प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM मोदी) ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में ‘समिट फॉर फ्यूचर’ को संबोधित करते हुए बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और विकास के लिए ग्लोबल संस्थाओं में रिफॉर्म जरूरी है।
पीएम ने कहा कि ग्लोबल भलाई के लिए भारत अपना डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी दुनिया के लिए शेयर करने के लिए तैयार है। भारत के लिए ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर एक कमिटमेंट’ है। इस समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत UN के 193 देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया। संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दूसरे चरण के दौरान पीएम न्यूयॉर्क में प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के CEO से भी मिले।
Speaking at Summit of the Future at the @UN. https://t.co/lxhOQEWEC8
— Narendra Modi (@narendramodi) September 23, 2024
मानवता की सफलता सामूहिक ताकत में
अपने संबोधन में PM मोदी ने कहा कि मानवता की सफलता जंग के मैदान में नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक ताकत में निहित है। वैश्विक शांति और विकास पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्लोबल संस्थाओं में सुधार बहुत जरूरी हैं।
ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस पर जोर
पीएम ने इस मौके पर ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के रेस्पॉन्सिबल यूज के लिए बैलेंस रेगुलेशन की जरूरत है। हमें ऐसी ग्लोबल डिजिटल गवर्नेंस की जरूरत है, जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता प्रभावित न हो। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर को रुकावट के रुप में नहीं, बल्कि पुल के रुप में देखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक भलाई के लिए भारत अपना डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी दुनिया के साथ शेयर करने को तैयार है।
2021 में होनी थी ‘समिट फॉर फ्यूचर’
यग समिट पहले 2021 में होना था। लेकिन कोरोना की वजह से ये हो ना सका। UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार अब यह 3 साल की देरी से हुआ है।
क्या है मकसद?
‘समिट फॉर फ्यूचर’ का मकसद धरती को आने वाले खतरों से बचाना है। साल 2015 में UN ने दुनिया को आने वाले खतरों को पहचानते हुए 17 गोल वर्ल्ड लीडर्स के सामने रखे थे। इस बात को 10 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन इन लक्ष्यों में से अब तक केवल 17% ही हासिल हो पाए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1970 से 2021 के दौरान क्लाइमेट चेंज के कारण 11,778 आपदाओं में 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई है। इस समिट में ग्लोबल पीस, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, क्लाइमेट चेंज, मानवाधिकार और जेंडर जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
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