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100 से ज्यादा आपराधिक मामले लेकिन एक बार भी जेल से निकला तो हो सकता है एनकाउंटर ! कौन है Mafia Atiq Ahmed ?

24 फरवरी 2023 को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में शाम 5:30 बजे के आस पास गोलियों और बमों की आवाज़ होती है। बिलकुल वैसा ही दृश्य होता है जैसा फिल्मों में देखने को मिलता है। हमला राजू पाल हत्याकांड में गवाह उमेश पाल पर किया जाता है। उमेश पाल पर हुआ हमला इतना डरावना था कि 24 घंटे के अंदर मामला दिल्ली तक गूंजने लगा। विधानसभा में CM योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच बहस हुई।  cm योगी ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही। 18 साल पहले थोड़ी सी ही दूर इसी तरह इसी इलाके में राजू पाल का कत्ल हुआ था। राजू पाल BSP (Bahujan Samaj Party) के टिकट पर निर्वाचित एक विधायक थे। जो अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के इलाके में उनको चुनौती देकर जीते थे। राजू पाल और उमेश पाल की हत्या में कई चीज़ें मैच करती हैं। और हत्या का आरोप भी अतीक अहमद पर है ।  

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कौन है अतीक अहमद ? 

70 के दशक की बात है तब प्रयागराज को अलाहबाद कहा जाता था। उन दिनों उद्योग लग रहे थे, नए कॉलेज बन रहे थे।  नए लड़कों में अमीर बनने का चस्का ऐसा था और वो उसके लिए कुछ भी कर सकते थे। अलाहबाद के चकिया नाम के मोहल्ले में 1989 में एक तांगा चलाने वाले के बेटे पर 17 साल की उम्र में हत्या का आरोप लगा और फिर वो कहीं नहीं रुका। वो था अतीक अहमद। फिरोज़ तांगेवाले का बेटा अतीक। 

अतीक का राजनितिक कनेक्शन 

इस समय अतीक पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। वो इस समय 2019 से गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती जेल में बंद है। उसकी आपराधिक कहानी उन्नीस सौ उनासी में शुरू हुई और 10 साल बाद उसने राजनीति में कदम रखा। 1989, 1991 और 1993 में चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहबाद पश्चिम विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। फिर वो समाजवादी पार्टी की टिकट पर इस सीट से 1996 का चुनाव लड़ा और जीत गया। 1999 में वो अपना दाल में शामिल हो गया , लेकिन प्रतापगढ़ सीट हार गया।  हालांकि फिर उसने अपना दाल के टिकट पर 2002 के विधानसभा चुनाव में इलाहबाद पश्चिम सीट जीत ली।  इसके बाद 2003 में अतीक सपा के पाले में लौट आया और 2004 में फिर वो फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से जीत गया। उसे 2005 में राजू पाल की हत्या में आरोपी के रूप में नामित किया गया।  2012 के विधानसभा चुनावो में अतीक ने फिर से उसी सीट से ‘अपना दल’ के साथ अपनी किस्मत आजमाई पर हार गया।  2014 में सपा के टिकट पर श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव लड़ा था पर फिर भी उसे हार का सामना करना पड़ा। 2019 में जब वो जेल में था तब उसने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से नामांकन दाखिल किया लेकिन उसे सिर्फ 855 वोट ही मिले। 

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