दुकानों पर नाम लिखने वाले फरमान के लिए कांग्रेस आलाकमान ने विक्रमादित्य को लगाई फटकार

साल 1975 में आई फिल्म “शोले” का यह मशहूर डायलॉग “क्या समझ कर आए थे कि सरदार बहुत खुश होगा, शाबाशी देगा?” आज हिमाचल प्रदेश के पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठता है। दरअसल, हाल ही में फूड आउटलेट्स पर मालिकों के नाम और पते लिखने के विवादित आदेश के बाद मंत्री विक्रमादित्य को कांग्रेस आलाकमान ने जमकर फटकार लगाई है। यही नहीं, इस आदेश के कारण पार्टी में असंतोष फैल गया है, और सोशल मीडिया पर भी उनकी कड़ी आलोचना हो रही है। विक्रमादित्य के विभाग द्वारा जारी इस आदेश के बाद कांग्रेस की स्थिति और भी मुश्किल में आ गई है।

कांग्रेस आलाकमान विक्रमादित्य के इस निर्णय से नाखुश

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस ने कुछ हफ्ते पहले कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के इसी तरह के आदेश की कड़ी आलोचना की थी। अब जब खुद उनकी पार्टी ने ऐसा कदम उठाया है, तो पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे विक्रमादित्य के इस निर्णय से नाखुश हैं और उन्हें सलाह दी गई है कि वे इस मामले पर विवादित बयानों से बचें।

कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने इस आदेश की आलोचना करते हुए इसे “निंदनीय और भेदभावपूर्ण” करार दिया है। उन्होंने कहा, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि दुकानों पर मालिक का नाम लिखवाने की क्या आवश्यकता है। हम तो ब्रांड बेचते हैं, न कि किसी व्यक्ति को।” उनका कहना है कि इस आदेश का कोई ठोस तर्क नहीं है और यह केवल एक राजनीतिक खेल है।

इसके अलावा, AIDUF विधायक रफीकुल इस्लाम ने भी इस आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब बीजेपी के रास्ते पर चल रही है। “बीजेपी और कांग्रेस में क्या फर्क रह गया है? बीजेपी नफरत फैलाती है, और अब कांग्रेस भी उसी दिशा में बढ़ रही है,” इस्लाम ने कहा। उनका यह बयान कांग्रेस की स्थिति को और भी गंभीर बना देता है।

सोशल मीडिया पर खींची गई आलोचना की रेखा

इस मामले के बाद कांग्रेस को सोशल मीडिया पर भी तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। कई यूजर्स ने पार्टी को पाखंडी और असंगत करार दिया है। इससे पहले, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को राज्य प्रायोजित कट्टरता बताया था। अब जब खुद उनकी पार्टी ऐसा कदम उठा रही है, तो यह उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया है कि जब कांग्रेस खुद इसी प्रकार के आदेश की आलोचना कर रही थी, तो अब वो क्यों ऐसा कदम उठा रही है। इस स्थिति ने पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।