यूपी में बिजली कर्मियों के लिए नया फरमान, अब मीटर लगवाना होगा जरूरी, नहीं तो बिल होगा दोगुना

यूपी में बिजली कर्मियों और पेंशनर्स के लिए योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब इन कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2025 तक मीटर लगवाना जरूरी होगा। अगर किसी ने भी मीटर नहीं लगवाया, तो उसे बिल में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा।

मीटर नहीं लगवाने पर दोगुना भुगतान

अब तक, यूपी के बिजली विभाग के कर्मी और पेंशनर्स हर महीने 400 यूनिट बिजली की खपत मानकर बिल चुकाते थे, लेकिन अगर किसी ने मीटर नहीं लगवाया तो उसे 800 यूनिट की खपत मानकर बिल देना होगा। यानी अगर अब तक कर्मचारी 888 रुपये का बिल भरते थे, तो उन्हें 5000 रुपये तक का बिल देना पड़ सकता है।
यह बदलाव 31 दिसंबर 2025 तक लागू होगा। यानी, अगर किसी ने अब तक मीटर नहीं लगवाया तो उन्हें दोगुना बिल भरना होगा। अब सवाल उठता है कि ये आदेश क्यों लिया गया और इससे कर्मचारियों को क्या नुकसान होगा?

क्यों लिया गया ये फैसला?

यह नया आदेश यूपी पावर कॉर्पोरेशन और अन्य विभागों के लिए एक बड़ी बात है। नए टैरिफ सिस्टम के तहत, अब हर कर्मचारी और पेंशनर को स्मार्ट मीटर लगवाना अनिवार्य होगा। अगर यह आदेश लागू होता है तो करीब 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी, इंजीनियर और पेंशनर्स को इसका सामना करना पड़ेगा।
यूपी पावर कॉर्पोरेशन के मुताबिक, यह फैसला बिजली के बिलों की सही वसूली करने और सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। जब मीटर नहीं लगे होंगे, तो बिजली खपत का सही हिसाब नहीं हो पाएगा। अब तक औसतन 400 यूनिट बिजली का हिसाब किया जाता था, लेकिन मीटर न होने पर इसे 800 यूनिट मानकर बिल तय किया जाएगा।

क्या होगा अगर मीटर नहीं लगाया तो?

अगर आपने मीटर नहीं लगवाया तो आपके घर में हर महीने की बिजली खपत का हिसाब दोगुना किया जाएगा। पहले, जो कर्मचारी हर महीने 888 रुपये का बिल भरते थे, अब उन्हें करीब 5000 रुपये का बिल चुकाना पड़ेगा। यह नया टैरिफ सिस्टम यूपी के पावर कॉर्पोरेशन ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि अगर मीटर नहीं लगाया, तो 400 यूनिट की जगह 800 यूनिट की खपत मानी जाएगी।

कितना बढ़ेगा भुगतान?

अब तक जो कर्मचारी और पेंशनर्स 888 रुपये, 1092 रुपये, या 1836 रुपये का भुगतान करते थे, उन्हें अब हर महीने दोगुना भुगतान करना होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई अवर अभियंता (जेई) अब तक 1400 रुपये भरते थे, तो उन्हें अब करीब 5000 रुपये का बिल देना होगा। यही नहीं, एसी जैसे उपकरणों के इस्तेमाल पर भी अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

कर्मचारियों और पेंशनर्स की चिंता

इस फैसले से यूपी पावर कॉर्पोरेशन और अन्य विभागों के कर्मचारियों के बीच चिंता फैल गई है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक मीटर लगाने के आदेश आए थे, तब तक तकनीकी वजहों से मीटर नहीं लग पाए। अब, जब ये आदेश लागू होगा तो कर्मचारियों को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा। कई पेंशनर्स का कहना है कि उनकी पेंशन इतनी कम है कि वे इस बढ़े हुए बिल का भुगतान नहीं कर पाएंगे। इसका असर उनके जीवन पर पड़ेगा।

ऊर्जा संगठनों का आरोप

ऊर्जा संगठनों का कहना है कि यह नया मसौदा निजी कंपनियों के दबाव में तैयार किया गया है। उनका कहना है कि यूपी में बिजली के निजीकरण के कदम को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला लिया गया है। उनका आरोप है कि इससे बिजली कर्मियों और पेंशनर्स की मुश्किलें बढ़ेंगी।
इन संगठनों का मानना है कि यदि निजी कंपनियों के दबाव में यह आदेश लिया गया है तो यूपी सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए। कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाना चाहिए।

मीटर लगाने की कोशिशें अब तक

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब यूपी में मीटर लगाने की कोशिश की जा रही है। पावर कॉर्पोरेशन ने कई बार आदेश दिए हैं कि सभी सरकारी कार्यालयों और कर्मियों के घरों में मीटर लगाए जाएं, लेकिन अब तक यह काम नहीं हो सका है। पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने अगस्त 2024 में निर्देश दिए थे कि बिजली कर्मियों और अन्य सरकारी दफ्तरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएं। लेकिन तकनीकी दिक्कतों और प्रशासनिक वजहों से यह काम नहीं हो पाया।

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