राजभर जाती हनुमान

नेताओं ने दलित, जैन, गुलाम से लेकर मुसलमान तक बना दिया भगवान हनुमान को, अब राजभर जाती के हो गए भगवान

भगवान हनुमान फिर से एक राजनीतिक बयान को लेकर चर्चा में हैं। योगी सरकार के मंत्री और सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि हनुमान जी राजभर जाति के थे। यह बयान उन्होंने बलिया के चितबड़ागांव क्षेत्र में महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा के भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान दिया।

यह पहला मौका नहीं है जब हनुमान जी की जाति पर बयान आया हो। इससे पहले उन्हें दलित, मुसलमान और अब राजभर जाति का बताया गया है। छह साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हनुमान जी की जाति पर बयान दिया था। इसके अलावा, योगी सरकार के दूसरे मंत्रियों ने भी हनुमान जी की जाति को लेकर अपने-अपने विचार व्यक्त किए थे। छत्तीसगढ़ के नेता नंद कुमार साय ने हनुमान जी को अनुसूचित जनजाति बताया, जबकि बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह ने उन्हें आर्य कहा था।

मंत्री ओम प्रकाश राजभर का अजीब बयान 

योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हाल ही में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि जब राम और लक्ष्मण जी को अहिरावण ने पातालपुरी में बंदी बना लिया था, तो उन्हें वहां से निकालने की हिम्मत किसी में नहीं थी। लेकिन अगर किसी में हिम्मत थी, तो वो सिर्फ राजभर जाति के हनुमान जी में थी। उन्होंने आगे कहा कि आज भी गांवों में बुजुर्ग बच्चों के झगड़े में यह कहते हैं कि ‘भर बानर हैं,’ यानी हनुमान जी की तरह ताकतवर हैं। इस बयान में उन्होंने साफ तौर पर यह कहा कि भगवान हनुमान राजभर जाति से हैं। यह पहली बार नहीं है जब हनुमान जी की जाति पर ऐसी टिप्पणी की गई है।

सीएम योगी ने हनुमान जी को बताया था दलित 

साल 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी के बारे में एक बयान दिया था। उन्होंने हनुमान जी को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित बताया। योगी का कहना था कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी, निर्वासी, दलित और वंचित हैं। उनका ये भी कहना था कि बजरंगबली ने भारतीय समाज को उत्तर से लेकर दक्षिण, और पूरब से लेकर पश्चिम तक एकजुट किया है। इस बयान के बाद हनुमान जी की जाति को लेकर काफी विवाद हो गया था।

हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे: सावित्री बाई फुले 

बहराइच की पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले ने भगवान हनुमान को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया दी और इसे और भी तूल दे दिया। उन्होंने कहा कि हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे। इसके बाद उन्होंने भगवान राम पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि हनुमान जी ने राम का बेड़ा पार किया था, तो फिर उन्हें बंदर क्यों कहा गया? उन्हें इंसान क्यों नहीं बनाया गया? सावित्री बाई फुले का कहना था कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हनुमान जी दलित थे, और उनका अपमान करने के लिए यह सब किया गया।

सत्यपाल सिंह ने भगवान हनुमान को बताया आर्य

बागपत लोकसभा सीट से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने हाल ही में भगवान हनुमान को आर्य बताया था। उनका कहना था कि भगवान राम और हनुमान के समय में इस देश में जातिवाद नहीं था। उस समय न कोई दलित था, न कोई वंचित और न ही कोई शोषित। उन्होंने इसके लिए रामचरितमानस का उदाहरण भी दिया और हनुमान को आर्य जाति से जोड़ दिया।

वहीं, योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने हनुमान जी को जाट बताया। उनका कहना था कि जाटों की खासियत है कि वे हमेशा किसी की मदद के लिए बिना किसी भेदभाव के आगे आ जाते हैं, और यही गुण हनुमान जी में भी था, इसलिए वह जाट थे।

योगी सरकार में खेल और युवा कल्याण मंत्री रहे दिवंगत नेता चेतन चौहान ने तो हनुमान जी को खिलाड़ी तक कह डाला। उनका कहना था कि हनुमान जी कुश्ती करते थे और पहलवानों की पूजा करते थे, इसलिए वे एक खिलाड़ी भी थे।

बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को बताया था मुसलमान

सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व एमएलसी बुक्कल नवाब ने बहुत ही विवादित बयान दिया था। उन्होंने हनुमान जी को मुसलमान बताया था। बुक्कल नवाब का कहना था कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसीलिए इस्लाम में जैसे नाम—रहमान, रमजान, फरमान, सुलेमान, जीशान, कुर्बान—रखे जाते हैं, वैसे हिंदू धर्म में नहीं होते। उनका यह बयान यह साबित करने की कोशिश था कि भगवान हनुमान जी मुसलमान थे।

हनुमान जी को आदिवासी से क्षत्रिय-ब्राह्मण तक बताया 

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने भगवान हनुमान को आदिवासी बताया था। वहीं, योग गुरु बाबा रामदेव ने हनुमान जी को क्षत्रिय कहा, यह कहते हुए कि वे रामभक्त थे और अष्ट सिद्धियों के ज्ञानी होने के साथ-साथ क्षत्रिय भी थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने हनुमान जी को ब्राह्मण बताया, और उन्होंने तुलसीदास जी की लिखी चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमान ब्राह्मण थे, न कि दलित। वहीं, बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने कहा था कि हनुमान तो बंदर थे, और बंदर एक पशु होते हैं, जिनका दर्जा दलित से भी नीचे होता है। उन्होंने यह भी कहा कि राम ने उन्हें भगवान बना दिया, और यही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार है।

जैन समाज के थे हनुमान: आचार्य निर्भय 

आचार्य निर्भय सागर ने भगवान हनुमान को जैन समाज का बताया था। उन्होंने जैन धर्म के कई संस्मरणों का हवाला देते हुए कहा कि हनुमान जैन धर्म से थे। आचार्य के अनुसार, हनुमान ने जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत को पहले ही अपना लिया था, यही कारण था कि उन्होंने कभी हिंसक युद्ध नहीं लड़ा। इस आधार पर उनका कहना था कि हनुमान जैन थे, क्योंकि जैन धर्म एक जाति नहीं, बल्कि एक धर्म है। हालांकि, उस समय संत समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। इसके बावजूद, ओम प्रकाश राजभर ने भगवान हनुमान को राजभर समाज का बताया था।

 

 

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