राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। #MunawwarRana: एक नामी शायर अपनी बातें दुनिया भर में छोड़ कर चला गया। मुनव्वर राणा ने 71 बरस की उम्र में लखनऊ के एक अस्पताल में अंतिम साँसें लीं। लम्बे समय से बीमार मुनव्वर दुनिया तो छोड़ गए पर, दुनिया में छोड़ गए वो शेर जिसे बोल कर माँ के लिए अपनी बात हर बेटा कहना चाहता है।
युवाओं में बहुत मशहूर है मुनव्वर राणा
मुनव्वर राणा (#MunawwarRana) की शायरी में वैसे तो ज़िन्दगी के हर पहलु का जिक्र मिलता है। पर माँ पर लिखी उनकी गजलों और शेरों ने उन्हें इस डिजिटल युग में खासा पहचान युवाओं के बीच दिलवा दी है। सोशल मीडिया पर अक्सर यूजर्स उनके शेर को अपनी माँ के लिए लिखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मुनव्वर राणा ने वो शेर कह दिए, जो हर इंसान अपनी माँ के लिए कहना तो चाहता है पर उनके पास शब्द नहीं होते।
माँ पर मुनव्वर का लिखा सबसे मशहूर शेर
मुनव्वर राणा (#MunawwarRana) ने माँ के लिए एक शेर लिखा और उसके बाद ज़ाहिर हुआ उनका दर्द। मुनव्वर लिखते हैं, “किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई” इस शेर के बाद उनके चाहने वालों ने तो उन्हें सराहा ही पर उनके आलोचकों के भी हृदय से आह और वाह निकले बिना नहीं रही।
माँ पर मुनव्वर राणा की यूँ चली कलम:
“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई।”
“जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है।”
“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है।”
“चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।”
“कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में,
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है।”
“ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ,
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा।”
“मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना,
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती।”
“लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।”
पीएम नरेन्द्र मोदी की माँ के देहांत पर भावुक होकर ये कहा
30 दिसम्बर 2022 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माँ हीरा बेन का देहांत हुआ था, तब एक इंटरव्यू में मुनव्वर राणा (#MunawwarRana) ने कहा था, “मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी माँ चली गयी है, मैं हमेशा यही दुआ करता हूँ कि सबकी माँ सलामत रहे। मोदी ने मेरी माँ के देहांत पर रायबरेली में शोक सन्देश का पत्र भेजा था। वहाँ मैं कर्जदार हो गया था। इसके बाद जब मैं उनसे मिला तो उन्हें मेरी लिखी “माँ” किताब भी दी। तब मोदी ने कहा कि वो इसे पढ़ चुके हैं। अब मोदी तो थोड़ा संभल कर चलना होगा, अब उनके पीछे उनके लिए दुआ करने वाली माँ नहीं रही है।”