Naga Sadhu Pramod Giri: प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 अपने चरम पर है। दो अमृत स्नान बीत चुके हैं और मौनी अमावस्या के दिन तीसरे अमृत स्नान की भव्य तैयारी चल रही है। महाकुंभ में इस समय लाखों भक्त, संत और साधु गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के पवित्र संगम पर डेरा लगाए हुए हैं। इस उत्सव में कई मनोरम दृश्यों के बीच, नागा साधुओं (Naga Sadhu Pramod Giri) की प्रथाएं, विशेष रूप से उनका अद्वितीय हठ योग अनुष्ठान, सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है।
कौन हैं नागा साधु प्रमोद गिरि महाराज?
महाकुंभ में कई नागा साधु अपने अलग-अलग हठ योग के कारण बहुत ही ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं। इन्ही में से एक हैं अटल अखाड़े के नागा साधु प्रमोद गिरि महाराज। यह (Naga Sadhu Pramod Giri) ऐसी शख्सियत हैं, जो अपने एक दम अलग तरीके के हठ योग से सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। महाकुंभ में इनके द्वारा भोर में किया जाने वाला अनुष्ठान इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।
भोर में नहाते हैं इतने घड़ों गंगा जल से
प्रत्येक दिन, भोर होते ही, ठीक 4:00 बजे, जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में नागा साधु प्रमोद गिरि महाराज (Naga Sadhu Pramod Giri Jal Tapasya) असाधारण स्नान करते हैं। महाकुंभ में नागा साधु प्रमोद गिरी ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे 82 घड़ों के गंगा जी के ठंडे पानी से प्रतिदिन ‘जल तपस्या’ अथवा स्नान करते हैं। स्नान के बाद वह कपड़े भी नहीं पहनते। उन्होंने इस जल तपस्या की शुरुआत 51 घड़ों के पानी से स्नान कर के की थी। धीरे-धीरे यह संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। हाल ही की एक सुबह, उन्होंने 82 घड़े पानी के साथ अपना अनुष्ठान पूरा किया, जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए।
102 घड़ों से स्नान करना है प्रमोद गिरी महाराज का लक्ष्य
प्रमोद गिरी (Naga Sadhu Pramod Giri Maharaj) बताते हैं कि उनका संकल्प है कि वह 24 तारीख तक 108 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान करेंगे। प्रतिदिन अपनी साधना में वह दो घड़ों (Jal Tapasya in Mahakumbh) की बढ़ोतरी करते हैं। अपने अनुष्ठान स्नान के बाद, महाराज अपने शरीर पर राख लगाते हैं, जो त्याग का प्रतीक एक पारंपरिक अभ्यास है, और एक पवित्र अग्नि के पास गहरे ध्यान में बैठते हैं। उनके दैनिक अनुष्ठान गहन हठ योग (Hath Yoga) का एक रूप हैं जिसका उद्देश्य मानवता को लाभ पहुंचाना और सनातन धर्म को कायम रखना है।
क्या कहना है प्रमोद गिरी महाराज का?
प्रमोद गिरी महाराज (Pramod Giri Maharaj) का कहना है कि वो मानवता और समाज के कल्याण के लिए यह अभ्यास करते हैं, इसके पीछे कोई स्वार्थ नहीं है। वह एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला लेकर, हम जब भी आवश्यक हो, सनातन धर्म के लिए खड़े होने के लिए तैयार हैं। यह हठ योग अभ्यास करने का उनका नौवां वर्ष है, और उनका कहना है कि जब तक गुरु महाराज की कृपा उनके साथ है, वो इस जल तपस्या को करना जारी रखेंगे। नागा साधु ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी जीवन शैली हमेशा आध्यात्मिक अनुशासन और तपस्या पर आधारित रही है।
बता दें कि परंपरागत रूप से, अनुष्ठान स्नान 41 दिनों तक चलता है, लेकिन महाकुंभ मेले की तार्किक चुनौतियों के कारण, इस वर्ष इसे 21 दिनों तक सीमित कर दिया गया है। महाराज के गहन समर्पण और हठ योग के उनके अनुशासित अभ्यास को देखकर भक्तों को गहराई से प्रभावित किया गया है, जिससे वे आध्यात्मिकता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता से प्रेरित हुए हैं।
क्या होता है हठ योग?
हठ योग, योग (What is Hath Yoga) की एक शाखा है जो शरीर और दिमाग में सामंजस्य स्थापित करने के लिए शारीरिक मुद्राओं (आसन), सांस नियंत्रण (प्राणायाम) और शुद्धिकरण तकनीकों पर जोर देती है। “हठ” शब्द “हा” (सूर्य) और “था” (चंद्रमा) को जोड़ता है, जो विरोधी ऊर्जाओं के संतुलन का प्रतीक है। हठ योग प्रदीपिका जैसे प्राचीन ग्रंथों में निहित, यह शरीर को मजबूत करके और मन को शांत करके उच्च आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए तैयार करता है। हठ योग में आंतरिक ऊर्जा को शुद्ध करने और जागृत करने के लिए षट्कर्म (सफाई तकनीक), मुद्रा (इशारे), और बंध (ऊर्जा ताले) जैसे अभ्यास शामिल हैं। यह शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करने का एक समग्र दृष्टिकोण है।
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