26 सितंबर से शुरू हुए नवरात्रि पर्व का समापन 5 अक्टूबर को दशहरे के साथ होगा। देश भर में दशहरा समारोह के लिए विभिन्न स्थानों पर रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि भगवान श्री राम ने रावण को मारकर अधर्म, असत्य और अहंकार को हराया था, इस प्रकार दशहरा को अन्याय पर जीत के रूप में खुशी के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दशहरा को साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। लेकिन दशहरा पर्व पर ही इस उत्साह के विपरीत कुछ मंदिरों में ऐसा उदास माहौल देखने को मिलता है। श्रीलंका के रावण मंदिर के बारे में हमने सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में भी रावण के 5 मंदिर हैं। इस मंदिर में रावण की पूजा की जाती है और दशहरे के दिन को एक दुखद दिन के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इन मंदिरों और उनके इतिहास के बारे में संक्षेप में।
कर्नाटक का लंकेश्वर महोत्सव
कर्नाटक के कोलार जिले में लंकेश्वर महोत्सव का आयोजन कर रावण की पूजा की जाती है। इस क्षेत्र में लंकापति के साथ-साथ भगवान महादेव की भी पूजा की जाती है, रावण भगवान शिव का भक्त था। उन्होंने घोर तपस्या करके शंकर को प्रसन्न किया था और इसीलिए रावण के साथ-साथ शंकर की भी पूजा की जाती है। कोलार जिले के मालवल्ली में रावण का मंदिर बनाया गया है।
मध्य प्रदेश में विदिशा
लंका की रानी मंदोदरी यानि रावण की पत्नी माहेर मध्य प्रदेश की विदिशा हैं। रावण की पूजा की जाती है और इसके लिए विशेष रूप से 10 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है। विवाह या किसी अन्य शुभ अवसर से पहले विदिशा में रावण का आशीर्वाद मांगा जाता है।
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मध्य प्रदेश के मंदसौर
भारत में रावण का सबसे पहला मंदिर मध्य प्रदेश में बनाया गया था। मंदसौर में रावण की रुंडी नामक एक विशाल मूर्ति बनाई गई है जिसकी पूजा की जाती है। महिलाएं बिना सिर ढके रावण की मूर्ति के सामने नहीं जाती हैं।
हिमाचल प्रदेश के वैजनाथ
हिमाचल प्रदेश के वैजनाथ में भी रावण की पूजा की जाती है। लेकिन यहां रावण का कोई मंदिर नहीं बना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि रावण ने वैजनाथ में तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया था, इसलिए यहां रावण की पूजा की जाती है और दशहरे के दिन रावण का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है।
उत्तर प्रदेश का दशानन मंदिर
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रावण का एक मंदिर है जो साल में एक बार ही खुलता है। कानपुर के शिवाला क्षेत्र में स्थित इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है जहां केवल दशहरे के दिन ही प्रवेश की अनुमति है। रावण की मूर्ति को सजाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है और आरती की जाती है। माना जाता है कि मंदिर में रावण की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर मनोकामना पूरी होती है।
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