नई दिल्ली: पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में भगत सिंह को ‘आतंकी’ बताते हुए कहा कि वह क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक अपराधी थे। यह बयान उस वक्त सामने आया है जब पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह के नाम पर लाहौर के शादमान चौक का नामकरण और उनकी मूर्ति लगाने की मांग की जा रही थी। इस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया, जिसमें भगत सिंह के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया गया। भारत में इस पर गुस्से की लहर फैल गई है और पाकिस्तान से माफी की मांग की जा रही है।
पाकिस्तान ने भगत सिंह को आतंकी क्यों बताया?
लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने इस चौक पर भगत सिंह की मूर्ति लगाने की भी बात की थी। इस मुद्दे पर पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी को मारने का अपराध किया था। इसीलिए उन पर जो कार्रवाई की गई, वह पूरी तरह से उचित थी। पंजाब सरकार के एक पूर्व सेना अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह और उनके साथियों को आतंकवादी कहकर संबोधित किया जा सकता है, क्योंकि उनके कृत्य आज की परिभाषा के अनुसार आतंकवाद की श्रेणी में आते हैं।
इस बयान के बाद पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। वहीं, इस मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।
भारत में गुस्से की लहर
पाकिस्तान के इस बयान पर भारतीय नेताओं में गुस्सा भड़क उठा है। कांग्रेस के नेता गुरजीत सिंह औजला ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने शहीद भगत सिंह का अपमान किया है। उन्होंने पाकिस्तान को शर्मनाक कदम उठाने का दोषी ठहराते हुए कहा, “जो देश आज़ादी के संघर्ष में शहीदों के योगदान को नकारता है, वह अपने आतंकवाद को छिपा नहीं सकता।” गुरजीत सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को इस अपमान के लिए माफी मांगनी चाहिए और भारत की सरकार को इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया देने का आह्वान किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, “पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भगत सिंह जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी को आतंकवादी कहना उनके असली चेहरे को दुनिया के सामने उजागर करता है। वह वही देश है, जो लादेन जैसे आतंकवादियों को शहीद मानता है और भगत सिंह जैसे महान योद्धा को आतंकवादी बताता है।”
पाकिस्तान का दोहरा चेहरा
पाकिस्तान ने हाल ही में अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को ‘शहीद’ के रूप में सम्मानित किया था, जबकि भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम के नायक को ‘आतंकी’ कहकर अपमानित किया। इस पर भारत में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान ने अपने इतिहास को पूरी तरह से नकार दिया है? क्या वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में झूठ बोलकर अपनी गुनाहगारी को छिपाना चाहता है?
पाकिस्तान का यह कदम उसकी नीयत और वास्तविक विचारधारा को बेनकाब करता है। क्या पाकिस्तान ने भगत सिंह की कुर्बानियों को भुला दिया है और आतंकवादियों को शहीद मान लिया है? ये सवाल पाकिस्तान की सरकार से अब उठाए जा रहे हैं।
भगत सिंह और पाकिस्तान का गहरा कनेक्शन
भगत सिंह का पाकिस्तान से गहरा नाता था। उनका जन्म 1907 में पंजाब प्रांत के लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में हुआ था। लाहौर के डीएवी कॉलेज में उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी, और वही कॉलेज आज भी उनकी यादें संजोए हुए है। भगत सिंह का पैतृक घर भी आज लाहौर में ही स्थित है। इसके बावजूद पाकिस्तान में उनके योगदान को नकारते हुए इस तरह की बयानबाजी करना, यह निश्चित रूप से एक अप्रत्याशित और विवादास्पद कदम है।
शादमान चौक और भगत सिंह का संबंध
शादमान चौक, जहां 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उनके जीवन और शहादत से गहरा जुड़ा हुआ है। इस चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग पहले भी उठ चुकी थी। 2018 में लाहौर हाईकोर्ट ने भी इस मांग का समर्थन किया था। लेकिन अब पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने इसे नकारते हुए इस जगह का नाम बदलने का विरोध किया है और भगत सिंह को आतंकवादी कहकर उनका अपमान किया है।
यह विवाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव को बढ़ा सकता है। पाकिस्तान ने जिस तरह से भगत सिंह को आतंकी बताया है, वह भारत के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है। शहीद भगत सिंह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक माने जाते हैं। उनके योगदान को नकारने की कोशिश न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के खिलाफ है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्षों को और भी बढ़ा सकती है।
सवालों के घेरे में पाकिस्तान की नीतियां
पाकिस्तान के इस कदम पर अब कई सवाल उठ रहे हैं:
1- क्या पाकिस्तान ने भगत सिंह की महानता को नकारते हुए अपनी आतंकवादी नीतियों को उजागर किया है?
2- क्या पाकिस्तान आज भी अपने आतंकी समर्थन को छिपाने की कोशिश कर रहा है?
3- क्या पाकिस्तान ने स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के योगदान को नकारते हुए अपनी गलत नीतियों को प्रकट किया है?
इन सवालों का जवाब पाकिस्तान को देना होगा, लेकिन इस विवाद से यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में शहीदों और आतंकवादियों के प्रति सम्मान की परिभाषा में भारी अंतर है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार का बयान न केवल शहीद भगत सिंह का अपमान है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास, राजनीति और सम्मान के सवालों पर एक नई बहस का भी कारण बन सकता है।