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MP Election Result: कैसे शिवराज सिंह ने अपनी पार्टी में सत्ता विरोधी लहर का मोड़ा रुख, देखिए ये रिपोर्ट…

MP Election Result How Shivraj Singh Chauhan Change name of Assembly Election 2023
MP Election Result How Shivraj Singh Chauhan Change name of Assembly Election 2023

MP Election Result: भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में एक बार फिर सत्ता पर काबिज होती दिख रही है। राज्य से शिवराज सिंह चौहान को विदा करने का रास्ता तलाश रहे विरोधियों को भी चौंका देने वाला जवाब मिला है। चौहान एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रहे हैं। भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव में शिवराज को चेहरा नहीं बनाया, लेकिन केंद्र में शिवराज ही दिखे। उन्होंने 230 विधानसभा सीटों में से 160 सीटों पर जबरदस्त रैलियां और बैठकें कीं।

शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहन योजना चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई। इस बंपर जीत के पीछे महिला वोटरों की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। आइए जानते हैं कि कैसे चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज ने सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाते हुए एमपी की सीट अपने नाम की।

महिलाओं के बीच लोकप्रिय हैं शिवराज

शिवराज की वापसी में लाडली बहन योजना ने सबसे अहम भूमिका निभाई। इस योजना ने चौहान की राजनीतिक किस्मत बदल दी। लाडली बहन योजना के तहत मध्य प्रदेश की 1।31 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। एमपी की 7 करोड़ आबादी में लाडली बहन योजना के लाभार्थियों ने जमकर शिवराज को वोट दिया। महिलाओं और लड़कियों के लिए शिवराज का नाम एक अमानत है, इस पर उन्हें विश्वास था।

इस चुनाव में शिवराज ने न सिर्फ अपनी योजना का प्रचार किया बल्कि अपने पुराने रिकॉर्ड का हवाला देकर अपने 18 साल के शासनकाल का गुणगान भी किया।

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मध्य प्रदेश में बीजेपी ने किसी को सीएम चेहरे के तौर पर घोषित नहीं किया, लेकिन सर्वे में शिवराज सिंह चौहान आगे चल रहे हैं। यह लड़ाई शिवराज और कमल नाथ के बीच मानी जा रही थी। ऐसे में शिवराज की लोकप्रियता कमल नाथ पर बढ़ गई है। एग्जिट पोल सर्वे (MP Election Result) में भी शिवराज पहली पसंद बनकर उभरे हैं। इसका फायदा बीजेपी को चुनाव में मिलना चाहिए। महिलाओं के बीच शिवराज की अपनी लोकप्रियता है, जबकि कमल नाथ की उस तरह की पकड़ नहीं है।

माँ का इमोशनल कार्ड

इस चुनाव में बीजेपी ने शिवराज को मध्य प्रदेश में सीएम पद का उम्मीदवार नहीं बनाया। चुनाव प्रचार के दौरान कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर एमपी में बीजेपी जीत भी गई तो भी शिवराज सीएम नहीं बनेंगे। इससे यह संदेश गया कि शिवराज की स्थिति कमजोर है। लेकिन शिवराज ने इस मुद्दे पर इमोशनल कार्ड खेला। प्रचार के दौरान शिवराज ने मतदाताओं और महिलाओं से साफ पूछा कि क्या आप नहीं चाहते कि आपका मामा, आपका भाई मुख्यमंत्री बने? शिवराज के इस सवाल पर मतदाताओं ने जोर-शोर से उनके पक्ष में प्रतिक्रिया दी। अब आंकड़े भी बता रहे हैं कि मतदाताओं ने ना सिर्फ प्रतिक्रिया दी है, बल्कि उन्होंने शिवराज को जमकर वोट भी दिया है।

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शिवराज अपने आप में एक ब्रांड बन गये

16 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज मतदाताओं के सामने एक ब्रांड बन गए। इस दौरान उन्होंने कई बीमारू राज्यों से सांसदों को बाहर निकाला है। कई शहरों का कायाकल्प किया। लोगों को काम करने का यह तरीका पसंद आया, उन्हें शिवराज ब्रांड पर भरोसा था, इसलिए लोगों ने शिवराज को वोट दिया। यहां बीजेपी का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का सिद्धांत शिवराज के लिए काम आया। जब योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचता है तो उनका सरकार और सिस्टम पर भरोसा बढ़ता है। यही वजह है कि लोग उन्हें 5 बार वोट (MP Election Result) कर रहे हैं।

हिंदुत्व ब्रांड और बुलडोजर फैक्टर

मध्य प्रदेश में संघ और हिंदुत्व की जड़ें गहरी हैं। यही कारण है कि तथाकथित सेक्युलर कांग्रेस को भी मप्र में सॉफ्ट हिंदुत्व पर निर्भर रहना पड़ा। लेकिन जब मतदाताओं को चुनना था, तो उन्होंने भाजपा के हिंदुत्व ब्रांड को चुना। शिवराज, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने हिंदुत्व का एजेंडा तय किया। यही वजह रही कि बीजेपी ने इस बार एमपी (MP Election Result) में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा।

सीएम योगी और अमित शाह अपनी हर रैली में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का जिक्र करते नजर आए। इसके अलावा लोगों को अयोध्या में राम मंदिर देखने के लिए भी आमंत्रित किया गया। यह भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से सुविधाजनक साबित हुआ है। इसके अलावा, शिवराज ने राज्य में चार मंदिरों – सुलकनपुर में देवलोक, ओरछा में रामलोक, सागर में रविदास स्मारक और चित्रकूट में दिव्य वनवासी लोक के विस्तार और स्थापना के लिए 358 करोड़ रुपये का बजट रखा है। उत्तर प्रदेश की तरह यहां भी शिवराज ने राजनीति के बुलडोजर ब्रांड का खूब इस्तेमाल किया।

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