loader

Pind Daan: इन चुनिंदा देशों में ही किया जाता है ‘पिंड दान’, जानें इसका महत्व

Pind Daan

राजस्थान(डिजिटल डेस्क)। Pind Daan: हाल ही में बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त ने बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर में ‘पिंड दान’ (Pind Daan) किया और अपने दिवंगत माता-पिता, सुनील दत्त और नरगिस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। संजय दत्त ने शनिवार को समारोह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि गया की पवित्र भूमि पर पिंडदान करके अपने पूर्वजों का सम्मान करता हूं। जड़ों से दोबारा जुड़ने और अतीत, वर्तमान और भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगने की आध्यात्मिक यात्रा। इस गहन अनुभव के लिए आभारी हूं जो हमें हमारी विरासत की याद दिलाता है। जय भोलेनाथ ।

View this post on Instagram

A post shared by Sanjay Dutt (@duttsanjay)

हिंदू मान्यताओं के अनुसार ‘पिंड दान’ अनुष्ठान मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। जिसमें मृतक सदस्यों के लिए पूजा करके श्रद्धांजलि (Pind Daan) दी जाती हैं। गया समेत कुछ ​चुनिंदा जगहों पर ही पिंड दान किया जाता है। तो आइए जानते है कौनसी है वो जगह और क्या है पिंड का महत्व :—

गया का महत्व:-

पूर भारत में श्राद्ध और पिंडदान (Pind Daan) के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है। जिसमें बिहार के गया का महत्व सर्वोपरि है। फल्गु नदी के किनारे मगध क्षेत्र में स्थित यह जगह सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। जहां पर अपने पुरखों का पिंड दान करने लोग देश विदेश से आते है। इस स्थल का वर्णन विष्णुपुराण और वायुपुराण में भी मिलता है। मान्यता है कि इस स्थान पर स्वयं ब्रह्मा जी ने भी अपने पूर्वजों का पिंड दान किया था और भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का पिंडदान यही किया था। साथ ही महाभारत काल में पांडवों ने भी इसी स्थान पर श्राद्ध किया था।

कहा जाता है कि इस स्थान पर पिंड दान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों तक का उद्धार होता है। गया में ही एक स्थान है अक्षयवट जहां पर पितरों के नाम का दान करने की पंरपरा है। कहा जाता है कि यहां किया गया दान अक्षय होता है और जितना आप दान करते है उससे अधिक आपको वापिस मिलता है।

Pind Daan
पिंड दान का अर्थ:-

हिंदू ग्रंथ के गरुड़ पुराण के अनुसार किसी की मृत्यु के बाद परिजन उस व्यक्ति का पिंडदान (Pind Daan) करते है। पिंडदान से तात्पर्य अपने पितरों को भोजन दान देने से होता है। पितृ पक्ष के दौरान मृत पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है। यह एक तरह से पितरों की आत्मा को श्रद्धांजलि देने का अनुष्ठान होता है और इस अनुष्ठान से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। पिंडदान के दौरान मृत​क के लिए जौ या फिर चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते है। इस वजह से इसे पिंडदान कहा जाता है।

Pind Daan
गया समेत किन जगहों पर होता है पिंडदान:-

भारत में श्राद्ध के लिए हरिद्वार,जगन्नाथपुरी,कुरूक्षेत्र,पुष्कर,बद्रीनाथ,गंगासागर सहित 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है। जिसमें से पिंडदान के लिए 3 जगहों को विशेष माना जाता है। पहला स्थान बद्रीनाथ है। बद्रीनाथ के पास ब्रह्मकपाल स्थान है जहां पर पितृदोष से मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इसके अलावा दूसरा स्थान हरिद्वार में नारायणी शिला है। यहां पर लोग नारायणी शिला के पास पिंडदान करते है और तीसरा स्थान पटना से 100 किमी दूर गया में साल में एक बार 17 दिन का मेला लगता है। जिसे पितृ पक्ष मेला कहा जाता है। मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर विष्णुपद मंदिर के पास पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।

यह भी पढ़े: Magh Bihu 2024: क्यों मनाया जाता है माघ बिहू, जानें इसका धार्मिक महत्व

OTT INDIA आपको खबरों से रखेगा अपडेट

OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें।

[web_stories title="true" excerpt="false" author="true" date="false" archive_link="false" archive_link_label="" circle_size="150" sharp_corners="false" image_alignment="left" number_of_columns="4" number_of_stories="8" order="DESC" orderby="post_date" view="grid" /]