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Parenting Tips: आपकी बातों पर निर्भर बच्चों का भविष्य, कभी ना कहें उनसे ये बातें?

Parenting Tips: बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ माता-पिता की उम्मीदें भी (Parenting Tips) उनसे बढ़ने लगती है। हर पेरेंट्स चाहते है कि उनका बच्चा समय के साथ जिम्मेदार बने। लेकिन एक्सर्पट की मानें तो बच्चा का भविष्य कैसा होगा वो बच्चों की आज पर निर्भर करता है और इसमें पेरेंट्स का व्यवहार और उनकी बातों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। बचपन से ही बच्चों के साथ जैसी बातें की जाती है और उन्हें ट्रीट किया जाता है।

इस पर उनका अच्छा और खराब भविष्य टिका होता है। एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों की भावनाओं के उलट में माता पिता का व्यवहार और उनकी बाते बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालती है। जैसे तुम हर समय नखरें दिखाते रहते हो, फिर तुम रोने वाले बच्चे हो और ये काम करो क्योंकि मैंने कहा ​है इत्यादि ऐसी कई बातें है जो माता पिता अक्सर अपने बच्चों को बोलते नजर आते है। लेकिन माता पिता की भाषा बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ सकती है।

पेरेंटिंग में भाषा का है महत्व

बचपन से ही माता पिता के व्यवहार से ही बच्चे सबसे ज्यादा सीखते है और माता पिता को बच्चे का सबसे पहला गुरू माना जाता है। छोटी उम्र से ही बच्चे अपने माता पिता को दुनिया का सबसे स्ट्रांग पर्सनालिटी के तौर पर देखने लगते है। वो जो कहेंगे उस बच्चे के लिए वहीं सबकुछ होता है। ऐसी परिस्थिति में अगर मां रोते हुए बच्चे से कहती है कि रोना बंद करो तो थोड़ी देर में बच्चा रोना तो बंद कर देगा लेकिन उसके मन में बात आएगी कि रोना बुरी बात है और आगे कभी भी वह जल्दी से अपने भावनाएं अपने माता पिता के सामने रखने में कठिनाई महसूस करेंगा।

क्योंकि उसे लगेगा कि कमजोर होना या फिर रोना बुरी बात है। इस वजह से बच्चे अपने मन मे बात रखने लगते है। यहां पर गौर करने वाली बात है कि मां द्वारा अनजाने में कही गई बात बच्चे के दिमाग को कितना ज्यादा प्रभावित किया। इसी वजह से एक्सर्पट के अनुसार माता पिता की भाषा पेरेंटिंग में एक अहम भूमिका निभाते है।

बच्चों की भावनाओं को जानने की करें कोशिश

कई बार माता-पिता जाने अनजाने में बच्चे को ऐसी बात बोल देते है जिसका बच्चे के दिमाग पर गहरा असर पड़ जाता है। लेकिन इसके बारे में माता पिता को कोई अहसास नहीं होता। ऐसी परिस्थिति बचने के लिए आप खुद को एक बार बच्चे की जगह रखकर सोचे और फिर उनसे कुछ कहे। कोशिश करें कि आप दोनों के बीच किसी भी प्रकार का कोई कम्युनिकेशन गैप ना हो। बच्चे को उसकी भावनाओं और स्थिति को समझने की कोशिश करे और उनका साथ दे।

वह जहां पर भी गलत हो उन्हें समझाए। उन्हें अहसास दिलाए कि वह आपके लिए कितना खास है। इससे आपके और बच्चे के बीच का रिश्ता मजबूत होगा। उनके साथ टाइम स्पेंड करे,अलग अलग एक्टिविटी करे। उन्हें हर बात में रोकने टोकने से ज्यादा समझाने की कोशिश करें कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत, धीरे-धीरे ही सही बच्चा आपकी बातो को समझने लगेगा।

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