फरवरी में 28 दिनों के भीतर कई बार हिली धरती, दिल्ली-NCR से बिहार-नेपाल और इंडोनेशिया तक आए भूकंप

Earthquake In February 2025: फरवरी 2024 में दुनिया भर में तमाम जगह भूकंप के तेज़ झटके दर्ज किए गए हैं। दिल्ली-NCR से लेकर बिहार, नेपाल, इंडोनेशिया और पाकिस्तान तक धरती डोलती रही। बीती रात भी नेपाल और बिहार में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका असर कई शहरों में महसूस किया गया। इन भूकंपों की तीव्रता और प्रभाव ने लोगों में चिंता बढ़ा दी है। आइए जानते हैं कि क्यूं इस महीने (Earthquake In February 2025) भूकंप की छड़ी लग गई है और क्या होता है भूकंप की तीव्रता से मतलब?

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फरवरी 2024 में आए प्रमुख भूकंप

28 फरवरी: पाकिस्तान में भूकंप के झटके, तीव्रता 4.5

28 फरवरी: नेपाल और बिहार में भूकंप के झटके, तीव्रता 5.5

26 फरवरी: इंडोनेशिया में भूकंप के तेज झटके, तीव्रता 6.0

25 फरवरी: कोलकाता में भूकंप के झटके, तीव्रता 5.1

23 फरवरी: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में भूकंप, तीव्रता 3.8

23 फरवरी: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भूकंप, तीव्रता 2.8

22 फरवरी: वाशिंगटन, यूएसए में भूकंप, तीव्रता 3.4

21 फरवरी: उत्तराखंड में भूकंप, तीव्रता 3.5

21 फरवरी: कनाडा में भूकंप, तीव्रता 4.8

17 फरवरी: दिल्ली-NCR में भूकंप, तीव्रता 4.0

15 फरवरी: टेक्सास, यूएसए में भूकंप, तीव्रता 5.0

15 फरवरी: रूस में भूकंप, तीव्रता 5.7

10 फरवरी: मोरक्को में भूकंप, तीव्रता 5.1

09 फरवरी: केरल के कासरगोड में भूकंप, तीव्रता 2.5

02 फरवरी: राजस्थान के बीकानेर में भूकंप, तीव्रता 3.6

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बार-बार आ रहे भूकंप क्यों हैं खतरनाक?

वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती की अंदरूनी परतें लगातार हलचल में रहती हैं। टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण जब दबाव बढ़ता है, तो भूकंप आता है। फरवरी (Earthquake In February 2025) में नेपाल, भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, रूस, अमेरिका और कनाडा तक भूकंप के झटके महसूस किए गए, जो दर्शाता है कि धरती के अंदर ऊर्जा लगातार जमा हो रही है। इससे भविष्य में किसी बड़े भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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भूकंप की तीव्रता और प्रभाव

0 से 1.9: इतनी तीव्रता के भूकंप महसूस नहीं होते, सिर्फ भूकंप केंद्र ही इन्हें रिकॉर्ड कर सकता है।

2 से 3.9: हल्का कंपन महसूस होता है, लेकिन नुकसान की आशंका नहीं होती।

4 से 5.9: पंखे और घर का सामान हिलने लगता है, खिड़कियां टूट सकती हैं।

6 से 6.9: ऊंची इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है, खासकर हिमालय क्षेत्र में।

7 से 7.9: भारी तबाही हो सकती है, मकान गिर सकते हैं।

8 से 8.9: भयंकर तबाही, सुनामी का खतरा।

9 और उससे अधिक: पूरी तरह तबाही।

भूकंप की तीव्रता और प्रभाव

भूकंप क्यों आता है?

भूकंप धरती के अंदर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से आता है। धरती की सतह 12 बड़ी प्लेटों पर टिकी हुई है, जो हर साल 4-5 मिमी खिसकती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के नीचे खिसकती हैं, तो ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं।

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