MLA Partha Chatterjee

सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका की सुनवाई के वक़्त लगाई फटकार, कहा- ‘तुम भ्रष्ट व्यक्ति हो’

MLA Partha Chatterjee: पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (West Bengal Education Minister and now MLA Partha Chatterjee) की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कड़ा रुख अपनाया। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ‘भ्रष्ट व्यक्ति’ कहा और मामले की गंभीरता पर चिंता जताई।

मामले का इतिहास 

पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2022 से जेल में बंद हैं। उन पर आरोप है कि शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कीं और इससे अवैध धन कमाया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से करोड़ों रुपये नकद, सोने के गहने और विदेशी मुद्रा बरामद की थी।

यह मामला 2014 में शुरू हुआ, जब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (SLST) की घोषणा की। भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई, लेकिन बाद में कथित अनियमितताओं के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि कम ग्रेड वाले कई उम्मीदवारों को भर्ती सूची की मेरिट लिस्ट में ऊंचा स्थान दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं:

• न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा, ‘हम समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं… कि भ्रष्ट लोगों को जमानत मिल जाएगी। प्रथम नजरिये से यह स्पष्ट है कि आप एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं क्योंकि आपके परिसर से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं।’

• जब चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी (Senior Advocate Mukul Rohatgi) ने कहा कि बरामद धन उस कंपनी का था जिसके वह निदेशक नहीं हैं, तो पीठ ने जवाब दिया, ‘स्पष्ट रूप से आप निदेशक नहीं हो सकते क्योंकि आप मंत्री हैं और इसे लाभ का पद माना जाएगा। अन्य आरोपियों द्वारा दिए गए बयानों को देखिए… भर्ती करने वाले वैधानिक शिक्षा बोर्ड थे। अगर मंत्री द्वारा सब कुछ नियंत्रित किया जा सकता है, तो इन बोर्डों की क्या जरूरत है?’

• कोर्ट ने ED की जांच को उचित ठहराते हुए कहा, ‘आप मंत्री हैं। आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देंगे। केवल न्यायिक हस्तक्षेप के कारण ही अब जांच हो रही है।’

ED की दलीलें और चटर्जी का पक्ष

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू (Additional Solicitor General SV Raju) ने कहा कि यह मामला कई जांचों से जुड़ा है और सीबीआई भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अगर चटर्जी सहयोग करें, तो प्राथमिक शिक्षक भर्ती से संबंधित वर्तमान मामले में 2 से 4 महीने में आरोप तय किए जा सकते हैं। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि मुख्य गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद ही जमानत पर विचार किया जाए।

वहीं, चटर्जी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि न तो सीबीआई और न ही ED ने जांच शुरू की होती, अगर जून 2022 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया होता। उन्होंने यह भी कहा कि चटर्जी को एक मामले में जमानत मिलने के बाद दूसरे मामले में गिरफ्तार करने का मकसद उन्हें जेल में रखना है।

मामले का प्रभाव 

इस मामले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। हजारों योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी के अधिकारों और पीड़ितों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत पर जोर दिया है।

कोर्ट ने कहा, ‘हमें यह विचार करना है कि अगर उनकी रिहाई से जांच या मुकदमे में बाधा आती है, तो हमें उस पर रोक लगानी होगी। स्पष्ट रूप से, यह अनिश्चितकाल तक नहीं हो सकता।’

रोहतगी ने सुझाव दिया कि चटर्जी गवाहों के बयान पूरे होने तक बंगाल के बाहर रह सकते हैं। ED ने कोर्ट से आरोपी और पीड़ितों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने का आग्रह किया और कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां एक उच्च प्रोफाइल मंत्री भ्रष्टाचार में गले तक डूबा हुआ है।

 

 

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