हरियाणा की राजनीति में पुरुषों का वर्चस्व, क्या राज्य इस बार देख पाएगा महिला CM?
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, मुकाबला और भी रोचक होता जा रहा है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल, जैसे कांग्रेस और बीजेपी, अब अपने उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक कर चुके हैं। इस बार की चुनावी जंग में हर पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं, जिससे सियासी माहौल गर्म हो गया है। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।
कांग्रेस ने इस बार ज्यादा महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है, जबकि बीजेपी भी अपनी तरफ से पूरी ताकत झोंक रही है। चुनावी प्रचार में नेता जनता के बीच जाकर अपने कामों का बखान कर रहे हैं और वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
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चुनाव के नजदीक आने के साथ-साथ लोगों के बीच चर्चा और कयासों का दौर भी शुरू हो गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी चुनाव में बाजी मारती है। 5 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।सियासी पंडितों का मानना है कि इस बार का चुनाव हरियाणा की राजनीतिक दिशा तय कर सकता है।
केवल 51 महिला उम्मीदवार मैदान में
हरियाणा की सियासत में महिलाओं की स्थिति काफी चिंताजनक है। राज्य के गठन के 58 साल बाद भी यहां एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी है। विधानसभा चुनावों में केवल 51 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं, जो दर्शाता है कि अभी भी पुरुषों का सियासी दबदबा कायम है। 1966 में राज्य बनने के बाद से सिर्फ 87 महिलाएं ही विधानसभा में पहुंची हैं।
हरियाणा अपने खराब लैंगिक अनुपात के लिए हमेशा चर्चा में रहा है। 2023 में यहां प्रति 1,000 लड़कों पर केवल 916 लड़कियां थीं। राजनीतिक दलों ने इस बार जिन महिलाओं को टिकट दिया है, उनमें से अधिकांश राजनीतिक परिवारों से जुड़ी हुई हैं या फिर किसी चर्चित चेहरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
कांग्रेस ने सबसे अधिक महिलाओं को दिए टिकट
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सबसे अधिक 12 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके बाद, INLD और BSP ने 11 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि BJP ने 10 महिलाओं को मौका दिया है। जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) का गठबंधन केवल 8 महिला उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में है। आम आदमी पार्टी (AAP) की 90 उम्मीदवारों की सूची में सिर्फ 10 महिलाएं शामिल हैं।
पिछले चुनावों का रिकॉर्ड
हरियाणा विधानसभा के आंकड़ों के अनुसार, 2000 से अब तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में कुल 47 महिलाएं विधायक चुनी गईं। 2014 में 116 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 13 जीत गईं। 2019 में महिला उम्मीदवारों की संख्या घटकर 104 हो गई, लेकिन जीतने वाली महिलाओं की संख्या केवल 9 रह गई।
हरियाणा चुनाव में प्रमुख महिला उम्मीदवारों की लिस्ट
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कई प्रमुख महिला उम्मीदवार मैदान में हैं, जो इस बार चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना रही हैं।
आरती सिंह राव: नई पहचान
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव बीजेपी की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। यह उनके लिए एक नया सियासी सफर है और उनके समर्थक उन्हें लेकर काफी उत्सुक हैं।
श्रुति चौधरी: बंसी लाल की पोती
इस साल की शुरुआत में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की पोती श्रुति चौधरी तोशम सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनका नाम भी चर्चा में है और लोग उनकी राजनीतिक यात्रा पर नज़र बनाए हुए हैं।
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गीता भुक्कल: महिला उम्मीदवारों की समर्थक
चार बार की कांग्रेस विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा है कि उनकी पार्टी ने अन्य दलों की तुलना में सबसे अधिक महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक तो पास हो गया है, लेकिन इसके लागू होने में अभी काफी समय है।
विनेश फोगाट: कुश्ती की पहचान
जींद जिले की कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट भी कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। यौन उत्पीड़न विरोधी प्रदर्शन का चेहरा बन चुकी फोगाट ने हाल ही में खेल से संन्यास लिया था। उनका मुकाबला ‘आप’ की कविता दलाल से है, जो WWE में पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।
सावित्री जिंदल: एक और चर्चित नाम
एशिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक सावित्री जिंदल भी चुनावी दंगल में हैं, लेकिन उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनका मुकाबला बीजेपी के कमल गुप्ता से है।
चित्रा सरवारा: पूर्व सीएम की बेटी
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विश्वासपात्र निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा अंबाला छावनी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के अनिल विज और कांग्रेस के परविंदर सिंह परी से होगा।
राबिया किदवई: पहली मुस्लिम महिला उम्मीदवार
‘आप’ की राबिया किदवई मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र नूंह से पहली महिला उम्मीदवार हैं। इन सभी महिला उम्मीदवारों का चुनावी मुकाबला इस बार सियासी मैदान को और भी रोचक बना देगा।
निर्दलीय उम्मीदवारों की भी भागीदारी
सावित्री जिंदल, एशिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक, निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के कमल गुप्ता से है। वहीं, चित्रा सरवारा भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।
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हरियाणा में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में सुधार की आवश्यकता है। एक तरफ जहां महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है, वहीं उनकी जीतने की दर अभी भी चिंताजनक है। 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों का परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किया जाएगा। उम्मीद है कि इस बार की चुनावी प्रक्रिया कुछ नया बदलाव लेकर आएगी।