Pooja Khedkar: पूजा खेडकर पर बड़ा एक्शन, केंद्र सरकार ने IAS के पद से किया बर्खास्त
Pooja Khedkar: केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की पूर्व अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की है। मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने पूजा खेडकर को तुरंत प्रभाव से IAS के पद से बर्खास्त कर दिया है। इस कदम की वजह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा एक महीने पहले उनके चयन को रद्द करने और धोखाधड़ी के आरोपों की पुष्टि है।
धोखाधड़ी और कोटा लाभ के लगे आरोप
पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है और उन पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दिव्यांगता कोटा के गलत लाभ लेने का भी दोषी पाया गया है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था और भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। यूपीएससी की कार्रवाई के बाद दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर दी थी, जिसमें कहा गया कि पूजा खेडकर ने विकलांगता प्रमाणपत्रों के साथ धोखाधड़ी की है।
दो अलग-अलग दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा किए थे
पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि वे एम्स में अपनी विकलांगता की जांच के लिए तैयार हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि खेडकर ने कई दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए हैं और इनमें से एक फर्जी हो सकता है, जबकि दूसरा मनगढ़ंत हो सकता है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 और 2023 के लिए दो अलग-अलग दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा किए थे।
हाई कोर्ट ने याचिका को किया था खारिज
दिल्ली की अदालत ने 1 अगस्त को पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिसके लिए गहन जांच की आवश्यकता है। इसके बाद खेडकर ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने पहले 5 सितंबर और फिर 26 सितंबर तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, जिससे उन्हें कुछ समय के लिए राहत मिली है।
कौन हैं पूजा खेडकर?
पूजा खेडकर 2023 बैच की IAS अधिकारी हैं और सिविल सर्विस एग्जाम 2022 में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 841 हासिल की थी। यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद उन्हें ट्रेनिंग के दौरान पुणे की असिस्टेंट कलेक्टर नियुक्त किया गया। पदभार संभालते ही उन्होंने अलग से चेंबर, लग्जरी कार और घर की मांग की, जिसके बाद विवाद उत्पन्न हुआ। उनके निजी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का स्टीकर लगाने के मुद्दे पर भी विवाद हुआ, जिससे उनके खिलाफ शिकायत मुख्य सचिव तक पहुंची और बाद में उनका वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया।
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