राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Munawwar Rana: मुनव्वर राणा का ही एक मशहूर शेर है, “जिंदगी ताश के पत्तों की तरह है मेरी, और पत्तों को बहरहाल बिखर जाना है।” पत्ते बहरहाल बिखर गए। देश – विदेश में मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। लम्बे समय से मुनव्वर राणा लखनऊ के अस्पताल में भर्ती थे। रविवार देर रात उनके निधन की खबर ने उनके चाहने वालों को शोक में छोड़ दिया है।
काफी समय से बीमार थे मुनव्वर राणा
थोड़े समय पहले तक मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) तबियत ठीक होने की खबर को कई बार उनके बेटे तबरेज़ राणा और उनकी बेटी सुमैया राणा ने उनके चाहने वालों तक पहुंचाई थी। 2017 से ही उनकी तबियत में गिरावट आ रही थी। उस समय चिकित्सकीय जांच में पता चला उन्हें लंग्स और गले का इन्फेक्शन है। हालंकि इसके इलाज़ के बाद कई बार उनकी तबियत को लेकर सकारात्मक सूचनाएं भी आती रही। उनके घुटने का भी ओपरेशन हुआ। इसके बाद लगातार उनकी तबियत बिगडती चली गयी। गाल ब्लेडर में भी इन्फेक्शन हुआ जिसके लिए बीते साल ओपरेशन हुआ। इसके अलावा उन्हें ब्लड प्रेशर, किडनी और शुगर का भी इलाज़ चल रहा था।
शायर की जिंदगी की कहानी भी शायराना रही
26 नवम्बर 1952 को रायबरेली में जन्में मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) ने 71 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। माँ को लेकर उनकी शायरी हमेशा से मशहूर रही है। उनके शेर और गजलों को युवाओं में भी खूब पढ़ा और सुना जाता है। शायरी लिखने और कहने का अलहदा अंदाज़ हमेशा से चर्चों का केंद्र रहा है। 2014 में उन्हें भारत सरकार ने उर्दू भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया था। हालांकि इसके बाद उन्होने 2015 में ही वापिस लौटा दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने भविष्य में कोई भी सरकारी पुरस्कार लेने की भी घोषणा कर दी थी।
यह भी पढ़ें – Munawwar Rana : नहीं रहे मशहूर शायर मुनव्वर राणा, पढ़िए उनके 10 बेहतरीन शेर…
OTT INDIA आपको खबरों से रखेगा अपडेट
OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें