POK में विरोध

POK के विरोध सामने पाकिस्तान ने टेके घुटने, लिया ये फैसला!

पाकिस्तान प्रशासनिक कश्मीर (POK) में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बढ़ती बगावत के बाद आखिरकार शहबाज शरीफ सरकार को पीछे हटने पर मजबूर होना  पड़ा। POK सरकार ने जनता के भीषण विरोध के चलते एक विवादित राष्ट्रपति अध्यादेश को वापस ले लिया है। विरोध वापस लेने का कारण सरकार और संयुक्त कार्रवाई समिति के बीच एक समझौता बना। दोनों पक्षों ने इस समझौते पर सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किये। समझौते में कई अहम बातें शामिल हैं, जैसे कि बंदियों की रिहाई, मुकदमों को वापस लेना, घायलों को 1 मिलियन पाकिस्तानी रुपये का मुआवज़ा, सस्ती गेहूं और बिजली देना, और एक प्रदर्शनकारी की मौत के बाद उसके भाई को सरकारी नौकरी देना। सभी मांगे मानी जाने के बाद, संयुक्त कार्रवाई समिति ने अपना मार्च वापस ले लिया।

दरअसल, पाकिस्तान सरकार के ‘पीपुल असेंबली एंड पब्लिक ऑर्डर ऑर्डिनेंस 2024’ कानून को खत्म करने की मांग को लेकर पीओके से लेकर पाकिस्तान के राज्य खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान तक में भारी विरोध हो रहा था। पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (POK) के प्रदर्शनकारी विवादास्पद कानून को खत्म करने में देरी से नाराज़ थे और इसे लेकर अपना आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे थे। POK के अध्यक्ष बैरिस्टर सुल्तान महमूद ने प्रधानमंत्री को इस कानून को रद्द करने के लिए एक पत्र भी लिखा था। इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों ने राजधानी में मार्च निकालने का ऐलान किया था।

क्या थी JKJAAC की दो मांगें?

जम्मू कश्मीर संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) ने सरकार से अपनी दो मुख्य मांगें रखीं थीं और उन मांगों को पूरा करने के लिए सुबह 11 बजे तक का समय दिया था। उनकी पहली मांग थी कि विवादास्पद अध्यादेश को तुरंत वापस लिया जाए, और दूसरी मांग थी कि उनके 14 कार्यकर्ताओं को बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए। लेकिन पाकिस्तान सरकार द्वारा उनकी इन मांगों को तय समय तक कोई कदम नहीं उठाया न ही कोई जवाब दिया। इसके बाद JKJAAC के हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आए और बराकोट, कोहाला, ताइन धालकोट, आजाद पट्टन, होलार और मंगला जैसे इलाकों में मार्च निकाला।

क्या है बावली अध्यादेश?

बता दें, 2 सितंबर 2024 को पाकिस्तान की सीनेट में ‘पीपुल असेंबली एंड पब्लिक ऑर्डर ऑर्डिनेंस 2024’ नाम का अध्यादेश पेश किया गया। अगले ही दिन इसे सीनेट की स्थायी समिति के द्वारा मंजूर भी कर दिया गया। पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया लेकिन विपक्षी दलों की आपत्तियों के बावजूद, यह दो दिनों के अंदर ही सीनेट और नेशनल असेंबली दोनों से पारित हो गया। और हफ्ते के अंत तक राष्ट्रपति जी ने भी इसे मंजूरी दे डाली, जिससे यह कानून बन गया। अब इसी कानून के खिलाफ पीओके में बगावत की चिंगारी सुलग उठी है।

मोटे तौर पर बता दें तो ये पाकिस्तान का बावली कानून ‘पीपल असेंबली और पब्लिक ऑर्डर ऑर्डिनेंस 2024 कानून’ के खिलाफ विरोध हो रहा है। यह कानून अपंजीकृत (Unregistered) संगठनों को किसी सभा या विरोध प्रदर्शन करने से रोकता है और पंजीकृत (Registered) संगठनों को अपनी सभाओं की अनुमति एक सप्ताह पहले लेने का आदेश देता है।

 

 

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