प्रशांत किशोर ने बनाई ‘जन सुराज पार्टी’, मनोज भारतीय होंगे पहल अध्यक्ष

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ( Prashant Kishor)  ने बुधवार को पटना में अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘जन सुराज पार्टी’ (Jan Surraj Party)  का आधिकारिक रूप से ऐलान कर दिया। लॉन्च कार्यक्रम में किशोर ने कहा कि पार्टी पिछले दो वर्षों से सक्रिय है और हाल ही में उसे भारत निर्वाचन आयोग से स्वीकृति मिली है।

ऐ्सा माना जा रहा है कि निर्वाचन आयोग की मंजूरी मिलने के बाद प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पार्टी’ अब अगले बिहार विधानसभा चुनावों में सभी निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़न सकती है।

‘RSS और अल्पसंख्यकों का समागम’

कथित संबंधों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इन सवालों पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए किशोर ने कहा कि ‘जन सुराज पार्टी’ आरएसएस और अल्पसंख्यकों का समागम है।

प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अनुमान लगाया कि बिहार में अगले दशक में विश्व स्तरीय मानकों को प्राप्त करने के लिए लगभग 5 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी।

‘शराबबंदी को हटाया जाएगा’

राज्य में शराबबंदी पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि शराबबंदी से हर साल जो लगभग 20,000 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान होता है। उनकी सरकार आएगी तो शराबबंदी को हटाया जाएगा और उससे आने वाले पैसे को बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “जब शराबबंदी हटाई जाएगी, तो वह पैसा सड़कों, पानी, बिजली या नेताओं की सुरक्षा के बजट में नहीं जाएगा। इसे केवल बिहार में एक नई शिक्षा व्यवस्था बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा।”

मनोज भारती बनाए गए पहले अक्षयक्ष

बता दें कि जन सुराज पार्टी के नए अध्यक्ष मनोज भारती को बनाया गया है। वहीं अन्य पदाधिकारियों के नामों का ऐलाने कल गुरुवार को किया जाएगा। प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने कहा कि लीडरशीप काउंसिल की बैठक कल होने वाली है।इस बैठक में पार्टी के दूसरे सदस्यों के नाम की घोषणा की जाएगी।

कौन हैं मनोज भारतीय

जन सुराज पार्टी के प्रथम अध्यक्ष मनोज भारती दलित समाज से आते हैं। वे बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई लिखाई जमुई के सरकारी स्कूल में हुई है। इसके बाद उन्होंने आईआईटी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परिक्षा पास कर भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी रहें। उन्होंने चार देशों में राजपूत के तौर पर भी सेवाएं दी हैं।

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