PM Modi in Brazil for G20 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तीन देशों की यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दूसरे पड़ाव में वे ब्राजील पहुंच गए हैं, जहां G20 शिखर सम्मेलन होने वाला है। रियो डी जेनेरियो में 18-19 नवंबर को होने वाले इस सम्मेलन में दुनिया के कई बड़े नेता शामिल होंगे। इस मौके पर PM मोदी न सिर्फ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, बल्कि कई विश्व नेताओं से अलग से भी मुलाकात करेंगे।
मोदी का भव्य स्वागत और महत्वपूर्ण मुलाकातें
प्रधानमंत्री मोदी जब रियो डी जेनेरियो पहुंचे, तो उनका भव्य स्वागत किया गया। ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डा सिल्वा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक बातचीत होती रही, जिसमें सिल्वा ने मोदी के कंधे पर हाथ रखकर दोस्ताना माहौल में चर्चा करते दिख रहे है। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों का संकेत देती है।
इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि PM मोदी की इन दोनों नेताओं से भी मुलाकात हो सकती है। यह मुलाकात भारत के लिए बेहद अहम होगी, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी।
भारत के हितों की रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा
G20 शिखर सम्मेलन में PM मोदी भारत का पक्ष मजबूती से रखेंगे। वे विभिन्न ज्वलंत और वैश्विक मुद्दों पर भारत का रुख स्पष्ट करेंगे। इन मुद्दों में जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद से लड़ाई और डिजिटल तकनीक जैसे विषय शामिल हो सकते हैं। मोदी की कोशिश होगी कि इन मुद्दों पर भारत के हितों की रक्षा हो और साथ ही वैश्विक समुदाय के साथ सहयोग बढ़े।
इस सम्मेलन में भारत की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल ही में नई दिल्ली में G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने अपनी क्षमता साबित की है। मोदी इस मंच का इस्तेमाल करके भारत की सॉफ्ट पावर को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका का पता चलता है। नाइजीरिया की यात्रा के बाद ब्राजील पहुंचना और फिर गुयाना जाना, यह दर्शाता है कि भारत अब दुनिया के हर कोने में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
G20 सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी से यह संदेश जाएगा कि भारत वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और प्रभावशाली देश है। मोदी की कूटनीतिक चाल से न सिर्फ भारत के हित सधेंगे, बल्कि विकासशील देशों की आवाज भी मजबूत होगी।