Narayana Murthy Motivational Story: इंफोसिस कंपनी के बारे में हर किसी को पता ही होगा। चलिए अगर नहीं भी पता है तो हम आपको बताते है कि इंफोसिस देश कि दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। नारायण मूर्ति (Narayana Murthy Motivational Story) इंफोसिस कंपनी के को-फाउंडर है, जिन्होंने अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर इसकी नींव रखी थी। पिछले चार दशक से ज्यादा समय बीत जाने के साथ ही इंफोसिस ने आईटी क्षेत्र में खूब बुंदलियां छू ली। लेकिन क्या आप जानते हैं इस कंपनी की स्थापना के पीछे की कहानी क्या रही ? चलिए हम आपको बताते हैं कि नारायण मूर्ति ने नौकरी ना मिल पाने से से आहात होकर दोस्तों के साथ मिलकर कैसे इस कंपनी को शुरू किया…
नारायण मूर्ति को जब नहीं मिली नौकरी:
बता दें आईटी क्षेत्र में नारायण मूर्ति ने अपनी एक ख़ास पहचान बनाई हैं। आईटी फिल्ड में नारायण मूर्ति बहुत सारे छात्रों के आइडल भी बन चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं एक समय वो भी था जब नारायण मूर्ति ने नौकरी के लिए अप्लाई किया था और उनके आवदेन को अस्वीकार कर दिया गया। बस इसी घटना ने नारायण मूर्ति के जीवन को ही बदल दिया। जब एक युवा पढ़ाई पूरी करके अपने सपने को पूरा करने के लिए नौकरी की तालाश में निकलता हैं और उसे नौकरी नहीं मिलती तो बड़ा सदमा लगता हैं। लेकिन नारायण मूर्ति ने इसे जीवन की बड़ी सिख के रूप में लिया।
पत्नी से 10 हज़ार उधार लेकर शुरू की कंपनी:
इंसान जब कुछ कर लेने की ठान लेता हैं तो किसी भी तरह की कठिनाई उसे रोक नहीं सकती हैं। नारायण मूर्ति ने दुनिया की जानी-मानी कंपनी विप्रो में नौकरी के लिए अप्लाई किया था। लेकिन उनका सीवी देखने के बावजूद उन्हें नौकरी पर नहीं रखा। इसके बाद क्या था नारायण मूर्ति ने खुद की कंपनी खोलने की ठान ली। नारायण मूर्ति ने अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर कंपनी की नींव रख दी। नारायण मूर्ति ने इसको लेकर अपनी पत्नी से 10 हज़ार रूपये उधार लिए थे। आज वो ही हज़ारों की कंपनी करोड़ों-अरबों की हो चुकी हैं। नारायण मूर्ति ने एक मीडिया से बातचीत में बताया था कि कैसे आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के फाउंडर अजीम प्रेमजी की वजह से इंफोसिस अस्तित्व में आई।
नारायण मूर्ति एक बार हुए असफल:
बता दें अपनी पढ़ाई के बाद नारायण मूर्ति ने सबसे पहले आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) में रिसर्च एसोसिएट के तौर पर कार्य किया था। उसके कुछ साल बाद ही उन्होंने अपनी खुद की कंपनी सॉफ्ट्रोनिक्स की शुरुआत की थी। लेकिन उनकी ये कंपनी ज्यादा समय तक नहीं चल पाई और उन्हें कंपनी बंद करके फिर से नौकरी करनी पड़ी थी। विप्रो के आवेदन अस्वीकार करने को लेकर नारायण मूर्ति ने कहा था कि विप्रो फाउंडर अजीम प्रेमजी ने बाद में बताया थी कि उन्हें काम पर न रखना उनकी सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी।
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