PM Modi In Barmer: जयपुर। क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान की सबसे बड़ी सीट पर मुकाबला भी सबसे बड़ा है। सही मायने में राजस्थान में त्रिकोणीय मुकाबले वाली यह इकलौती सीट है, जहां 26 साल के निर्दलीय युवा प्रत्याशी की तेज रफ्तार ने दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल को हिला कर रख दिया है। एक केंद्रीय मंत्री की नैया पर लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक को पाकिस्तान से सटे इस रेगिस्तानी इलाके में आना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल तो तीसरी बार बाड़मेर पहुंचे हैं। शुक्रवार को हुई प्रधानमंत्री की सभा और मानवेंद्र सिंह की घर वापसी से भाजपा को कुछ राहत की उम्मीद है।
सभा में भीड़ जुटाने में सफल रही भाजपा
बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर लोगों की नजर अब भीड़ पर ज्यादा टिकती है। निर्दलीय प्रत्याशी रविद्र सिंह भाटी औऱ कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल की नामांकन रैली में उमड़े जन सैलाब के बाद अब राजनीतिक ताकत का आंकलन भीड़ से ही हो रहा है। बाड़मेर के आदर्श स्टोडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में भाजपा ने कम से कम इस मोर्चे पर तो राहत महसूस की होगी। वैसे भी पीएम मोदी की सभा ही भाजपा के लिए सबसे बड़ा हथियार है। मोदी ने लोकदेवता बाबा रामदेव, परमाणु परीक्षण, रिफाइनरी औऱ सीमावर्ती इलाकों में विकास की बात कर स्थानीय मतदाता को कनेक्ट करने का प्रयास किया तो करगिल शहीद पचपदरा के भीखाराम मूंड को याद कर जाट समाज और जसवंत सिहं को याद कर राजपूत समाज को भी साधा।
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मानवेंद्र सिंह की वापसी से कितना फायदा
मोदी की सभा के साथ ही मानवेंद्र सिंह की भी भाजपा में वापसी हो गई। मानवेंद्र की वापसी को रविंद्र सिंह भाटी की घेरेबंदी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। मानवेंद्र इसी लोकसभा सीट से 2004 में सांसद और 2013 में शिव विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं। रविंद्र सिंह भाटी भी शिव से ही निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। मानवेंद्र सिंह भी राजपूत हैं और उनके पिता जसवंत सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में होने के साथ ही पश्चिमी राजस्थान में विशेषकर राजपूत समाज में अच्छी हैसियत रखते हैं। भाजपा को मानवेंद्र की वापसी से राजपूत समाज में समर्थन मिलने की उम्मीद है। हांलाकि मानवेंद्र 1999 में भाजपा के टिकट पर और 2019 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। 2023 का विधानसभा चुनाव वे कांग्रेस के टिकट पर सिवाना से हार गए थे। तभी से उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं थीं।
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सधेंगे जातीय समीकरण
बाड़मेर-जैसलमेर सीट की लड़ाई बड़ी दिलचस्प और जातीय समीकरणों में उलझी हुई है। भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी यहां त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। कांग्रेस ने आरएलपी से आए उम्मेदाराम बेनीवाल को टिकट देकर कैलाश चौधरी को घेरने की कोशिश की थी। दो जाट प्रत्याशियों के बीच जाट वोटों के बंटवारे के साथ भाजपा को अपने कोर वोटर्स राजपूत समाज से समर्थन की पूरी उम्मीद थी, लेकिन शिव के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सारे समीकरण बदल दिए। दो जाट और एक राजपूत प्रत्याशी के मुकाबले में जाटों के किसी एक प्रत्याशी के लिए लामबंद होने संभावना से भाजपा की मुश्किलें बढ़ी हुई है। भाटी को राजपूत समाज का समर्थन माना जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि भाटी मूल ओबीसी के साथ कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगा सकते हैं। बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में 21 लाख 60 हजार वोटर में साढ़े चार लाख से ज्यादा जाट, 3 लाख राजपूत, करीब पौने तीन लाख मुस्लिम, चार लाख एससी-एसटी और साढ़े छः लाख मूल ओबीसी वोटर हैं।