Punjab War on Drugs: पंजाब सरकार ने राज्य से ड्रग्स खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दावा किया है कि तीन महीने में पंजाब से ड्रग्स की समस्या को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। पंजाब में लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं, ड्रग तस्करों की संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहे हैं। वहीं बता दें कि NDPS मामलों के झटपट निपटारे के लिए स्पेशल अदालतें बनाने की योजना पर भी काम हो रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस लड़ाई को जीतना इतना आसान होगा?
पंजाब में नशे की समस्या कितनी गंभीर?
पंजाब की पाकिस्तान से लगने वाली 552 किमी लंबी सीमा, जिसमें 43 किमी क्षेत्र बिना बाड़ के है, ड्रग तस्करों के लिए एक आसान रास्ता बन गई है। खेतों के बीच सीमा होने के कारण मॉनिटरिंग कठिन हो जाती है, और ड्रोन के जरिए बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है।
BSF द्वारा पकड़े गए ड्रोन और ड्रग्स की मात्रा-
वर्ष | पकड़े गए ड्रोन | जब्त हेरोइन (किलो) | गिरफ्तार तस्कर |
---|---|---|---|
2023 | 107 | 283 | 161 भारतीय, 30 पाकिस्तानी |
2024 | 294 | 417 | 5 पाकिस्तानी घुसपैठिए ढेर |
वहीं तस्करी में स्थानीय लोगों और अधिकारियों की मिलीभगत भी एक बड़ी समस्या रही है। कई पुलिस अधिकारियों पर ड्रग माफिया से सांठगांठ के आरोप लगे हैं, जिसके चलते पंजाब सरकार को 10,000 पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर करना पड़ा।
सरकार का एक्शन प्लान
सरकार ने नशे के कारोबार से जुड़े लोगों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की है। NDPS के तहत हजारों केस दर्ज किए गए हैं, लाखों की संख्या में ड्रग्स की गोलियां और भारी मात्रा में हेरोइन जब्त की गई है।
NDPS मामलों की स्थिति-
वर्ष | दर्ज केस | गिरफ्तार आरोपी | जब्त हेरोइन (किलो) |
---|---|---|---|
2022 | 12,442 | 17,853 | 3,000 |
2023 | 10,000+ | 15,000+ | 2,600 |
वहीं राज्य सरकार स्पेशल अदालतों की मांग कर रही है ताकि NDPS के मामलों को तेजी से निपटाया जा सके। सरकार का मानना है कि अगर केसों का निपटारा जल्द नहीं हुआ, तो आने वाले सालों में लाखों केस पेंडिंग हो जाएंगे।
क्या सफल होगा यह अभियान?
पंजाब में नशे की समस्या (Punjab War on Drugs) सिर्फ तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी बढ़ती मांग भी एक बड़ी चुनौती है। आंकड़ों के मुताबिक, 30 लाख से ज्यादा लोग गांजा, 21 लाख से अधिक लोग अफीम और डेढ़ लाख लोग कोकीन का सेवन करते हैं। इससे साफ है कि अगर सप्लाई रोकी भी जाती है, तो मांग बनी रहने से नए तरीके अपनाए जाते रहेंगे।एक और बड़ी समस्या कानूनी प्रक्रिया की धीमी रफ्तार है। NDPS मामलों को सुलझाने में औसतन 7 साल का समय लग जाता है, जिससे दोषियों को जल्द सजा नहीं मिल पाती और तस्कर आसानी से जमानत पर बाहर आकर फिर से अपना नेटवर्क चालू कर लेते हैं। सरकार ने 79 स्पेशल कोर्ट बनाने और 79 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करने की मांग की है, ताकि न्याय प्रक्रिया को तेज किया जा सके।
प्रशासनिक ढांचे पर भी करना होगा काम
इस अभियान (नशे के खिलाफ जंग) की सफलता केवल तस्करों की गिरफ्तारी से संभव नहीं होगी। नशे के आदी लोगों के लिए डि-एडिक्शन सेंटर, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना भी बेहद जरूरी है। बता दें कि पंजाब सरकार ने अब तक 47,331 लोगों के पुनर्वास पर 21.08 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन यह प्रयास (Punjab War on Drugs) और तेज करने की जरूरत है।
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