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Pradosh Vrat 2024: फरवरी माह में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानें सही तिथि

Pradosh Vrat 2024

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) का खास महत्व है। प्रदोष व्रत हर माह त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते है जिसमें से हर महीने दो बार प्रदोष का व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार हर माह की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि पर प्रदोष व्रत करने की पंरपरा है। प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस​ दिन विधि विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल यानी समय का भी विशेष महत्व है। वहीं फरवरी माह में इस बार दो प्रदोष व्रत पड़ेगे। आइए जानते है फरवरी माह में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत और पूजा विधि के बारे में :—

कब है माघ माह का पहला प्रदोष व्रत :-

Pradosh Vrat 2024

माघ और फरवरी का पहला प्रदोष व्रत 07 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन बुधवार है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। माघ कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 07 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 08 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं प्रदोष काल यानी पूजा करने का शुभ समय शाम 06 बजकर 50 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

​कब है माघ माह का दूसरा प्रदोष व्रत :-

Pradosh Vrat 2024

माघ और फरवरी का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत 21 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन भी बुधवार है। माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 21 फरवरी की सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 फरवरी को दिन में 01 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं इस दिन प्रदोष काल शाम 06 बजकर 26 मिनट से लेकर रात में 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि :-

Pradosh Vrat 2024

प्रदोष के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करे और साफ वस्त्र धारण करे। इसके बाद भगवान शिव का स्मरण कर भगवान के समक्ष व्रत करने का संकल्प करे। पूरे दिन भगवान शिव की आराधना, मंत्रों का जाप और स्मरण करें और शाम के समय पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा करे। सर्वप्रथम पूजा के लिए दही, दूध, घी, शहद और गंगाजल का एक मिश्रण तैयार करे और इस मिश्रण से शिवलिंग का जलाभिषेक करे। इसके पश्चात भगवान शिव को धतुरा, भांग, सफेद फूल और बेलपत्र आदि चीजें अर्पित करे । इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करे और प्रसाद का भोग लगाए। पूजा के अंत में आरती करे। आरती के बाद घर के सदस्यों को भोग का प्रसाद दे।

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