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नरेश मीणा: राजस्थान का ‘बवाली नेता’, बगावत से लेकर एसडीएम थप्पड़ कांड तक की पूरी कहानी

Naresh Meena: Rajasthan’s Rebel Leader, Controversies and Political Journey

naresh meena news: राजस्थान की राजनीति में नरेश मीणा का नाम हमेशा सुर्खियों में रहता है। चाहे वह कांग्रेस पार्टी के साथ उनका पुराना रिश्ता हो, या फिर कई बार पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने की घटना हो, नरेश मीणा की राजनीति कभी भी शांत नहीं रही। हाल ही में देवली-उनियारा उपचुनाव में उनके द्वारा किए गए विवादास्पद थप्पड़ कांड ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया। तो चलिए जानते हैं, कौन है ये बवाली नेता, जिनकी राजनीति हमेशा विरोध और बगावत से जुड़ी रही है।

देवली-उनियारा उपचुनाव और थप्पड़ कांड- Naresh Meena Slap Incident

नरेश मीणा ने हाल ही में देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्‍मत आजमाई थी। लेकिन उनका नाम उस समय चर्चा में आया जब उन्‍होंने एसडीएम अमित चौधरी (SDM Amit Chaudhary) को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह घटना राजनीतिक गलियारों में सुर्खियों का कारण बनी और उनके समर्थकों के बीच एक नई बहस छेड़ दी।

नरेश मीणा का राजनीतिक सफर- Naresh Meena Political Career

नरेश मीणा का राजनीति में पहला कदम 2003 में तब पड़ा था, जब उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव में महासचिव का पद जीता था। इसके बाद उनकी मुलाकात मीणा समाज के बड़े नेता किरोड़ी लाल मीणा से हुई, और वह उनके करीबी शागिर्द बन गए। नरेश मीणा को ‘छोटा किरोड़ी’ के नाम से भी जाना जाने लगा। उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से जुड़ा था, लेकिन कई बार पार्टी से उनकी असहमति रही है, जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत की और निर्दलीय चुनाव लड़ा।

नरेश मीणा का मीणा समाज में एक गहरा प्रभाव है। उनकी राजनीति के शुरुआती दिन किरोड़ी लाल मीणा के साथ हुए आंदोलनों से जुड़े रहे। इस दौरान नरेश मीणा को ‘छोटा किरोड़ी’ कहा जाने लगा था। उनके द्वारा 2017 में किरोड़ी लाल मीणा के खून से तिलक करने की घटना मीणा समाज में एक प्रतीक बन गई थी। इस प्रकार नरेश मीणा की राजनीतिक छवि सिर्फ एक नेता की नहीं, बल्कि समाज के एक प्रमुख नेता की बन गई थी।

कांग्रेस से बगावत 

नरेश मीणा का सियासी करियर काफी विवादों से भरा हुआ है। वह कभी कांग्रेस पार्टी के करीबी और एक कद्दावर नेता रहे थे। लेकिन कांग्रेस से टिकट न मिलने पर उन्‍होंने कई बार बगावत की है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी जब कांग्रेस ने नरेश मीणा को टिकट देने से मना कर दिया था, तो उन्‍होंने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा और करीब 44,000 वोट हासिल किए। इस चुनाव में नरेश मीणा ने कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया था। बीजेपी के उम्मीदवार ने इस चुनाव में करीब 5,000 वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन नरेश मीणा की निर्दलीय उम्‍मीदवारी ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं।

सचिन पायलट के करीबी 

नरेश मीणा का सचिन पायलट के साथ भी करीबी रिश्ता रहा है। पायलट के समर्थक के रूप में नरेश मीणा ने कई बार पार्टी के फैसलों का विरोध किया। पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस में जो घमासान हुआ था, उसमें नरेश मीणा ने भी अपनी आवाज उठाई थी। हालांकि, जब पायलट को कांग्रेस से टिकेट नहीं मिला तो नरेश मीणा ने भी कांग्रेस से बगावत करने का मन बना लिया। यही नहीं, उन्‍होंने 2017 में मीणा समाज के सम्मेलन में अपने अंगूठे पर कट लगाकर किरोड़ी लाल मीणा का खून से तिलक किया, जो उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बारां में हुए उग्र प्रदर्शन 

नरेश मीणा का नाम तब भी चर्चा में आया  था जब बारां जिले में कांग्रेस नेता दिनेश मीणा की हत्या के बाद नरेश मीणा ने अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इस घटना के बाद नरेश मीणा ने विरोध जताते हुए कलेक्ट्रेट का घेराव किया और रास्ता जाम कर दिया। प्रदर्शन के दौरान एक बस को भी आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार किया। इस घटना में उनके खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।

बती दें नरेश मीणा की राजनीति हमेशा विवादों से घिरी रही है, लेकिन एक बात तो है कि वह हर बार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहते हैं। चाहे वह कांग्रेस से बगावत हो या फिर एसडीएम थप्पड़ कांड, नरेश मीणा ने हमेशा अपनी पहचान बनाए रखी है।

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