दिवाली से एक दिन पहले क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी..? जानें इसका महत्व और पीछे की पौराणिक कथा
Narak Chaturdashi 2023: हिन्दू धर्म में दिवाली को सबसे बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद वापस लौटे थे। सदियों से चली आ रही इस परंपरा (Narak Chaturdashi 2023) के चलते दिवाली से दो दिन पहले ही इस पर्व की शुरुआत हो जाती है। दिवाली लक्ष्मी पूजन के ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी होती है। नरक चतुर्दशी के पर्व को कार्तिक माह को छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं और यम का दीपक जलाते हैं।
नरक चतुर्दशी के पीछे की पौराणिक कथा:
बता दें नरक चतुर्दशी से जुड़ी कई तरह की पौराणिक कथा प्रचलित है। पुराणों के मुताबिक माना जाता है कि नरकासुर वध की तिथि होने से ही इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। कहा जाता है कि नरकासुर नाम के राक्षस ने 16,100 महिलाओं को अपना बंदी बना लिया था। इसके बाद कृष्ण भगवान को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरकासुर का वध किया था और सभी महिलाओं को नरकासुर की कैद से मुक्ति दिलाई।
नरक चौदस का महत्व:
सनातन धर्म में हर बड़े त्यौहार से कोई ना कोई पौराणिक कथा जुड़ी रहती है। इसके पीछे कोई ख़ास वजह भी होती है। इसी तरह नरक चौदस के पीछे भी बड़ा महत्व बताया जाता है। हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का बहुत महत्व है। इस ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर यम देवता की पूजा करने की मान्यता है। बताया जाता है कि इस दिन यम की पूजा से अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है। नरक चौदस को नरक चतुर्दशी और काली चौदस भी कहते हैं। भारत के कुछ जगहों पर नरक चौदस को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त:
चतुर्दशी तिथि आरंभ – 11 नवंबर 2023 – 01:57 से
चतुर्दशी तिथि समापन- 12 नवंबर 2023 – 02:27 तक
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