pitch drop experiment

1927 से चल रहा ये प्रयोग, जो 100 साल बाद भी खत्म नहीं होगा

pitch drop experiment: दुनिया में कई ऐसे वैज्ञानिक प्रयोग हुए हैं जो लंबे समय तक चले हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में चल रहा एक प्रयोग सबसे अनोखा है। यह प्रयोग 1927 में शुरू हुआ था और अब तक चल रहा है। इसे पिच ड्रॉप एक्सपेरिमेंट कहा जाता है। इस प्रयोग की खास बात यह है कि इसे शुरू करने वाले वैज्ञानिक की मृत्यु के 34 साल बाद भी यह जारी है और अगले 100 साल तक चलता रहेगा।

प्रयोग की शुरुआत और उद्देश्य

pitch drop experiment: इस प्रयोग की शुरुआत प्रोफेसर थॉमस परनेल ने 1927 में की थी। उनका उद्देश्य यह पता लगाना था कि पिच नाम का एक पदार्थ कितना चिपचिपा और बहने वाला होता है। पिच एक काले रंग का पदार्थ है जो देखने में ठोस लगता है लेकिन वास्तव में यह एक अत्यंत गाढ़ा तरल पदार्थ है। प्रोफेसर परनेल ने एक कीप में गर्म पिच भरा और उसे ठंडा होने दिया। फिर उन्होंने कीप के निचले हिस्से को खोल दिया ताकि पिच धीरे-धीरे नीचे गिर सके।

इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि पिच कितनी धीमी गति से बहता है। वैज्ञानिकों का अनुमान था कि पिच हर 7 से 13 साल में एक बूंद की दर से गिरेगा। लेकिन यह प्रक्रिया इतनी धीमी है कि अब तक केवल 9 बूंदें ही गिरी हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि अब तक किसी ने भी पिच को गिरते हुए नहीं देखा है।

प्रयोग की निरंतरता और चुनौतियां

प्रोफेसर परनेल की 1968 में मृत्यु हो गई, लेकिन उनके बाद भी यह प्रयोग जारी रहा। विश्वविद्यालय के अन्य वैज्ञानिकों ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। प्रयोग को चलाने में कई चुनौतियां आईं। 2000 के दशक में एक बार वेबकैम खराब हो गया, जिससे एक बूंद का गिरना रिकॉर्ड नहीं हो पाया। 2014 में प्रयोग के तत्कालीन प्रभारी प्रोफेसर जॉन मेनस्टोन बूंद गिरने के कुछ दिन पहले ही छुट्टी पर चले गए और वह भी इसे देख नहीं पाए।

इस प्रयोग को चलाने में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसे लगातार निगरानी में रखना पड़ता है। तापमान में थोड़ा सा भी बदलाव पिच के बहाव को प्रभावित कर सकता है। इसलिए प्रयोगशाला का तापमान हमेशा एक समान रखा जाता है। साथ ही, प्रयोग को धूल और कंपन से भी बचाना पड़ता है।

प्रयोग का भविष्य और महत्व

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह प्रयोग अगले 100 साल तक चल सकता है। इस दौरान पिच की लगभग 100 बूंदें और गिरेंगी। यह प्रयोग पदार्थों के व्यवहार को समझने में बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि कुछ पदार्थ जो देखने में ठोस लगते हैं, वास्तव में बहुत धीमी गति से बहते रहते हैं।

पिच ड्रॉप एक्सपेरिमेंट दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों में से एक है। यह न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लोग इस प्रयोग को देखने के लिए दुनिया भर से क्वींसलैंड विश्वविद्यालय आते हैं। यह प्रयोग हमें याद दिलाता है कि विज्ञान में धैर्य और लगन का कितना महत्व है।