Pitru Visarjan 2024: 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष की समाप्ति का प्रतीक पितृ विसर्जन अथवा सर्व पितृ अमावस्या एक अनुष्ठान है, जिसमें पितरों को परलोक में शांति सुनिश्चित करने के लिए तर्पण किया जाता है। यह अमावस्या के दिन होता है। इस दिन परिवार के लोग अपने पूर्वजों को सम्मानित करने और जीवित लोगों की भलाई के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए तर्पण, पिंड दान और अन्य पवित्र अनुष्ठान करते हैं। पितृ विसर्जन (Pitru Visarjan 2024) पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। यह अनुष्ठान जीवन और मृत्यु की चक्रीय प्रकृति की याद दिलाता है।
कल है पितृ विसर्जन
इस वर्ष पितृ विसर्जन (Pitru Visarjan 2024) अथवा सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त 1 अक्टूबर को रात्रि 9:39 बजे से शुरू होगा। जो 3 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे समाप्त होगा। हिंदू धर्म में उदयातिथि को मान्यता प्राप्त है, इसलिए सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्मा को प्रसन्न करता है। इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध का प्रावधान है। इसलिए जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि पता नहीं है, वे सर्व पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर अपने पूर्वजों का तर्पण कर सकते हैं। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सभी लोगों को अपना आशीर्वाद देते हैं।
यदि परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो गई हो, तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनके लिए तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पूर्वजों को इस सांसारिक मोह-माया से दूर मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि इस दिन पितरों को तर्पण करने से मानसिक शांति मिलती है, साथ ही सुख-समृद्धि भी मिलती है। सर्व पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर लोगों को पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
पितृ विसर्जन के दिन दान का महत्व
हिंदू धर्म में दान को बहुत पुण्य माना जाता है, जिसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान करना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ अवधि में दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और साधक और उसके परिवार के सदस्यों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान दान करने से व्यक्ति को दोगुना पुण्य फल मिलता है।
पितृ पक्ष के अंतिम दिन गाय और घी दान करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराने और गुड़, चावल और गेहूं दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। सर्व पितृ अमावस्या पर अन्न व भोजन का दान श्रेष्ठ होता है।
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