पुलिस कर्मियों को जिंदा जलाने की कोशिश, हथियारों से लैस होकर आई थी भीड़; FIR में सामने आई संभल हिंसा की पूरी कहानी

Sambhal Violence FIR Copy:  उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़कने से पांच लोगों की मौत हो गई है। इस हिंसक घटना के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद इमरान मसूद ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई और जातीय संघर्ष करार दिया है।

इमरान मसूद का आरोप: पुलिस ने जानबूझकर हिंसा भड़काई

समाजवादी पार्टी के सांसद इमरान मसूद ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि यह घटना एक साजिश के तहत हुई और पुलिस ने जानबूझकर हिंसा को भड़काने में मदद की। मसूद का आरोप है कि पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक सुनियोजित रणनीति अपनाई, जिससे हिंसा फैल गई। उन्होंने इस घटनाक्रम को ‘पुलिस बनाम मुस्लिम समुदाय’ की लड़ाई करार दिया। मसूद ने कहा, “यह पूरा मामला मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए तैयार की गई साजिश है और पुलिस की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण है।”

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इस बयान के बाद मसूद ने यह भी कहा कि अगर पुलिस चाहती, तो वह इस हिंसा को आसानी से रोक सकती थी, लेकिन पुलिस ने अपनी कार्रवाई में जानबूझकर ढिलाई बरती। उनका आरोप था कि पुलिस ने इस पूरी घटना को बढ़ावा दिया और हालात को ऐसे मोड़ पर ले आई, जहां बेकाबू भीड़ ने हिंसा को अंजाम दिया।

बीजेपी ने बताया ‘वर्चस्व की लड़ाई’

वहीं, बीजेपी नेताओं ने इस हिंसा को पूरी तरह से स्थानीय राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा बताया है। बीजेपी के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने इस घटना को ‘तुर्क बनाम पठान’ की लड़ाई करार दिया। उनका कहना था कि संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बीच हमेशा सत्ता की होड़ रही है और अब भी दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। नितिन अग्रवाल ने कहा, “इस घटना का असल कारण राजनीतिक लाभ की होड़ है। दोनों नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए लोगों को उकसाया और दंगे की स्थिति पैदा की।”

अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक ने अपने समर्थकों को हिंसा के लिए उकसाया। उनका कहना था कि इस हिंसा को बढ़ावा देने में दोनों नेताओं का स्वार्थ शामिल था, क्योंकि वे अपने-अपने वर्चस्व को साबित करना चाहते थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें सख्त सजा दी जाएगी।

भूपेंद्र चौधरी ने बताई जातीय संघर्ष की थ्योरी

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने संभल हिंसा को जातीय संघर्ष करार दिया है और इसे सपा सांसद तथा विधायक के बीच वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम बताया। उनका कहना था कि यह हिंसा न केवल स्थानीय राजनीति का नतीजा है, बल्कि दोनों नेताओं के बीच की सत्ता की होड़ के कारण लोगों को उकसाकर इस तरह की हिंसा को बढ़ावा दिया गया।

चौधरी ने कहा कि सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बीच हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई रही है, और इस बार दोनों नेताओं ने अपनी राजनीति में फायदे के लिए लोगों को भड़काया। उनके मुताबिक, हिंसा के दौरान दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए समर्थकों को उकसाया, जिससे यह हिंसा भड़की। उनका कहना था कि इस तरह की घटनाएं स्थानीय राजनीति के एक हिस्से के रूप में हो सकती हैं, जहां नेताओं का उद्देश्य अपनी ताकत दिखाना और विरोधियों को दबाना होता है।

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भूपेंद्र चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इस तरह की घटनाएं जातीय तनाव को बढ़ाने और समाज में दरार डालने के उद्देश्य से की जाती हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का मानना है कि सपा के नेता और उनके समर्थक इस तरह की हिंसा को बढ़ावा देकर जातीय आधार पर लोगों को बांटना चाहते थे। उनका आरोप था कि इस हिंसा के जरिए कुछ नेताओं ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अविश्वास और नफरत को बढ़ाया।

चौधरी ने इस हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “चाहे वह नेता हो या समर्थक, अगर किसी ने भी इस हिंसा में हिस्सा लिया है, तो पुलिस उन्हें सख्त सजा देगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे दंगों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सरकार का यह कर्तव्य है कि वह समाज में शांति बनाए रखे। पुलिस को इस मामले में पूरी जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।

संभल

पुलिस ने एफआईआर में दी पूरी घटना की जानकारी

संभल हिंसा के मामले में पुलिस ने सात एफआईआर दर्ज की हैं और घटना की पूरी जानकारी सार्वजनिक की है। इन एफआईआर में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बेटे सुहैल इकबाल को मुख्य आरोपियों के रूप में नामित किया गया है। पुलिस का कहना है कि यह हिंसा एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी, जिसे कुछ नेताओं और उनके समर्थकों ने राजनीतिक लाभ के लिए भड़काया।

एफआईआर के अनुसार, रविवार सुबह लगभग पौने नौ बजे नखासा चौराहे पर भारी संख्या में लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने पथराव करना शुरू कर दिया। इस दौरान उपद्रवियों ने न केवल पथराव किया, बल्कि एक दरोगा की पिस्टल का मैगजीन भी लूट लिया। पुलिस के अनुसार, जब दरोगा निशांत मलिक अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे, तो हिंसक भीड़ ने उन पर भी हमला कर दिया। पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला हुआ और भीड़ ने लाठी-डंडे और पत्थरों से हमला करना शुरू कर दिया।

पुलिस ने यह भी बताया कि इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से चुनौती दी गई, जिससे हालात बेकाबू हो गए और हिंसा में बढ़ोतरी हुई। पुलिस ने इस मामले में पूरी सख्ती दिखाई है और आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू की है।

27 गिरफ्तारियां, 7 एफआईआर

पुलिस ने इस हिंसक घटना के बाद कुल सात एफआईआर दर्ज की हैं और 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इन आरोपियों में से 24 को जेल भेज दिया, जबकि तीन नाबालिगों को बाल शेल्टर भेजा गया है। एफआईआर में यह आरोप भी लगाया गया है कि सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बेटे सुहैल इकबाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए हिंसा को उकसाया। पुलिस का कहना है कि इन नेताओं ने अपने समर्थकों को भड़काकर माहौल को गर्म किया, जिसके बाद दंगे की स्थिति पैदा हो गई।

पुलिस ने अब तक मामले में 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से अधिकतर आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। तीन नाबालिगों को बाल शेल्टर भेजा गया है, जो इस हिंसा में शामिल थे। पुलिस का कहना है कि आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी और सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि हिंसा के दौरान कुछ लोग सपा सांसद और विधायक के करीबी थे, जिन्होंने जानबूझकर इस हिंसा को बढ़ाया। पुलिस का आरोप है कि इन नेताओं ने अपने समर्थकों को उकसाकर उपद्रवियों को हिंसा करने के लिए प्रेरित किया। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि कई आरोपियों ने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए कार्रवाई तेज कर दी।

पुलिस ने कहा कि इस घटना की पूरी जांच की जा रही है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने यह भी कहा कि इस हिंसा के पीछे की असल वजह को जानने के लिए मामले की गहन जांच की जा रही है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि जो भी लोग इस तरह की हिंसा में शामिल होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वे आने वाले दिनों में इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करेंगे।