Patanjali Case in SC: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से दायर माफीनामे को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हम अंधे नहीं हैं बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कोर्ट ने एक्शन के लिए तैयार रहने को कहा है।
भ्रामक विज्ञापन मामला
पतंजलि दवाओं के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 10 अप्रैल, 2024 को सुनवाई की है। इस सुनवाई के दौरान दोनों ने बिना शर्त कोर्ट में माफी मांग ली। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की ओर से दिए गए हलफनामे को स्वीकर करने से इनकार कर दिया है।
यह भी पढ़े: अब्बास अंसारी 17 माह बाद आया गाजीपुर, पिता मुख्तार अंसारी की कब्र पर पढ़ेगा फातिहा
जस्टिस हिमा कोहली बोली
इस केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया, प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए? अब मामले में आगे सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई कर आदेश देगा। वैसे कोर्ट ने माफीनामा ठुकराने की बात कही है। 16 अप्रैल को पता चलेगा, माफीनामा स्वीकार किया, या नहीं किया गया है।
यह भी पढ़े: आम आदमी पार्टी का ‘जेल का जवाब वोट से’ अभियान शुरू, भाजपा बोली उत्तर दिल्ली वाले देंगे
मुकुल रोहतगी कोर्ट में बोले
इससे पहले सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, हमने 6 अप्रैल को हलफ नामा दाखिल कर दिया था, इसे रजिस्ट्री ने जजों के सामने नहीं रखा था, इसके बाद रोहतगी ने हलफनामे का अंश पढ़कर सुनाया जिसमें रामदेव और बालकृष्ण की ओर से माफी मांगी गई है। तो जज ने हलफनामे पर एतराज जताया है। इसमें रामदेव ने देश से बाहर जाने के एक कार्यक्रम की जानकारी दी है।
यह भी पढ़े: केजरीवाल को हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, वहीं राउज एवेन्यू कोर्ट ने मांग की खारिज
पतंजलि पर लगा यह आरोप
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दवाओं को लेकर पतंजलि के बड़े-बड़े दावों पर कार्रवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा था। पतंजलि ने कोविड महामारी के दौरान दवाओं की क्षमता के बारे में बड़े दावे किए थे। कंपनी ने एलोपैथी का मजाक उड़ाया था। इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इसमें पतंजलि पर कोविड के दौरान वैक्सीनेशन के खिलाफ कंपेन चलाने का आरोप लगाया गया था।