MP First Phase LokSabhaElection2024: मध्यप्रदेश। देश भर में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां सभी दलों ने पूरी कर ली है। पूरे देश में 7 चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण के लिए ये तैयारियां अंतिम स्वरूप ले चुकी है। इसमें राजनीतिक दलों के साथ साथ भारतीय चुनाव आयोग (MP First Phase LokSabhaElection2024) ने भी प्रथम चरण के चुनावी मतदान से संबन्धित सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है। मध्य प्रदेश में प्रथम चरण में 29 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 6 ही सीट पर मतदान होना है।
मध्य प्रदेश में प्रथम चरण का चुनावी कार्यक्रम
मध्य प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया 20 मार्च से ही शुरू हो गयी थी। यानि 20 मार्च से नामांकन दाखिल करना शुरू हो गया था। इसके बाद नामांकन की आखिरी तारीख 27 मार्च तक की थी। इसके बाद काम था चुनाव आयोग का। जिसमें नामांकन पत्रों की जांच चुनाव आयोग (MP First Phase LokSabhaElection2024) ने की 28 तारीख को। हालांकि 30 मार्च तक का समय सभी उम्मीदवारों के लिए था कि अगर कोई नाम वापिस लेना चाहता है तो ले सकता है। पर इन सभी प्रक्रियाओं का समय निकाल गया है तो अब प्रथम चरण की तस्वीर साफ हो गयी है। अब 19 अप्रैल को देश भर में 7 चरणों में होने वाले चुनाव में प्रथम चरण का मतदान होगा। मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग ने 29 में से सिर्फ 6 सीटों पर मतदान प्रथम चरण में होना तय किया है।
मध्य प्रदेश में प्रथम चरण का चुनाव
मध्य प्रदेश में प्रथम चरण के चुनाव में 6 सीटों पर मतदान होना है। ये 6 सीटें हैं, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा। इन प्रथम चरण वाली 6 सीटों की बात की जाए तो इन 6 सीटों के अंतर्गत कुल मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 12 लाख 74 हज़ार, 754 है। इसमें सीधी में कुल, 20 लाख 21 हज़ार 392 मतदाता है। इनमें पुरुष मतदाताओं का आंकड़ा 10 लाख 47 हज़ार 933 है, वहीं महिला मतदाताओं (MP First Phase LokSabhaElection2024) की संख्या 9 लाख 73 हज़ार 442 है। कुल मतदाताओं में से 17 मतदाता थर्ड जेंडर के भी नामांकित हैं। शहडोल में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 72 हज़ार 929 है। इनमें भी पुरुष मतदाता की संख्या 8 लाख 99 हज़ार 234 है और वहीं महिला मतदातों की संख्या 8 लाख 73 हज़ार 929 है। थर्ड जेंडर के 19 वोटर इसी क्षेत्र से है।
जबलपुर और मंडला के आंकड़े
मध्य प्रदेश की प्रथम चरण में 2 और महत्वपूर्ण सीटों पर मतदान भी 19 अप्रैल को ही होना है। जबलपुर जहां कुल मतदाता 18 लाख 83 हज़ार 411 हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 9 लाख 57 हज़ार 90 हैं और महिला मतदाता 9 लाख 26 हज़ार 224 हैं। अगर बात मंडला लोकसभा क्षेत्र की करें तो वहाँ कुल मतदाता 20 लाख 97 हज़ार 51 हैं। जिनमें पुरुष मतदाता 10 लाख 48 हज़ार 96 हैं, वहीं महिला मतदाता 10 लाख 48 हज़ार 930 हैं।
बालाघाट और छिंदवाड़ा की राजनीतिक स्थिति
प्रथम चरण में ही होने वाले चुनाव में बालाघाट के मतदाताओं की गणना कुल 18 लाख 71 हज़ार 270 है। इनमें से कुल महिला मतदाता 9 लाख 41 820 हैं और कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 29 हज़ार 430 हैं। दूसरी तरफ छिंदवाड़ा सीट जो मध्य प्रदेश की भाजपा और काँग्रेस दोनों के लिए ही हार जीत की टक्कर है, उसमें कुल मतदाता 16 लाख 28 हज़ार 701 हैं। जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या 8 लाख 22 हज़ार 991 हैं और महिला मतदाता कुल 8 लाख 5 हज़ार 699 हैं।
सीधी सीट पर कौन आमने सामने?
