भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय रेलवे की ट्रेनों के जरिए हर दिन लाखों यात्री सफर करते हैं। इतना ही नहीं भारतीय रेलवे के नियमों के तहत ट्रेनों के 3 घंटे से अधिक लेट होने पर पैसा भी रिफंड मिलता था। लेकिन आरटीआई में खुलासा हुआ है कि आईआरसीटीसी ने निजी ट्रेनों के देर होने पर यात्रियों को हर्जाना देने की योजना बंद कर दी है।
रेलवे की योजना
भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक पहले कोई भी ट्रेन अगर 3 घंटे से अधिक लेट होती थी, जिसके कारण यात्री ट्रेन में सफर नहीं करता है, तो यात्रियों को टीडीआर फाइल करने के बाद रेलवे टिकट का पूरा पैसा वापस करती है। वहीं आईआरसीटीसी प्राइवेट ट्रेनों के लेट होने पर यात्रियों को हर्जाना देती थी। लेकिन आईआरसीटीसी ने निजी ट्रेनों में इस योजना को बंद कर दिया है। आईआरसीटीसी के मुताबिक इस योजना के तहत चार अक्टूबर 2019 से इस वर्ष 16 फरवरी तक यात्रियों को 26 लाख रुपये हर्जाने के तौर पर रेलवे ने दिया है। इतना ही नहीं अकेले 2023-24 में 15.65 लाख रुपये का हर्जाना यात्रियों को दिया गया है।
IRCTC ने बंद की योजना
आईआरसीटीसी ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि निजी ट्रेनों के विलंब या देरी से चलने की स्थिति में हर्जाना देने वाली योजना को 15 फरवरी 2024 को बंद कर दी गई है। हालांकि आईआरसीटीसी ने गोपनीयता नीति का हवाला देते हुए इस योजना को बंद करने का कारण बताने से इनकार किया है। आईआरसीटीसी ने गोपनीयता का हवाला देकर इस फैसले की वजह नहीं बताई है।
आईआरसीटीसी करती है ट्रेनों का संचालन
बता दें कि आईआरसीटीसी दो तेजस ट्रेनों का संचालन करता है। जिसमें से एक ट्रेन को चार अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली से लखनऊ और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई के लिए 17 जनवरी 2020 से शुरू की गई थी। जानकारी के मुताबिक यात्रियों को हर्जाना देने के पीछे का कारण यात्रियों को इन ट्रेनों के प्रति आकर्षित करना था, जो मार्केटिंग गतिविधियों का हिस्सा था।
आईआरसीटीसी ने दिया है हर्जाना
आरटीआई के तहत मिली सूचना के मुताबिक पिछले पांच सालों में आईआरसीटीसी ने लाखों रूपये हर्जाना दिया है। जानकारी के मुताबिक 2019-20 में 1.78 लाख रुपये, 2020-21 में शून्य, 2021-22 में 96 हजार रुपये, 2022-23 में 7.74 लाख रुपये और 2023-24 में 15.65 लाख रुपये का हर्जाना यात्रियों को दिया गया है।
कब मिलता है यात्रियों को हर्जाना
आईआरसीटीसी ने ट्रेन में देरी पर यात्री को दी जाने वाली हर्जाना राशि के बारे में जानकारी दी है। आईआरसीटीसी ने बताया कि 60 से 120 मिनट की देरी पर 100 रुपया और 120 से 240 मिनट के विलंब के लिए 250 रुपया यात्री को हर्जाने के तौर पर दिया जाता था। आईआरसीटीसी के मुताबिक ट्रेन के रद्द होने पर यात्रियों को पूरा किराया वापस किया जाता था और विलंब की स्थिति में यात्रियों को खाने-पीने की सुविधा भी मुहैया कराई जाती थी।
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