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Mysterious Lake in India: भारत की सबसे रहस्मयी झील, जहां कंपास भी नहीं करता काम

Mysterious Lake in India

Mysterious Lake in India : भारत में कई ऐसी जगहें है जो लोगों के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी रहस्यमयी बनी हुई है। आज तक उनके बारे में खोज की जा रही है आज हम आपको भारत की ऐसी ही एक झील (Mysterious Lake in India) के बारें में बताने जा रहे है, जहां जाकर कंपास (दिशा सूचक यंत्र) भी भटक जाता है। अमेरिका की अंतरिक्ष एंजेसी नासा भी इसके पीछे का रहस्य सुलझाने में लगा हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे पुराणों में भी इस झील का वर्णन किया गया है, जिसमें इसे अद्भुत गुणों से भरपूर बताया गया है। तो आइए जानते है कि इस झील से जुड़ी कुछ रोचक बातें:—

रहस्यों से भरी लोनार क्रेटर झील

यह झील महाराष्ट्र में स्थित है जिसे लोनार क्रेटर के नाम से जाना जाता है। इससे जुड़े रहस्यों को जानने के लिए हमें इसके इतिहास में जाना होगा। कहा जाता है कि 52 हजार वर्ष पहले 2 मिलियन टन से भी ज्यादा वजनी एक उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया था। जिसकी गति 90 हजार किलो​मीटर प्रति घंटा थी। धरती पर तेजी से गिरने की वजह से बहुत बड़ा गड्ढा बन गया जो आज तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक खारे पानी की झील के रूप में दुनिया के सामने है। पहले इसे एक ज्वालामुखी माना गया था पर परीक्षण के बाद पता चला कि यह झील धूमकेतु के​ पृथ्वी से टकराने से बनी है।

कंपास भी यहां काम नहीं करता

आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां पर कंपास जैसा दिशा सूचक यंत्र भी काम नहीं करता। जैसे ही आप यहां पहुंचते है तो कंपास को भी दिशा भ्रम हो जाता है। वह सही दिशा नहीं बता पाता या फिर ऐसी दिशा बताता है जो सही नहीं होती। अमेरिकी अं​तरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक भी लंबे समय से इसके पीछे का रहस्य जानने समझने में जुटे हुए है लेकिन उन्हें अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आकाश से आने वाली असामान्य विद्युत चुम्बकीय तरंगें विद्युत उपकरणों के साथ परस्पर क्रिया करती है जो कंपास को भी समझ नहीं आता।

अकबर पीते थे झील का पानी

मुबंई से लगभग 500 किलोमीटर दूर स्थित लोनार झील का वर्णन हमारे पुराणों में भी मिलता है। इस झील का विस्तार स्कंद पुराण और पद्म पुराण में किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर लोनासुर नाम का एक राक्षस रहता था और वह लोगों को काफी परेशान करता था। उसके इस व्यवहार की वजह से एक दिन भगवान विष्णु ने उसे उठाकर पाताल में फेंक दिया और जिसकी वजह से यह गड्ढा बना। वहीं लोनार झील का उल्लेख पांडुलिपि आईन-ए-अकबरी में भी मिलता है जो 1600 ई. के आसपास प्रकाशित की गई थी। कहा जाता है कि ​अ​​कबर इस झील का पानी सूप में डालकर पीते थे।

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