मध्य प्रदेश की सीधी सीट पर भाजपा ने डॉ. राजेश मिश्र को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कॉंग्रेस ने कमलेश्वर पटेल को टिकट देकर भाजपा को टक्कर देने की स्थिति बनाई है। भाजपा के उम्मीदवार की बात की जाए तो डॉ. राजेश मिश्र 2009 से ही भाजपा में हैं। 2009 से 2024 तक के सफर में भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होने कई जिम्मेदारियाँ संभाली। पहले वो प्रदेश सह संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ रहे, इसके बाद पार्टी ने उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रभारी बना कर भेजा। 2018 – 2019 में सीधी में जिला में भाजपा के अध्यक्ष बने। अब उनकी बड़ी पारी (MP First Phase LokSabhaElection2024) का कदम सांसद बनने तक के लिए भाजपा ने उन्हें मौका दिया है। काँग्रेस के प्रत्याशी की कमलेश्वर पटेल 2013 में विधायक रह चुके हैं। इस हिसाब से राजनीतिक अनुभव रखते हैं, हालांकि 2023 के मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार विश्वामित्र से हार गए थे। कमलेश्वर पटेल को पूर्व विधायक और मंत्री रहे इंद्रजीत पटेल के उत्तराधिकारी के रूप में भी देखा जा रहा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रीति पाठक ने काँग्रेस के अजय पाठक को हराया था। हार का अंतर 2 लाख 86 हज़ार 524 था। ऐसे में काँग्रेस के लिए चुनौती बड़ी है। इसी को देखते हुए सीधी में काँग्रेस ने ओबीसी चेहरा उतारा है, क्योंकि यहाँ ओबीसी वोटर ज्यादा हैं। परंतु भाजपा ने ब्राह्मण चेहरा उतारा है, वो इसलिए क्योंकि मुक़ाबला मतदाताओं का देखा जाए तो हमेशा ओबीसी और सवर्ण के बीच ही होता है। सीधी में ब्राह्मण वोटर्स भी ज्यादा हैं।
शहडोल सीट सांसद – विधायक आमने सामने
मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट पर भाजपा की हिमाद्रि सिंह (MP First Phase LokSabhaElection2024) मैदान में हैं। वहीं काँग्रेस की तरफ से टिकट लेकर फुन्देलाल सिंह मार्को मैदान में हैं। परंतु शहडोल में वर्तमान भी भाजपा की प्रत्याशी हिमाद्रि सिंह ही सांसद है। हिमाद्रि सिंह ने काँग्रेस की प्रत्याशी प्रमिला सिंह को 4 लाख 50 हज़ार से भी ज्यादा वोटों से हराया था। जो अपने आप में रेकॉर्ड है। पिछले चुनाव यानि 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमाद्रि सिंह को कुल 4 लाख 3 हज़ार 333 वोट मिले जो की मतदान का 60.43 प्रतिशत था। वहीं काँग्रेस कि प्रमिला सिंह को मतदान का 27.84 प्रतिशत वोटों के साथ 3 लाख 44 हज़ार 644 वोट मिले थे। शहडोल लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभा सीटों पर काँग्रेस सिर्फ एक ही सीट पर है। हिमाद्रि सिंह ने 2017 में भाजपा के आदिवासी नेता नरेंद्र सिंह के साथ विवाह किया और 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा और जीती भी। इससे पहले हिमाद्रि सिंह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष का पद संभाल चुकी है। वर्तमान स्थिति में मौजूदा भाजपा की सांसद और काँग्रेस के मौजूदा विधायक मार्को आमने सामने हैं। फुन्दे लाल सिंह मार्को तीन बार जिला पंचायत सदस्य रहे, 2018 में और 2013 में दो बार विधायक भी रहे हैं। यहाँ आदिवासियों की गिनती ही चुनाव की हार – जीत तय करती है। आदिवासी वर्ग कि संख्या सबसे ज्यादा है। इस बार इस सीट पर कांटे की टक्कर है।
जबलपुर में किसका पलड़ा भारी?
जबलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने आशीष दुबे को टिकट (MP First Phase LokSabhaElection2024) दिया है। वहीं काँग्रेस की तरफ से मैदान में दिनेश यादव तैयार हैं। भाजपा के आशीष दुबे 1990 से ही राजनीति में सक्रिय भूमिका में रहे हैं। सन 2000 में आशीष दुबे को भारतीय जनता युवा मोर्चा के के जिला मंत्री बनाया गया। 2007 से तीन साल तक भाजयुमो के जिलाध्यक्ष के पद पर ही आसीन रहे। पहली बार चुनाव लड़ रहे आशीष दुबे सीधा सांसद का चुनाव रहे हैं परंतु इनको कई महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी पार्टी ने सौंपी है। दूसरी तरफ काँग्रेस के प्रदेश महामंत्री दिनेश यादव के पास 1984 से राजनीति में सक्रिय होने का अनुभव भी है। 1994 में पहली बार पार्षद तो बने ही इससे पहले युवा काँग्रेस के भी जिला अध्यक्ष के पद पर रहे। 2010 से 2022 तक काँग्रेस नगर अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाली। परंतु इस सीट पर भाजपा पिछले 30 सालों से जीतती आ रही है। और जीत भी रेकॉर्ड वाली रही है हमेशा से। पिछले चुनाव में भाजपा के राकेश सिंह को जनता ने 8 लाख 26 हज़ार 454 वोटों से जीत दिलवाई वहीं काँग्रेस के विवेक तंखा को महज़ 3 लाख 71 हज़ार 710 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इस जगह पर आदिवासी, ब्राह्मण और ओबीसी ही अधिक है जो हार जीत का फैसला करते हैं।
मण्डला में फिर से आमने सामने हैं फग्गन और मरकाम
मण्डला लोकसभा सीट पर कुल 8 विधानसभा सीटें आती है। इन सीटों में से 5 सीटें वर्तमान में काँग्रेस के हिस्से में हैं। 3 पर भाजपा ने साख बचा रखी है। भाजपा ने वर्तमान सांसद और केंद्र में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को ही सीट (MP First Phase LokSabhaElection2024) पर स्थायी किया है और रिपीट कर दिया। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते ने काँग्रेस के कमल सिंह मरावी को हराया था। फग्गन सिंह को 7 लाख 37 हज़ार 266 वोट मिले, दूसरी तरफ काँग्रेस के कमल सिंह मरावी को 6 लाख 39 हज़ार 592 वोटों से संतोष करना पड़ा। इसलिए इस बार काँग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है। 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीत कर भाजपा की तरफ से फग्गन सिंह विधायक बने। इसके बाद 1996 में लोकसभा चुनाव जीते और काँग्रेस की जीत वाली सीट पर भाजपा का झण्डा फहरा दिया। उसके बाद से लेकर अभी तक फग्गन सिंह ने मंडला सीट को हर बार भाजपा के खाते में डाला है। दूसरी तरफ ओमकार मरकाम टक्कर देने के लिए काँग्रेस कि टीकेट पर आए हैं। ओमकार मरकाम भी डिंडोरी से विधायक हैं। जो पहले स्थानीय राजनीति में प्रदेश के आदिवासी काँग्रेस के अध्यक्ष भी रहे और पिछले 4 चुनावों में विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक हैं। 2008 से लेकर 2023 से डिंडोरी सीट पर ओमकार ही जीत रहे हैं। इतना ही नहीं काँग्रेस की और कमलनाथ की सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। परंतु 2014 के लोकसभा चुनाव में ही फुलस्ते से हार चुके हैं। दस साल बाद फिर से दोनों आमने सामने हैं। मैदान वही है, वही प्रत्याशी हैं। परंतु इस बार काँग्रेस के लिए चुनौती बड़ी इसलिए भी हैं क्योंकि काँग्रेस के कई नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं।
बालाघाट में दोनों दलों ने उतारे नए प्रत्याशी
बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में दोनों ही दलों ने यानि भाजपा और काँग्रेस दोनों ने ही नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। एक तरफ भाजपा ने भारती पारधी को टिकट दिया तो दूसरी तरफ काँग्रेस ने सम्राट सारस्वत को टिकट दिया है। भाजपा ने इस बार पार्षद पद से सांसद का तक का सफर भारती को सौंपा है। भारती पारधी हालांकि राजनीति में नयी नहीं हैं, कई बार भाजपा के कई पदों पर रह कर राजनीति का अनुभव लिया है। वर्तमान में भी लालबर्रा कॉलेज की जनभागीदारी अध्यक्ष हैं। पहले राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रही हैं। इसके अलावा कार्यसमिति सदस्य, भाजपा उपाध्यक्ष, दो बार महामंत्री के पद पर रही हैं। काँग्रेस के उम्मीदवार सम्राट सारस्वत पूर्व में विधायक रहे अशोक सिंह के बेटे हैं, साथ ही जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर हैं। 2022 में जिला पंचायत सदस्य रहे, 1998 में पहली बार और दूसरी बार 2004 के उपचुनाव में विधानसभा सदस्य चुने गए। पिछले चुनाव में भाजपा के ढाल सिंह बिसेन को जनता ने 6 लाख 96 हज़ार 102 वोटों से विजयी बनाया था। वहीं काँग्रेस के मधु भगत 4 लाख 54 हज़ार 36 वोटों से हार गए थे। भारती पूर्व सांसद की बहू हैं और सम्राट पूर्व विधायक के बेटे हैं। दोनों ही राजनीतिक परिवारों से आते हैं। बालाघाट में पँवार वर्ग वोटों में निर्णायक रहते हैं और भारती उसी वर्ग से आती हैं। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 3 ही सीटों पर काँग्रेस जीत दर्ज कर पाई है। बाकी 5 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया है। इस हिसाब से काँग्रेस के लिए जीत दर्ज करना थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा है।
छिंदवाड़ा में होगी साख की हार जीत
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर साख की हार जीत इसलिए भी है क्योंकि काँग्रेस (MP First Phase LokSabhaElection2024) की सीट पर कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ हैं। पूर्व में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ के लिए और एकमात्र सीट पर जीतने वाले के लिए यही एक सीट थी जहां काँग्रेस ने मध्य प्रदेश में साख बचाई थी। भाजपा ने काँग्रेस के कमलनाथ के सामने विवेक बंटी साहू को उतारा है। अगर विवेक बंटी साहू की बात कि जाए तो दो बार युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष कि ज़िम्मेदारी मिली, वर्तमान में भाजपा के जिला आपदा प्रबंधन समिति के सदस्य हैं और साथ ही भाजपा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष भी हैं। पहली बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं। वहीं कमलनाथ पैतृक राजनीति का बढ़ावा देते हुए पिछले चुनाव 2019 में पहली बार ही चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ 5 लाख 47 हज़ार 305 वोटों के साथ जीत हासिल की। वहीं भाजपा के नाथन शाह 5 लाख 9 हज़ार 769 वोटों से हार गए। हालांकि जीत का आंकड़ा देखें तो ये नकुलनाथ के लिए पैतृक सीट की तरह है। परंतु जीत का आंकड़ा महज़ 37 हज़ार वोटों के आसपास ही था। इस बार ये जीत साख का सवाल है। जबकि भाजपा कमलनाथ के किले पर लगातार प्रहार कर रही है। हालांकि छिंदवाड़ा लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सीटों में से 7 विधानसभा सीटें भी काँग्रेस के ही कब्जे में है। यहाँ हार जीत का निर्णय ओबीसी और आदिवासी मतदाता ही करते हैं।