मीडिया की टीम बनाकर उनके साथ काम किया।