Panther In The Village Dungarpur :  जंगल से क्यों भाग रहे पैंथर…3 महीने में 6 बार दे चुके गांवों में दस्तक ?

Panther In The Village Dungarpur : डूंगरपुर। राजस्थान के डूंगरपुर जिले का मौसम और यहां की भौगौलिक स्थिति पैंथर के लिए अनुकूल मानी जाती है। इसीलिए यहां साल 2019 से 2023 के बीच पैंथरों की तादाद 21 से बढ़कर 100 तक पहुंच गई है। लेकिन पिछले तीन महीनों से पैंथरों को शायद जंगल रास नहीं आ रहा है और वे आबादी क्षेत्र का रुख कर रहे हैं।

इंसान ही नहीं पैंथर को भी खतरा

डूंगरपुर जिले में पिछले तीन महीने से लगातार पैंथर के आबादी क्षेत्र में आने की घटनाएं सामने आ रही हैं। लेकिन, पैंथर की आबादी क्षेत्र में दस्तक इंसान और पैंथर दोनों के लिए ही खतरनाक साबित हो रही है। पिछले दिनों गांव में घुसे पैंथर ने मीडियाकर्मी पर हमला कर दिया, जिसमें मीडियाकर्मी बाल बाल बचा। तो दूसरी घटना में लोगों ने गांव में घुसे पैंथर पर लाठियों से हमला कर दिया। जिसमें पैंथर की मौत हो गई।

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3 महीने में 6 बार जंगल से निकले पैंथर

डूंगरपुर जिले में पिछले 3 महीने में 6 बार पैंथर जंगल से निकलकर गांवों में दस्तक दे चुके हैं। 3 अप्रैल को ओबरी वन रेंज से पैंथर के तीन शावक डेचा गांव पहुंच गए। 31 मार्च को आंतरी वन क्षेत्र से लेपर्ड ओबरी रोड पर आ गया। 31 मार्च को ही भादर मेतवाला गांव में लेपर्ड दिखा। 13 मार्च को महूडी वासुआ फला में लेपर्ड ने 5 लोगों पर हमला कर दिया। 10 फ़रवरी को लेपर्ड ने उपला घरा नोकना में ग्रामीण और मवेशियों पर हमला कर दिया। बचाव में भीड़ ने पैंथर पर लाठियां बरसाईं, तो पैंथर की मौत हो गई। इसी तरह जनवरी में भी पैंथर शहर की भुवनेश्वरी कॉलोनी में घुस आया था।

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जंगल से क्यों निकल रहे हैं पैंथर ?

डीएफओ रंगास्वामी का कहना है गर्मी के मौसम में जंगलों में वाटर हॉल सूख जाते हैं। ऐसे में पानी की तलाश में भटकते भटकते पैंथर आबादी क्षेत्र में घुस आते हैं। हालांकि, जंगल में वन विभाग की ओर से भी वाटर हॉल में पानी डलवाया जा रहा है, वहीं नए वाटर हॉल भी बनाए जा रहे हैं। जिससे पैंथर का आबादी क्षेत्र में मूवमेंट रुक सके।

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